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हार्ट अटैक का खतरा होगा कम, बच सकेगी जान, कामयाब हुआ विशेषज्ञों का प्लान

Medicine To Reduce Heart Attack: हृदय रोगों के मामले वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं। हर साल हार्ट अटैक- हार्ट फेलियर जैसी जानलेवा स्थितियों के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। भारत में हृदय संबंधी बीमारियों (सीवीडी) के कारण मृत्यु दर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर लगभग 272 है, जो वैश्विक आंकड़े (एक लाख पर 235 के औसत) से अधिक है। हृदय संबंधी बीमारियां मृत्यु का प्रमुख कारण भी हैं, जो सभी मौतों का 26% से अधिक है।

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अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा रहता है। ये दोनों ही स्थितियां हृदय के लिए सबसे ज्यादा मुश्किलें बढ़ाती हैं। अगर समय रहते इनपर ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण हार्ट अटैक होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इस दिशा में एक अच्छी खबर सामने आ रही है। शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा की खोज की है जो लिपोप्रोटीन को काफी हद तक कम कर सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस दवा की मदद से दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिमों को भी कम करके लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

लेपोडिसिरन नामक हुई निजात | Medicine To Reduce Heart Attack

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बहुत से लोग ऐसे ही जिन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि ब्लड में लिपोप्रोटीन की मात्रा बढ़ी हुई है। बढ़े हुए लिपोप्रोटीन को जीवनशैली में बदलाव के साथ मैनेज नहीं किया जा सकता है, कई बार इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं। लिपोप्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल दोनों अलग-अलग हैं। लिपोप्रोटीन सूक्षम पार्टिकल्स होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल और अन्य वसा (लिपिड) को रक्तप्रवाह के माध्यम से ले जाते हैं। वहीं कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का लिपिड है, जो मोम जैसाजैसा पदार्थ है जो कोशिकाओं और हार्मोन्स को बनाने में मदद करता है। इस नए शोध ने पुष्टि की है लेपोडिसिरन नामक ये दवा, लिपोप्रोटीन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार मानी जाने वाली जीन को दबा सकती है। इस दवा को उन लोगों के लिए भी बहुत लाभकारी माना जा रहा है जिन्हें आनुवांशिक रूप से कोलेस्ट्रॉल और हार्ट की बीमारी का खतरा होता है।

अध्ययन में क्या पता चला? | Medicine To Reduce Heart Attack

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन को हृदय संबंधित समस्याओं के इलाज में कारगर माना जा रहा है। न्यूयॉर्क स्थित इकाहन स्कूल ऑफ मेडिसिन में कार्डियोवैस्कुलर मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. दीपक एल. भट्ट कहते हैं, लिपोप्रोटीन हृदय रोगों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है जो काफी हद तक आनुवंशिकी द्वारा निर्धारित होते है, यानी यह आपको विरासत में मिलता है। इस दवा के माध्यम से आनुवांशिक रूप से उन जीन को ही दबाया जा सकता है जो लिपोप्रोटीन को बढ़ा देते हैं।

लिपोप्रोटीन(ए) को कम करने के लिए अब तक कोई दवा नहीं | Medicine To Reduce Heart Attack

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 20-25% लोगों में लिपोप्रोटीन (ए) का स्तर बढ़ा हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि आहार, व्यायाम और वजन घटाने जैसे तरीकों से एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इनका लिपोप्रोटीन(ए) के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। स्टैटिन जैसी दवाओं से बैड कोलेस्ट्रॉल को तो कम किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में कोई स्वीकृत दवा उपचार नहीं है जो लिपोप्रोटीन(ए) को कम करती हो। इस दवा की मदद से आनुवांशिक रूप से आपको जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।

छह महीने में ही देखे गए बेहतर परिणाम | Medicine To Reduce Heart Attack

अर्जेंटीना, चीन, डेनमार्क, जर्मनी, जापान सहित कई देशों में इसके नैदानिक परीक्षण किए गए। प्रतिभागियों को प्लेसबो या लेपोडिसिरन दवा दी गई। जिन लोगों ने ये दवा ली उनमें छह महीने में लिपोप्रोटीन(ए) के स्तर में लगभग काफी सुधार आया। वहीं जिन लोगों ने  छह महीने में दूसरी खुराक ली, उनमें एक साल के बाद लगभग 100% कमी देखी गई। डॉक्टर्स का कहना है कि सभी लोगों को अपनी हार्ट हेल्थ को ठीक रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से लिपोप्रोटीन की जांच कराते रहना चाहिए।

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