एपिलेप्सी एक क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें दिमाग का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है। मिर्गी आने पर दिमाग की एल्क्ट्रिकल एक्टिविटी खराब हो जाती है, जिससे लोगों को बार-बार दौरा पड़ता है। इस बीमारी में लोगों का दिमाग संतुलन बिगड़ जाता है और लोगों को कभी भी दौरा पड़ सकता है। बहुत-से लोगों को इस बीमारी के बारे में ठीक से पता नहीं होता है। बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एसोसिएट डायरेक्टर और न्यूरोलॉजी हेड न्यूरो इंटरवेंशन डॉ. विनित बंगा है ने बताया है कि मिर्गी का दौरा क्यों पड़ता है। इसके लक्षण क्या हैं और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है?
कितने प्रकार की होती है मिर्गी
मिर्गी दो प्रकार की होती है। पहला है जनरलाइज्ड एपिलेप्सी जो बहुत ज़्यादा खतरनाक है। यह मरीज के पूरे दिमाग को प्रभावित करता है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है। इस कंडीशन में लोग अपने होश में नहीं होते हैं और उनका शरीर लड़खड़ाने लगता है। ये तब तक चलता रहता है जब तक कि वो बेहोश न हो जाएं। दूसरा है फोकल एपिलेप्सी, इसमें मरीज के कुछ बॉडी पार्ट्स प्रभावित होते हैं। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर।
मिर्गी के लक्षण
- बेहोशी आना
- गिर पड़ना
- मुँह में झटके आना
- हाथ-पांव में झटके आना
Also Read – बीमार होने पर भी करते हैं काम, तो संभल जायें वरना हो सकती है बड़ी मुसीबत
मिर्गी आने के कारण
मिर्गी कई कारणों से होती है। कुछ मामले आनुवंशिकी तो कुछ दिमाग में चोट लगने, संक्रमण या यहां तक कि विकास संबंधी विकारों की वजह से भी होता है। डॉक्टर के मुताबिक, हर व्यक्ति में एपिलेप्सी अलग-अलग तरह से और कारणों से ट्रिगर करती है। ऐसे में कई बार रोगियों में मिर्गी के सही कारणों का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। दिमाग में गंभीर चोट लगने या चोट के निशान रह जाने पर भी लोगों को मिर्गी का दौरे पड़ने लगते है। साथ ही तनाव, नींद की कमी, नशीली दवाओं के सेवन और जेनेटिक कारणों से भी यह बीमारी ट्रिगर होती है। मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है।
मिर्गी ठीक करने के उपाय
मिर्गी एक जटिल न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है, इसलिए ठीक करने के लिए डॉक्टर की बताई दवा समय पर और नियमित रूप से खाएं। साथ ही अपनी जीवनशैली को बेहतर करें। तनाव और चिंता कम करें। संतुलित आहार खाएं, शराब और नशीली चीजों से दूर रहें। कुछ केस में सर्जिकल हस्तक्षेप की ज़रूरत पड़ सकती है। वहीं मिर्गी से पीड़ित कई मरीज अगर इन सभी चीज़ों का ध्यान रखें तो एक बेहतर जीवन जी सकते हैं।