स्वास्थ्य और बीमारियां

Hemophilia के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है, इसका कोई इलाज नहीं; जानिए इस बीमारी के बारे में

हीमोफीलिया (Hemophilia) एक रेयर ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें इंसान के शरीर में खून का जमना बंद हो जाता है। अक्सर चोट लगने पर खून बहता है और ब्लड क्लॉट बनने के बाद शरीर से खून निकलना बंद हो जाता है। मगर, हीमोफीलिया के मरीज का खून सामान्य लोगों से अधिक बहता है। जरा सी चोट लगने पर गंभीर ब्लीडिंग होने लगती है, जिसके कारण मरीज को काफी परेशानियां हो सकती है। कई बार ज्यादा खून निकलने से चक्कर आना, जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न की समस्या पैदा हो जाती है।

हीमोफीलिया दो तरह का होता है, जिसमें टाइप ए और टाइप बी शामिल है। ये अलग-अलग जेनेटिक म्यूटेशन के कारण होते हैं। हेमोफिलिया ए काफी आम डिसऑर्डर है, जो F8 जीन में म्यूटेशन के कारण होता है। हालांकि, हेमोफिलिया बी, F9 जीन में म्यूटेशन की वजह से होता है। चिंता की बात ये है कि हीमोफीलिया का कोई इलाज नहीं है, इसे सिर्फ मैनेज किया जा सकता है।

हीमोफीलिया के कारण (Reason of Hemophilia)

हीमोफीलिया की स्थिति तब पैदा होती है, जब ब्लड क्लॉटिंग के लिए जरूरी प्रोटीन में से कुछ कम हो जाते हैं, जिसे फैक्टर VIII या IX के रूप में जाना जाता है। इन फैक्टर की कमी हीमोफिलिया की गंभीरता को निर्धारित करती है। गंभीर हीमोफीलिया होने पर बिना किसी वजह या हल्की चोट पर भी गंभीर ब्लीडिंग हो सकती है।

हीमोफीलिया के लक्षण (Symptoms of Hemophilia)

सामान्य रूप से हीमोफीलिया के ऐसे कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। सिर्फ चोट लगने पर खून बहने और ब्लीडिंग न रुकने से स्थिति गंभीर होने लगती है। इसके अलावा ये लक्षण भी नजर आ सकते हैं।

जोड़ों का दर्द और सूजन

कई बार ब्लीडिंग ज्यादा होने के कारण जोड़ों पर इसका असर होता है। जोड़ों में सूजन, दर्द और कई बार अकड़न महसूस होती है। कुछ लोगों को हिलना-डुलना भी मुश्किल हो जाता है।

मसल्स में खून आना

मांसपेशियों में ब्लीडिंग होने के कारण मसल्स टिशू डैमेज होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में दर्द, सूजन और टेंडरनेस बढ़ सकती है। जिस जगह पर ब्लीडिंग हुई है, वहां की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।

जोड़ों और ब्रेन में ब्लीडिंग

कई बार जोड़ों के पास वाले टिशूज में ब्लीडिंग हो जाती है, जिसे हेमर्थ्रोसिस कहते हैं। इससे जड़ों में लालिमा और दर्द होने लगता है। इलाज न करने पर डैमेज गंभीर हो सकता है। कई बार ब्रेन में ब्लीडिंग हो जाती है, जिसे इंट्रासेरेब्रल ब्लीडिंग कहते हैं। ये मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन है। इसमें पैरालिसिस भी हो सकता है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग

कुछ मामलों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग हो सकती है जिससे ब्लैक स्टूल या उल्टी होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे पेट दर्द या सूजन आ सकती है।

नाक से खून बहना

हीमोफीलिया के मरीज को नाक से खून आने लगता है। ऐसा बार-बार हो सकता है। समय पर इलाज न करवाने से शरीर में खून की कमी हो सकती है जो एनीमिया का शिकार बना सकती है।

जल्दी चोट लगना

हीमोफीलिया के मरीज को जरा सी चोट लगने पर ही खून निकलने लगता है। आसानी से चोट लग जाती है और कई बार स्किन पर लाल और बैंगनी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। ऐसा स्किन के अंदर ब्लीडिंग होने के कारण होता है। ऐसा ब्लड वेसल्स फटने और टिशू में ब्लड लीक होने से होता है।

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