महिलाओं को बच्चेदानी (Uterus) में गांठ होने की समस्या सबसे अधिक परेशान करती है। औसतन हर पांच महिलाओं में से एक को बच्चेदानी में गांठ (Fibroids in Uterus) हो सकती है। हालांकि, ये गांठ कैंसरस हो इसकी संभावना बहुत कम होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो 10 हजार में से किसी एक मामले में ही फायब्रॉयड कैंसर बनता है। दरअसल, फायब्रॉइड्स गर्भाशय में बनने वाले ट्यूमर्स (Tumors) को कहते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे गर्भाशय में रसौली कहा जाता है। हालांकि, ये कितना खतरनाक है ये फायब्रॉइड्स के आकार और स्थिति के ऊपर निर्भर करता है।
गर्भाशय में गांठ या रसौली क्यों होती है? (What Causes Lumps in the Uterus?)
सामान्य तौर पर 25 साल से 40 साल के बीच में महिलाओं को ये समस्या हो सकती है। खासतौर से उन महिलाओं में गांठ होने की संभावना अधिक होती है, जिनमें एस्ट्रोजन अधिक होता है। फायब्रॉइड होने के कोई ठोस कारण पता नहीं है, लेकिन वजन बढ़ने के कारण, हार्मोनल बदलाव के कारण और कई बार आनुवांशिक कारणों से भी ऐसा होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
बच्चेदानी में गांठ होने के लक्षण (Symptoms of Lumps in the Uterus)
पीरियड्स में ब्लीडिंग ज्यादा होना
पेट में नीचे और पीठ में तेज दर्द होना
बार-बार पेशाब जाना
रिलेशन बनाते वक्त दर्द होना
पीरियड्स ज्यादा दिनों तक चलना
पेट में नीचे की ओर भारीपन रहना
कमजोरी महसूस होना
पेट में सूजन और कब्ज रहना
एनीमिया और पैरों में दर्द होना
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क्या है गर्भाशय फाइब्रॉइड का इलाज? (What is the treatment for uterine fibroids?)
गर्भाशय फाइब्रॉइड के इलाज की बात करें तो ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपके शरीर में कैसे लक्षण दिख रहे हैं। अगर गांठ होने पर कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो किसी सर्जरी की जरूरत नहीं है। आप लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इसे मैनेज कर सकते हैं। हालांकि, फिर भी आपको डॉक्टर से नियमित जांच करवाते रहना जरूरी है। वहीं, अगर मीनोपॉज नजदीक है तो ये फाइब्रॉइड अपने आप सिकुड़ने लगते हैं। लेकिन, अगर फाइब्रॉइड बड़े आकार का है तो इसके लिए दवाएं और लेजर सर्जरी की जरूरत हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान गांठ होने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसी स्थिति में कई बार सी सेक्शन से ही बच्चा होता है।