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स्वास्थ्य के मामले में साल 2024 चुनौतीपूर्ण रहा, खोज-मेडिकल क्षेत्र के नवाचार ने नई उम्मीदें भी दीं

Vaccination in 2024: 2024 अब अपने आखिरी चरणों में पहुंच गया है। इस साल को कई चीजों के लिए लंबे समय तक याद किया जाता रहेगा। सेहत के नजरिए से देखें तो साल 2024 निश्चिच ही कई मामलों में काफी चुनौतीपूर्ण रहा, हालांकि कई खोज और मेडिकल क्षेत्र के नवाचार ने लोगों को नई उम्मीदें भी दीं। संक्रामक बीमारियों जैसे जोंबी और मंकीपॉक्स वायरस ने जहां एक तरफ लोगों को खूब डराया वहीं कोविड और कैंसर की रोकथाम के लिए वैक्सीन से नई उम्मीदें जगीं। अब ये साल खत्म होने वाला है, कुछ ही दिनों में हम नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं ऐसे में आइए इस साल टीकाकरण और उपचार की दिशा में क्या प्रगति हुई इसपर एक नजर डाल लेते हैं। मेडिकल क्षेत्र में नवाचार को लेकर ये साल काफी महत्वपूर्ण रहा है।

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JN.1 के साथ हुई साल की शुरुआत | Vaccination in 2024

साल की शुरुआत कोरोना के एक नए वैरिएंट JN.1 के साथ हुई। यूएस-यूके और भारत सहित कई देशों में इस नए वैरिएंट के कारण संक्रमण के मामलों में तेजी से उछाल देखा गया। जनवरी-फरवरी के महीनों में ओमिक्रॉन के इस सब-वैरिएंट के कारण कई स्थानों पर लोगों में गंभीर रोगों और अस्पताल में भर्ती होने का खतरा भी देखा गया जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने 60 से अधिक की आयु वाले लोगों को एक और कोविड वैक्सीन लेने की सलाह दी। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने कहा, 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोग, जिनके आखिरी टीकाकरण को चार माह से अधिक का समय बीत गया है उन्हें एक और बूस्टर डोज लगवा लेना चाहिए। कोविड की अपडेट की गई वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और भविष्य में संक्रमण की स्थिति में गंभीर रोग के खतरे से बचाने में सहायक हो सकती है।

वैक्सीन पर सवाल भी उठे | Vaccination in 2024

कोविड वैक्सीन्स में वैज्ञानिकों की टीम ने नए वैरिएट्स के अनुरूप बदलाव किया ताकि ओमिक्रॉन के इसके नए सब-वैरिएंट्स से मुकाबला किया जा सके। हालांकि इसके पैरलल वैक्सीन्स को लेकर लोगों के मन में डर भी देखा गया। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि कोविड वैक्सीन लेने वाले लोगों में हृदय रोगों का खतरा बढ़ गया है। रिपोर्ट्स में वैश्विक स्तर पर बढ़ते हृदय रोगों के लिए वैक्सीनेशन को भी एक कारण बताया गया। इस रिपोर्ट ने  दुनियाभर में लोगों में मन में डर बढ़ा दिया। हालांकि बाद में स्वास्थ्य संगठनों ने इन खबरों का खंडन भी किया। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर) ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इसके कारण किसी तरह की समस्या नहीं हो रही है। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी स्पष्ट किया कि कोविड-19 वैक्सीन से हार्ट अटैक का कोई संबंध नहीं है। वैक्सीन न तो हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाती है न ही ये  दिल के दौरे का कारण बनती है। इस तरह की बातों पर विश्वास न करें।

विशेषज्ञों को इस साल बड़ी कामयाबी मिली | Vaccination in 2024

कोविड के उपचार को लेकर किए जा रहे शोध में विशेषज्ञों को इस साल बड़ी कामयाबी भी मिली। जर्नल ऑफ एंटीमाइक्रोबियल कीमोथेरेपी में प्रकाशित शोध की रिपोर्ट में पैक्सलोविड दवा को काफी लाभकारी पाया गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि ये दवा कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को 84 प्रतिशत तक कम कर सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा अगर संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स को लगता है कि रोग गंभीर रूप ले रहा है तो इस दवा को इलाज में शामिल करके खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में बताया गया, जिन मरीजों को इलाज के दौरान पैक्सलोविड दिया गया उनमें अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम कम था।

सर्वाइकल कैंसर और टीकाकरण ने भी बटोरी सुर्खियां | Vaccination in 2024

कोविड-19 के साथ सर्वाइकल कैंसर को लेकर भी इस साल खूब चर्चाएं हुईं। इसको लेकर तब चर्चाएं और भी तेज हो गईं जब 2 फरवरी को अचानक से खबर आई कि एक्ट्रेस और मॉडल पूनम पांडे की सर्वाइकल कैंसर से मौत हो गई है। हालांकि हालांकि 24 घंटे बाद वे खुद सामने आईं और खुलासा किया कि यह उनका पब्लिसिटी स्टंट था। सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उन्होंने ऐसा किया। इस घटना के बाद चर्चा तेज हो गई कि सभी महिलाओं को इस घातक कैंसर से बचाव के लिए ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) टीका जरूर लगवाना चाहिए। इससे पहले बजट 2024-25 में वित्तमंत्री ने देश में वैक्सीनेशन की दर को बढ़ाने का ऐलान भी किया था, जिससे अधिक से अधिक लोगों को इस घातक प्रकार के कैंसर से सुरक्षित रखा जा सके। अध्ययनकर्ताओं ने बताया, एचपीवी वैक्सीनेशन सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते जोखिमों को कम करने में मददगार हो सकती है। टीके 90% से अधिक एचपीवी संक्रमण और कैंसर को कम करने में मददगार पाए गए हैं।

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