Pregnancy में कब करवाना चाहिए पहला अल्ट्रासाउंड? कई महिलाएं इस बात से हैं अनजान

गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान पहला अल्ट्रासाउंड, जिसे डेटिंग या प्राइमरी स्कैन कहा जाता है, समय पर करवा लेना चाहिए। आमतौर पर गर्भावस्था की पुष्टि करने, नियत तारीख निर्धारित करने और भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच करने के लिए गर्भावस्था के 7 से 8 सप्ताह के बीच पहला स्कैन निर्धारित किया जाता है जबकि, अल्ट्रासाउंड पहले भी किए जा सकते हैं। अधिकांश डॉक्टर पहला अल्ट्रासाउंड करने के लिए करीब 6-8 सप्ताह तक प्रतीक्षा करते हैं, जिससे भ्रूण का विकास ठीक ढंग से हो जाए और उसका सटीक आकलन किया जाए।
अल्ट्रासाउंड करवाने से होने वाले फायदे
गर्भावस्था की पुष्टि करें– अल्ट्रासाउंड यह पुष्टि करने में मदद करता है कि गर्भावस्था वास्तव में मौजूद है और व्यवहार्य है।
बच्चे की साइज- बच्चे के आकार (सिर से पैर तक की लंबाई) को मापकर, अल्ट्रासाउंड अधिक सटीक अनुमानित नियत तिथि निर्धारित करने में मदद करता है। खासकर अगर महिला के मासिक धर्म अनियमित हैं।
भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच करें- अल्ट्रासाउंड भ्रूण के दिल की धड़कन की उपस्थिति को देख और पुष्टि कर सकता है।
गर्भाशय के बाहर तो बच्चा नहीं है- अल्ट्रासाउंड यह भी निर्धारित कर सकता है कि गर्भावस्था एक या कई शिशुओं की है। अल्ट्रासाउंड एक्टोपिक प्रेगनेंसी (गर्भाशय के बाहर गर्भावस्था) या गर्भपात जैसी जटिलताओं के लक्षणों की पहचान करने में मदद कर सकता है।

अल्ट्रासाउंड के प्रकार
ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड- इस प्रकार के अल्ट्रासाउंड का उपयोग अक्सर गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में बेहतर दृश्य के लिए किया जाता है।
ट्रांसएब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड- इस प्रकार के अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भावस्था के बाद के चरणों में किया जाता है, जहां भ्रूण को देखना आसान हो सकता है।
क्या उम्मीद करें- ट्रांसएब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड के लिए आपको मूत्राशय भरा हुआ होने के लिए कहा जा सकता है।
पहला अल्ट्रासाउंड होता है जरूरी
गर्भावस्था के दौरान करवाया जाने वाला पहला अल्ट्रासाउंड बेहद महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर डॉक्टर गर्भाधान के 6 से 8 हफ्ते बाद पहला अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं। इस अल्ट्रासाउंड का मुख्य उद्देश्य गर्भ नलिका और गर्भस्थ शिशु की स्थिति की जांच करना होता है। यह जांच करता है कि गर्भ नलिका सही जगह पर है या नहीं, गर्भस्थ शिशु का विकास सही हो रहा है या नहीं, गर्भस्थ शिशु की धड़कन सामान्य है या नहीं आदि। यदि कोई समस्या हो तो इस अल्ट्रासाउंड से पहले ही पता लगाकर उचित इलाज किया जा सकता है, इसलिए गर्भावस्था के पहले तिमाही में अल्ट्रासाउंड करवाना बेहद जरूरी होता है।
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कब करवाना चाहिए दूसरा अल्ट्रासाउंड?
अल्ट्रासाउंड एक सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है, जो शिशु की छवियां बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है। कई महिलाएं शिशु के अंग विकास का आकलन करने के लिए 18 से 22 सप्ताह के बीच दूसरा अल्ट्रासाउंड भी करवाती हैं, जिसे अक्सर “मॉर्फोलॉजी स्कैन” या “एनाटॉमिक स्कैन” कहा जाता है। शिशु की स्थिति और समग्र विकास की जांच करने के लिए 32 से 36 सप्ताह के बीच तीसरी तिमाही का अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।