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आतंकी हमले का ट्रामा हो सकता है बेहद खतरनाक, ऐसे रखें अपनों का खयाल

जम्‍मू-कश्‍मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले से पूरा देश सदमे में है। इस हमले में जान गंवा चुके पर्यटकों के घरवाले अपनों के खोने के गम में डूबे हैं। वहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने अपनी आंखों से इस अटैक को होते देखा है। ये लोग कश्मीर के यादगार पल बिताने के बजाय अपनों को खोकर आए हैं, जो उनते लिए काफी बड़ा ट्रामा है।

इन लोगों ने आतंकी हमले को अपनी आंखों से देखा है, जिससे उनके मन और दिमाग पर गहरा असर पड़ा है। ऐसे में इस ट्रामा से निकलना मुश्किल हो जाता है। जो लोग इस तरह की घटनाओं के गवाह बनते हैं या उनमें किसी तरह से शामिल होते हैं, उन्हें ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) कहा जाता है। इसे नजरअंदाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है।

आतंकी हमले का ट्रामा के लक्षण (Symptoms of Terrorist Attack Trauma)

बार-बार घटना को याद करना

अक्सर बुरे सपने आना

छोटी आवाज या हलचल से डर जाना

अकेलापन महसूस करना और किसी से बात न करना

नींद न आना या चिड़चिड़ापन

खुद को या दुनिया को असुरक्षित मानना, इत्यादि।

कैसे करें ट्रामा से जूझ रहे अपनों का ध्यान?

उन्हें बोलने का मौका दें, लेकिन दबाव न बनाएं

ऐसे ट्रामा से जूझ रहे लोगों को बोलने का मौका दें। उनकी बातों को धैर्य से सुनें और जब वो तैयार हों, तब ही उनसे बात करें। ध्यान रखें कि उन्हें बार-बार घटना दोहराने को मजबूर न करें।

सुरक्षा का एहसास दिलाएं

ट्रामा से गुजर रहे लोगों को हमेशा एक सुरक्षित माहौल दें। उन्हें आसपास सुरक्षित महसूस कराएं। उन्हें कहें, “अब तुम सुरक्षित हो, हम सब तुम्हारे साथ हैं।” ऐसे लोगों का आप भावनात्मक और शारीरिक रूप से सपोर्ट सिस्टम बनें।

रूटीन में वापस लाने की करें कोशिश

रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें जैसे खाना समय पर खाना, टहलना इत्यादि रूटीन पर उन्हें लाने की कोशिश करें। इससे उन्हें सामान्य स्थिति में लाने में मदद करती हैं।

भीड़-भाड़ या खबरों से दूरी बनाएं

आतंकी हमले की खबरे लगातार टीवी पर आती रहती हैं, अगर आपके घर में ट्रामा से जूझ रहे लोग हैं तो उनके सामने इस तरह की खबरें न देखें। इससे उनकी मानसिक हालात बिगड़ सकती है। वहीं, भीड़भाड़ इलाकों में जाने से बचें।

प्रोफेशनल की लें मदद

अगर ट्रामा के लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से मिलना जरूरी है। PTSD का इलाज संभव है और समय रहते मदद ली जाए तो बेहतर रिजल्ट मिल सकते हैं।

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