ट्राइग्लिसराइड्स भी है दिल के लिए घातक, जानिए High Triglycerides को कैसे करें कंट्रोल?

शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की तरह ट्राइग्लिसराइड्स भी दिल के लिए घातक माना जाता है। ट्राइग्लिसराइड्स और बैड कोलेस्ट्रॉल दोनों ही रक्त में मौजूद वसा के प्रकार हैं, जो हृदय रोग (Heart Disease) का खतरा बढ़ाते हैं। जहां ट्राइग्लिसराइड्स शरीर में ऊर्जा का भंडारण करते हैं तो वहीं, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं तक पहुंचाता है। लेकिन, जब शरीर में इनकी मात्रा बढ़ जाती है तो उस वजह से दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
क्या है ट्राइग्लिसराइड्स? (What is triglycerides?)
ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का वसा है, जो हमारे रक्त में पाई जाती है। जब हम खाना खाते हैं तो शरीर अतिरिक्त कैलोरी को ट्राइग्लिसराइड्स में बदलकर वसा कोशिकाओं में संग्रहित कर लेता है। बाद में शरीर इन वसा भंडारों का उपयोग ऊर्जा के लिए करता है। मगर, जब ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बहुत अधिक हो जाता है तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बन सकता है, खासकर दिल के लिए।

कब बढ़ता है ट्राइग्लिसराइड्स? (When do triglycerides increase?)
ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ने के कई कारण होते हैं। अत्यधिक कैलोरी युक्त भोजन, खासकर वसा और शर्करा से भरपूर आहार, इसका मुख्य कारण है। नियमित रूप से जंक फूड, मीठे पेय और अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से भी ट्राइग्लिसराइड्स तेजी से बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी, धूम्रपान, मधुमेह, थायरॉयड विकार और कुछ दवाओं का सेवन भी इसके स्तर को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा किडनी के विकारों में भी ब्लड ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर बढ़ सकते हैं। साथ ही एक अन्य प्रमुख कारण इसका आनुवंशिक संबंध भी हो सकता है। फैमिलियल हाइपर ट्राइग्लिसराइडेमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक ही परिवार के कई सदस्यों में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ा हुआ पाया जाता है। ऐसे मामलों में व्यक्ति को जन्मजात रूप से ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने की प्रवृत्ति होती है।
कितना होना चाहिए ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर? (What should the level of triglycerides be?)
ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर की सामान्य सीमा को भी जानना बेहद जरूरी है। सामान्यत: रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम होना चाहिए। यदि यह स्तर 150 से 200 के बीच है तो इसे बॉर्डरलाइन माना जाता है, 200 से 500 के बीच उच्च और 500 से अधिक होने पर बहुत उच्च श्रेणी में रखा जाता है। यदि किसी व्यक्ति का ट्राइग्लिसराइड्स स्तर 500 से अधिक हो जाए, तो यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है और तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।
यह भी पढ़ें: Kailash Mansarovar Yatra की कर रहे हैं प्लानिंग तो जान लीजिए फिट रहना क्यों है जरूरी?
हाई ट्राइग्लिसराइड्स होने पर क्या होता है? (What happens if you have high triglycerides?)
ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर दिल के लिए अत्यंत घातक है। यह धमनियों में वसा जमा होने की प्रक्रिया (एथेरोस्क्लेरोसिस) को तेज कर सकता है, जिससे दिल की धमनियां संकरी हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोगों का खतरा काफी बढ़ जाता है। उच्च ट्राइग्लिसराइड्स अक्सर उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे अन्य जोखिम कारकों के साथ भी जुड़े होते हैं, जो दिल की सेहत को और बिगाड़ते हैं।
ट्राइग्लिसराइड्स कैसे होगा कम? (How will triglycerides be reduced?)
ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे पहला उपाय जीवनशैली में बदलाव करना है। संतुलित और कम वसा वाला आहार लेना बेहद जरूरी है।
भोजन में हरी सब्जियों, फलों, साबुत अनाज और अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन का सेवन बढ़ाना चाहिए। तली-भुनी चीजों, शक्करयुक्त पेयों और शराब से बचना चाहिए।
साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करना अत्यंत फायदेमंद है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की मध्यम स्तर की शारीरिक गतिविधि जैसे तेज चलना, साइक्लिंग या तैराकी करने की सलाह दी जाती है।
वजन नियंत्रित करना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। शरीर के वजन में 5 से 10 प्रतिशत की कमी करने से ही ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर काफी हद तक घटाया जा सकता है।
यदि जीवनशैली में बदलाव के बावजूद ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर सामान्य नहीं होता, तो डॉक्टर की सलाह से दवाइयों का सहारा भी लिया जा सकता है।
ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर शरीर में संतुलित बनाए रखना दिल की सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक है। समय पर जांच कराना, सही खानपान अपनाना और सक्रिय जीवनशैली जीना इस जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
यदि किसी को ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने के लक्षण महसूस हों तो बिना देर किए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।