Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण की चपेट में है। वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर देखा जाता रहा है। कई लोगों में ये क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा जैसी बीमारियों को बढ़ाने या ट्रिगर करने वाली समस्या भी हो सकती है। आइए जानते हैं कि वायु प्रदूषण किस प्रकार से हमारे फेफड़ों के लिए नुकसानदायक है और इससे सुरक्षित रहने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
वायु गुणवत्ता के पैमाने | Air Pollution
वायु गुणवत्ता खराब होने के बारे में आप भी सुनते आ रहे होंगे। यहां समझना जरूरी है कि कितना एक्यूआई होना किस बात का संकेत है? 0-50 को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर’ एक्यूआई मानी जाती है। फिलहाल दिल्ली की एक्यूआई बहुत खराब स्थिति में बनी हुई है। इस तरह की वायु गुणवत्ता को श्वसन तंत्र के लिए काफी हानिकारक माना जाता है।
इन गंभीर बीमारियों का खतरा | Air Pollution
अमेरिकन लंग्स एसोसिएशन के विशेषज्ञों के मुताबिक लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा और सीओपीडी सहित फेफड़ों की कई बीमारियां हो सकती हैं। अगर आप गर्भवती होने के दौरान उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में आती हैं, तो चाहे आपको अस्थमा हो या न हो, आपके बच्चे को अस्थमा होने की आशंका अधिक हो सकती है। वायु प्रदूषण के कारण ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे फेफड़ों के संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। कुछ अध्ययनों से ये भी पता चलता है कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) जैसे सूक्ष्म कण सांस के माध्यम से फेफड़ों में पहुंचकर फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकते हैं।
हो सकती हैं इस तरह की दिक्कतें| Air Pollution
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को निरंतर वायु प्रदूषण से बचाव के लिए प्रयास करते रहना जरूरी है, विशेषतौर पर जिन स्थानों पर एक्यूआई खराब स्तर की है, वहां पर सभी लोगों को और अधिक सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के कारण आपको कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं। प्रदूषण के कारण सबसे पहले आपको सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है। कुछ अन्य लक्षणों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
- बहुत अधिक खांसी आना और घरघराहट की समस्या।
- नाक और गले में जलन होने की दिक्कत।
- सांस लेते समय दर्द महसूस होना।
- बाहर गतिविधि करते समय आपको अधिक सांस फूलने की समस्या होना।
- अस्थमा अटैक या सीओपीडी के लक्षण बढ़ने की समस्या होना।
बचाव के उपाय | Air Pollution
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, प्रदूषित हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों की मौजूदगी के कारण अल्पकालिक और दीर्घकालिक कई तरह की समस्याओं का खतरा हो सकता है। वायु प्रदूषण और इसके कारण होने वाले जोखिमों से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
- जिन स्थानों पर एक्यूआई बहुत खराब स्तर की है वहां पर बाहर व्यायाम करने से बचें।
- लकड़ी या कचरा न जलाएं।
- वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनना सबसे जरूरी है। अच्छी क्वालिटी के मास्क आपको प्रदूषित हवा से बचा सकते हैं।
जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा या सीओपीडी जैसी समस्या रही है उन्हें हमेशा अपने साथ इनहेलर रखना चाहिए।