WHO Alert: दुनियाभर में करोड़ों बच्चों पर मंडरा रहा है इस घातक रोग का खतरा

Measles Outbreak: पिछले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया एक के बाद एक गंभीर संक्रामक रोगों की चपेट में आई है। इन बीमारियों की तेज रफ्तार ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया बल्कि उन लोगों की भी मुश्किलें और बढ़ा दीं जो पहले से ही मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर जैसे दीर्घकालिक रोगों से जूझ रहे थे। स्वास्थ्य सेवाओं का फोकस जब इन नए संक्रमणों से लड़ने में लगा रहा, तब पुरानी बीमारियों के इलाज और निगरानी में गिरावट देखने को मिली।
सबसे चिंताजनक बात यह रही कि बचपन में लगने वाले टीकों का नियमित कार्यक्रम, जो कई जानलेवा रोगों को रोकने की एक मजबूत कड़ी था, वह भी इस दौर में बुरी तरह बाधित हुआ। इसकी वजह से अब उन रोगों के मामले फिर से बढ़ रहे है, जिन्हें हमने दशकों की मेहनत से लगभग खत्म कर दिया था। एक हालिया रिपोर्ट में चिंता जताते हुए विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि महामारी के दौरान नियमित वैक्सीन की प्रभावित हुई रफ्तार के कारण दुनियाभर में 3 करोड़ से अधिक बच्चों पर खसरा (मीजल्स) रोग का जोखिम फिर से मंडराने लगा है।
वैक्सीनेशन में आई गिरावट! | Measles Outbreak
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शिशु टीकाकरण दरों में गिरावट के कारण दुनियाभर में करोड़ों बच्चे गंभीर बीमारी और मृत्यु के बढ़ते खतरे का सामना कर रहे हैं। मीजल्स, मम्प्स और रूबेला (एमएमआर) वैक्सीनेशन में गिरावट के कारण ब्रिटेन सबसे अधिक प्रभावित देश माना जा रहा है, जहां बच्चों में खसरा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में 3 करोड़ से ज्यादा बच्चों को पूरी तरह से एमएमआर वैक्सीन नहीं लगाया गया है वहीं 1.43 करोड़ बच्चों को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है। आलम ये है कि जिस ब्रिटेन को साल 2017 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मीजल्स फ्री घोषित कर दिया था, वहां इस रोग के मामले फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं।
यूरोप और मध्य एशिया के 53 देशों में किए गए सर्वे में पाया गया है कि यहां टीकाकरण कवरेज 2019 के स्तर की तुलना में औसतन एक प्रतिशत कम रहा। 2024 में, इनमें से ज्यादातर देश खसरे से प्रतिरक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यक 95% टीकाकरण दर को भी पूरा नहीं कर पाए, लगभग एक तिहाई देशों ने 90% से कम कवरेज की सूचना दी। वैक्सीनेशन में ब्रिटेन का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। 2024 में केवल 89% बच्चों को ही पहला एमएमआर टीका लगाया गया, जबकि जर्मनी में यह संख्या 96%, फ्रांस, इटली और जापान में 95% और अमेरिका और कनाडा में 92% थी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जताई चिंता | Measles Outbreak
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दुनियाभर में खसरे के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, ये स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ा जोखिम बनकर उभरता हुआ देखा जा रहा है। विशेषज्ञों की टीम कहती है, खसरा सबसे संक्रामक रोगों में से एक है। वैक्सीन कवरेज में मामूली गिरावट भी विनाशकारी उछाल ला सकती है। हर बच्चे की सुरक्षा के लिए, हमें हर देश में, हर जिले में वैक्सीनेशन कवरेज बढ़ाने की जरूरत है। यूरोप में विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. हंस क्लूज कहते हैं- पिछले साल ही, हमारे क्षेत्र में लगभग 3 लाख से ज्यादा लोगों को काली खांसी हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना से भी ज्यादा है। इस बीच 2024 में 1.25 से ज्यादा खसरा के मामले देखे गए जो 2023 की तुलना में दोगुना है। ये सिर्फ संख्याएं नहीं हैं, बल्कि लाखों परिवार इस पीड़ा में हैं कि उनके बच्चे बीमार हैं जबकि थोड़ी सी सावधानी से इसे रोका जा सकता था।”
भारत के लिए भी चिंता | Measles Outbreak
भारत कुछ दशकों पहले तक खतरा से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक रहा था, हालांकि टीकाकरण को बढ़ावा देकर इस रोग के जोखिमों को पिछले वर्षों में काफी कम कर दिया गया था। आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 से 2021 के बीच भारत में खसरे के मामलों में 62% की गिरावट आई, इस दौरान प्रति दस लाख जनसंख्या पर 10.4 से घटकर 4 मामले रह गए थे। हालांकि महामारी के दौरान राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान पर भी असर देखा गया जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे खसरे के टीके से चूक गए। लिहाजा देश के कई हिस्सों से पिछले दिनों बच्चों में खसरा के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। इसको लेकर विशेषज्ञों की टीम ने अलर्ट किया है।