ऑटिज़्म और ADHD में स्पीच डिले की असली वजह आपको चौंका सकती है!


Occupational Therapist
The Hope Rehabilitation and Learning Centre, Jankipuram Branch, Lucknow
ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की नज़र से: ऑटिज़्म और ADHD में स्पीच डिले का गहराई से विश्लेषण:-
स्पीच डिले यानी बच्चे का उम्र के अनुसार बोल नहीं पाना — आज के समय में एक आम चिंता बन चुका है, खासकर उन बच्चों में जो ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) या एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित हैं। लेकिन माता-पिता और कई बार सामान्य शिक्षक भी यह मान लेते हैं कि बोलने में देरी सिर्फ “दिमाग की समझ” या “व्यवहार” से जुड़ी है। वास्तव में, यह समस्या अक्सर मुँह से जुड़ी सेंसरी प्रोसेसिंग, ओरल मोटर स्किल्स, और मांसपेशियों की कमजोरी (oral hypotonia) से जुड़ी होती है।
स्पीच केवल शब्द नहीं, एक जटिल शारीरिक प्रक्रिया है। बोलने के लिए सिर्फ भाषा जानना ही काफी नहीं होता। बच्चे को अपने मुँह की मांसपेशियों को महसूस करना, कंट्रोल करना और कोऑर्डिनेट करना भी आना चाहिए।
बोलने की क्रिया में शामिल होते हैं:
- Cranial Nerves (जैसे CN V, VII, IX, X, XII)
- Muscle tone and control
- Proprioception (अपने अंगों की स्थिति का अहसास)
- Oral Sensory Feedback
- Motor Planning (Dyspraxia से प्रभावित)
- Respiratory Coordination for speech
अगर इनमें से कोई एक हिस्सा भी कमजोर हो, तो बच्चा ठीक से बोल नहीं पाता।
सेंसरी ओरल प्रोसेसिंग डिसऑर्डर: जब मुँह का दिमाग से संपर्क टूट जाता है। सेंसरी ओरल प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (SOPD) में बच्चा अपने मुँह के अंदर हो रही गतिविधियों को महसूस नहीं कर पाता या ज़रूरत से ज़्यादा महसूस करता है।

प्रकार:
Hypersensitivity: बच्चे को खाना खाते समय उबकाई आती है, ब्रश करना पसंद नहीं होता, और वह मुँह के पास कुछ सहन नहीं कर पाता।
Hyposensitivity: बच्चा पेन, कपड़ा, उंगली, खिलौने चबाता है क्योंकि उसे मुँह में महसूस नहीं होता — ये बच्चे अक्सर आवाज़ निकालने में भी रुचि नहीं दिखाते।
प्रभाव: बच्चे मुँह के हिस्सों को इस्तेमाल नहीं करते, जिससे oral awareness कम होती है और speech sound production में देरी होती है।
लो ओरल टोन (Oral Hypotonia): मुँह की मांसपेशियों की कमज़ोरी। Low muscle tone यानी मांसपेशियाँ इतनी ढीली होती हैं कि वे अपने आप में स्थिर नहीं रह पातीं।

लक्षण:
- मुँह खुला रहना
- लार टपकना
- चबाने में कठिनाई
- बोलते समय शब्द स्पष्ट न होना
- कमजोर जबड़ा और जीभ का नियंत्रण
फैक्ट:
Journal of Speech, Language, and Hearing Research (2016) के अनुसार, 40–60% ऑटिज़्म ग्रसित बच्चों में ओरल मोटर डिस्फंक्शन देखा गया।
ADHD में स्पीच डिले: जब गति और नियंत्रण में तालमेल नहीं होता
ADHD वाले बच्चों में स्पीच डिले अलग प्रकार का होता है। उनके पास बोलने के विचार होते हैं, लेकिन:
- वे बहुत तेज़ या अटक-अटक के बोलते हैं
- उनमें motor planning की दिक्कत (Developmental Dyspraxia) होती है
- वे सामान्य शब्दों को भी सही अनुक्रम में नहीं बोल पाते

शोध:
Pavao SL et al., 2017 के अनुसार, 32% ADHD बच्चों में भी ओरल मोटर कंट्रोल और स्पीच क्लैरिटी में समस्या देखी गई।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी में हम क्या करते हैं?
हम स्पीच को जड़ से समझते हैं और बच्चे को नीचे दिए गए तरीकों से सहायता देते हैं:

ओरल सेंसरी ट्रीटमेंट:
- Z-vibe, chewy tube जैसे टूल्स से ओरल sensory awareness बढ़ाते हैं
- ब्रशिंग, मसूड़ों की हल्की मसाज
ओरल मोटर एक्सरसाइज:
- जबड़े, जीभ और होंठों की स्ट्रेन्थनिंग
- स्ट्रॉ, ब्लो पाइप, बबल थैरेपी
- face yoga / blowing / tongue stretches

फीडिंग थैरेपी:
- चबाना, निगलना, गाढ़े/ठोस खाद्य पदार्थों के साथ अभ्यास
- पोस्चर सुधारना ताकि सांस और आवाज़ में संतुलन आए
साथ में स्पीच थैरेपी:
जब बच्चा अपने मुँह को महसूस करना और कंट्रोल करना सीखता है, तब उसे स्पीच थैरेपी के ज़रिए बोलने की प्रैक्टिस दी जाती है।
जड़ पर काम कीजिए, फूल अपने आप आएंगे। स्पीच डिले को सिर्फ शब्दों की कमी मत समझिए — यह एक पूरी सेंसरी और मोटर यात्रा है। अगर बच्चा अपने मुँह की हरकतों को ठीक से महसूस नहीं कर पा रहा, या उसमें ताकत नहीं है — तो वह चाहे जितनी कोशिश करे, बोल नहीं पाएगा। ऑक्यूपेशनल थेरेपी इस यात्रा की शुरुआत है, और जब यह आधार मज़बूत होता है — तभी भाषा के फूल खिलते हैं।

नोट: यह रिपोर्ट केवल थैरेपी और माता-पिता की जागरूकता के लिए है। इसका उपयोग मेडिकल या कानूनी मामलों में नहीं किया जा सकता।
संपर्क करें: The Hope Rehabilitation and Learning Centre, Lucknow
हेल्पलाइन: 9044500099
