UP News: स्टॉप डायरिया अभियान के जरिए जगाई जा रही जागरूकता की अलख
- डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओरआरएस से रखें अपना ध्यान थीम पर चलाया जा रहा अभियान

Stop Diarrhoea campaign 2025: शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाना योगी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए पूरे प्रदेश में डायरिया रोको अभियान (स्टॉप डायरिया कैम्पेन) चलाया जा रहा है। 31 जुलाई तक चलने वाले अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से डायरिया के प्रति जन जागरूकता की अलख जगाई जा रही है। डायरिया से बचाव, कारण, रोकथाम व उपचार से जुड़े संदेशों वाले पोस्टर-बैनर व आडियो/वीडियो से सुसज्जित वाहन गली-मोहल्लों में पहुंच रहे हैं और लोगों को जागरूक बना रहे हैं। स्कूली बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित कर जागरूकता के सन्देश जन-जन तक पहुंचाए जा रहे हैं। दीवार लेखन और सार्वजनिक स्थलों पर ओआरएस- जिंक कार्नर बनाए गए हैं, निजी अस्पतालों को भी इस अभियान से जोड़ा गया है।
डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम का किया जा रहा संचालन | Stop Diarrhoea campaign 2025
सरकार द्वारा डायरिया के प्रति समुदाय स्तर पर जनजागरूकता बढ़ाने, लोगों को ओआरएस और जिंक की महत्ता को भलीभांति समझाने के लिए पूरे प्रदेश में वृहद स्तर पर चलाये जा रहे स्टॉप डायरिया कैम्पेन की इस साल की थीम डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान तय की गयी है। अभियान का उद्देश्य बच्चों में डायरिया की रोकथाम, ओआरएस व जिंक के उपयोग को प्रोत्साहन और जनसामान्य में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसके तहत जिलों में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं, जिसमें विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं भी स्वास्थ्य विभाग के सहयोग में जुटी हैं। पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इण्डिया (पीएसआई इण्डिया) और केनव्यू ने स्टॉप डायरिया कैम्पेन में सहयोग के लिए “डायरिया से डर नहीं” जैसा कार्यक्रम संचालित कर एक अनूठी पहल की है।
स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस और जिंक कार्नर बनाए गए | Stop Diarrhoea campaign 2025
सीएम योगी के निर्देश पर पीएसआई इण्डिया पहले चरण में प्रदेश के सात जिलों फिरोजाबाद, मथुरा, मुरादाबाद, बदायूं, उन्नाव, गोंडा और श्रावस्ती में शुरू की गयी है। इसके तहत स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओआरएस और जिंक कार्नर बनाये गए हैं, निजी अस्पतालों का भी इसमें सहयोग लिया जा रहा है और उनसे क्लिनिक में ओआरएस कार्नर बनाने व डायरिया केस की रिपोर्टिंग की अपील की जा रही है। प्रचार वाहन भी समुदाय के बीच पहुंचकर लोगों को डायरिया के लक्षण, कारण और बचाव आदि के बारे में जागरूक कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थलों जैसे- बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन आदि पर ओआरएस कार्नर बनाये गए हैं और जगह-जगह हस्ताक्षर अभियान भी चलाये जा रहे हैं। सार्वजनिक स्थलों और स्वास्थ्य केन्द्रों पर दीवार लेखन के माध्यम से भी जन-जन को जागरूक किया जा रहा है कि डायरिया से डरने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है और डायरिया होने पर बच्चे को जल्द से जल्द ओआरएस का घोल और जिंक का टेबलेट देना है। फ्रंट लाइन वर्कर का अभिमुखीकरण भी किया गया है ताकि वह लोगों को अच्छी तरह से परामर्श प्रदान कर सकें।
मृत्यु दर की प्रमुख वजहों में शामिल है डायरिया | Stop Diarrhoea campaign 2025
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि डायरिया आज भी देश में खास तौर पर कमजोर आबादी और पांच साल से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मौजूद है। यह बीमारी और मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक बना हुआ है। रोकथाम ही दस्त प्रबन्धन की कुंजी है। डायरिया के रोकथाम के लिए मुख्य गतिविधियों में सुरक्षित पेयजल तक पहुँच, बेहतर स्वच्छता, साबुन-पानी से अच्छी तरह से हाथ धोना, पर्याप्त पोषण जिसमें केवल स्तनपान और पूरक आहार शामिल हों , इसके अलावा समय पर बच्चे का टीकाकरण भी कराना शामिल है। इसके साथ ही ओआरएस और जिंक के साथ प्राथमिक उपचार शीघ्र स्वस्थ होने और निवारक उपायों के माध्यम से मृत्यु से बचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आशा कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार की जा रही बच्चों की सूची | Stop Diarrhoea campaign 2025
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर दस्त की रोकथाम, उपचार और प्रबन्धन से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए हर साल डायरिया रोको अभियान (स्टॉप डायरिया कैम्पेन) चलाया जाता है। हर साल की भांति इस साल भी 16 जून से 31 जुलाई तक यह अभियान पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। अभियान से पूर्व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गांव के पांच साल तक के बच्चों की सूची तैयार कराई जा चुकी थी, ऐसे बच्चों वाले घरों के सदस्यों को ओआरएस और जिंक की महत्ता को भलीभांति समझाया गया है । ओआरएस के पैकेट भी इन बच्चों के परिवार वालों को प्रदान किये गए हैं कि ताकि आपात स्थिति में वह उसका आसानी से इस्तेमाल कर सकें।
मां का दूध पीने वाले बच्चे को दस्त के दौरान भी कराएं स्तनपान | Stop Diarrhoea campaign 2025
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम डॉ. मिलिंद वर्धन का कहना है कि आज भी शून्य से पांच साल तक के बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण डायरिया है, जबकि दस्त की रोकथाम और उपचार पूरी तरह संभव है। बच्चे को दिन भर में तीन या तीन से अधिक बार दस्त हो तो समझना चाहिए कि बच्चा डायरिया से ग्रसित है और ऐसे में उसको तत्काल ओआरएस का घोल देना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न होने पाए, साथ ही निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करना चाहिए। इसके साथ ही जिंक टेबलेट उम्र के मुताबिक़ निर्धारित खुराक और निर्धारित अवधि तक देना शुरू कर देना चाहिए। ओआरएस जहां शरीर में पानी की कमी को दूर करता है वहीं जिंक दस्त की अवधि को कम करता है। इसके साथ ही बच्चे की इम्युनिटी को भी मजबूत बनाता है। डायरिया के दौरान यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि मां का दूध पीने वाले बच्चे को दस्त के दौरान भी स्तनपान जारी रखें । मां का दूध बच्चे को पोषण और ताकत देता है।
साबुन और पानी से अच्छी तरह धाेएं हाथ | Stop Diarrhoea campaign 2025
पीएसआई इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुकेश शर्मा का कहना है कि बारिश और उमस में बच्चा डायरिया की चपेट में कई कारणों से आ सकता है, जैसे- दूषित जल पीने से, दूषित हाथों से भोजन बनाने या बच्चे को खाना खिलाने, खुले में शौच करने या बच्चों के मल का ठीक से निस्तारण न करने आदि से। इसलिए शौच और बच्चों का मल साफ़ करने के बाद, भोजन बनाने और खिलाने से पहले हाथों को साबुन-पानी से अच्छी तरह अवश्य धुलें।