महिलाओं में इन वजहों से होते हैं सबसे ज्यादा Miscarriage, लक्षण दिखते ही हो जाएं सावधान!

मां बनना हर महिला के लिए एक खूबसूरत एहसास होता है। प्रेगनेंसी के इस कठिन समय में मां सबसे पहले अपने बच्चे के बारे में सोचती है। उनके मन में बस एक ही चीज रहती है कि सही सलामत उसका बच्चा जन्म ले ले। हालांकि, कई बार शुरुआत के 3 महीनों में ही मिसकैरेज हो जाता है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। डॉक्टर्स की मानें तो मिसकैरेज का पता लगा पाना थोड़ा मुश्किल होता है। मगर, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इन बातों का ख्याल रखा जाए तो गर्भपात यानी Miscarriage से बचा जा सकता है।
दरअसल, मिसकैरेज होना एक मां के लिए सबसे मुश्किल समय होता है। कई बार लापरवाही और कुछ चीजों से अनजान होने के कारण बच्चे को खोना पड़ जाता है। गाइनकॉलजिस्ट एक्सपर्ट की मानें तो प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने सबसे रिस्की होते हैं। इस समय गर्भपात (Miscarriage) होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

मिसकैरेज होने के कारण (Reasons of Miscarriage)
जेनेटिक असामान्यता
हार्मोन इंबैलेंस (जैसे पहले से पीसीओडी होने)
यूटेरस में असामान्यता (कोई रसोली हो)
इंफेक्शन (रूबेला, सीएनवी)
कोई बीमारी (डायबिटीज, थायराइड, हाइपरटेंशन)
लाइफस्टाइल (जैसे- मां ज्यादा स्मोक, शराब या कॉफी पीती हैं)
मेंटल और फिजिकल स्ट्रेस
हेवी वेट उठाना, ज्यादा सोचना
ओवर वेट और अंडर वेट होना
बिना डॉक्टर से पूछे दवाएं लेना।
मिसकैरेज होने के लक्षण (Symptoms of Miscarriage)
गर्भवती महिला को बुखार होना
लोअर एब्डोमिनल पेन
पेल्विक पेन, बैक में दर्द
ब्लीडिंग होना
चक्कर आना और बेहोश होना
वोमिटिंग।
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मिसकैरेज से बचने के लिए इन बातों का रखें ख्याल (Prevention of Miscarriage)
एक्सपर्ट कहती हैं कि गर्भपात से बचने के लिए जैसे ही प्रेगनेंसी के पता लगे अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर मिसकैरेज से बचने के लिए फोलिक एसिड देते हैं। साथ ही डॉक्टर सारे चेकअप कराते हैं, जिससे पता लग जाता है कि मां और बच्चा सुरक्षित है।
लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव लाएं।
स्मोकिंग, शराब, कॉफी, अनानास, कच्चा मीट न खाएं।
बिना डॉक्टर से पूछकर कोई दवा न खाएं।
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं (8 से 10 गिलास)
किसी भी जगह पर ज्यादा देर न बैठें
पोंछा लगाना और भारी सामान नहीं उठाएं
अच्छी नींद लें (आठ घंटे रात में और 2 घंटे दिन में)
प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों में ट्रेवल न करें
खाने की प्लेट में पांच रंग होने चाहिए (सफेद- दूध, दही और पनीर, लाल- सेब, टमाटर, हरा- हरी सब्जी, पीला- नींबू, आदि)
रोजाना मेडिटेशन करें
इंटरकोर्स न करें (पहले 3 महीने)
समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराएं।