Women’s Day 2025: पिछले 25-30 वर्षों में वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ा है। नॉन कम्युनिकेबल डिजीज हों या संक्रामक बीमारियां, ये दोनों स्वास्थ्य क्षेत्र पर लगातार दबाव बढ़ाती जा रही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से ये दिन मनाया जाता है। ये दिन महिलाओं की सेहत से संबंधित चुनौतियों पर भी ध्यान देने का है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, दुनियाभर में महिलाएं हार्मोनल उतार-चढ़ाव, पोषण में कमी और लाइफस्टाइल से संबंधित समस्याओं के कारण कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का शिकार होती जा रही हैं। आर्थराइटिस हो या डायबिटीज, एनीमिया हो या मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं, महिलाओं में इन सभी विकारों की दर को बढ़ते हुए देखा गया है। आने वाले वर्षों में इन समस्याओं की दर और भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है जिसको ध्यान में रखते हुए कम उम्र से ही कुछ सावधानियां जरूर बरतें। महिलाओं की सेहत से पूरे परिवार का सेहत जुड़ा हुआ होता है इसलिए इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देना और भी जरूरी हो जाता है।
30 वर्षों में दुनियाभर की महिलाओं में ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या बढ़ी | Women’s Day 2025
महिलाओं पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है। हालांकि जिस तरह से महिलाओं में हड्डियों से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ता जा रहा है, इससे दैनिक जीवन में कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले 30 वर्षों में दुनियाभर की महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस और इसके कारण होने वाली जटिलताओं के मामले 130% से अधिक बढ़ गए हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण जोड़ों के बीच की कार्टिलेज धीरे-धीरे खराब होने लगती है। इससे जोड़ों में दर्द, सूजन का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, मेनोपॉज की उम्र के बाद महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं। मेनोपॉज (अमूमन 55 की उम्र के बाद) के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है जिसे ऑस्टियोआर्थराइटिस का बड़ा कारण माना जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस की स्थिति दैनिक जीवन के सामान्य काम-काज, यहां तक कि चलने-उठने में भी बाधा उत्पन्न कर देती है।
तीन दशकों में मधुमेह के मामले भी हो गए दोगुने | Women’s Day 2025
आर्थराइटिस के साथ-साथ महिलाओं में डायबिटीज के मामले भी काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। द लैंसेंट के अध्ययन से पता चलता है कि साल 1990 से 2022 तक, पुरुषों (1990 में 6.8% से 2022 में 14.3%) और महिलाओं (6.9% से 13.9%) दोनों में वैश्विक स्तर पर मधुमेह की दरें दोगुनी हो गई हैं। साल 1990 में जहां 198 मिलियन (19.8 करोड़) लोग इसके शिकार थे, वहीं 2022 में मधुमेह से पीड़ित वयस्कों की अनुमानित संख्या 630 करोड़ बढ़कर करीब 828 मिलियन (82.8 करोड़) हो गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है। स्टडी के अनुसार देश में 50% लोगों को अपने ब्लड शुगर लेवल की जानकारी ही नहीं होती है। अनियंत्रित डायबिटीज किडनी से लेकर आंख के लिए खतरा पैदा करती है।

महिलाओं में एनीमिया की स्थिति बढ़ा रही है गंभीर चुनौतियां | Women’s Day 2025
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (NFHS-5) के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 57% महिलाओं में एनीमिया का खतरा रहता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनीमिया अधिक आम है। महिलाएं अपनी दिनचर्या, हार्मोनल बदलाव और शरीर की संरचना के कारण कुछ बीमारियों को लेकर विशेष संवेदनशील होती हैं। ग्रामीण और अशिक्षित महिलाओं में ये समस्या और अधिक देखी जाती है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी, अपर्याप्त पोषण इसका प्रमुख कारण है। एनीमिया की स्थिति प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव, नवजात शिशु का वजन कम होने और मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा जैसी दिक्कतें बढ़ा सकती है।
महिलाएं सेहत का कैसे रखें ध्यान? | Women’s Day 2025
महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए, नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार, पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन और नियमित जांच बहुत जरूरी है। आनुवांशिकता और हार्मोनल समस्याओं के कारण महिलाओं में स्वास्थ्य समस्याएं और भी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इसके लिए कुछ बातों पर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी हो गया है।
- संतुलित आहार लें। फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्वस्थ वसा को प्राथमिकता दें।
- खान-पान के साथ हाइड्रेशन पर भी विशेष ध्यान दें। दिनभर में खूब पानी पिएं।
- प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों, मीठे पेय और अस्वास्थ्यकर वसा का सेवन कम से कम करें।
- सुनिश्चित करें कि आहार से आपको आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हों। विशेष रूप से मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान ये और भी जरूरी हो जाता है।
- नियमित व्यायाम भी बहुत जरूरी है। इससे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ आर्थराइटिस के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।