World Heart Day 2025: मासूमों के दिल की सेहत खतरे में, बच्चे हाई ट्राइग्लिसराइड्स का शिकार

Heart Problem: हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती देखी जा रही हैं। पहले इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारी माना जाता था हालांकि अब किशोर और कम उम्र के बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। हृदय रोग, वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी को इसका प्रमुख कारण माना जाता रहा है। डॉक्टर्स कहते हैं, बच्चों में बढ़ते हृदय रोगों के मामले काफी चिंताजनक हैं, जिसको लेकर हम सभी को अलर्ट हो जाना चाहिए।
हृदय संबंधी रोगों (सीवीडी) के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने और बेहतर खानपान-व्यायाम के माध्यम से हृदय स्वास्थ्य को ठीक रखने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे (विश्व हृदय दिवस) मनाया जाता है। बच्चों में बढ़ते मोटापा और ब्लड प्रेशर की समस्या पहले से ही चिंता का कारण रही है, ये हृदय रोगों का प्रमुख कारण हैं। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बच्चों में बढ़ती ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या के लेकर अलर्ट किया है।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार देश के 5-9 वर्ष की आयु के करीब एक-तिहाई बच्चों में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर सामान्य से अधिक देखा गया है, जो उनमें हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है। अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान न दिया गया तो भविष्य में ये गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियां पैदा कर सकती है।
इन राज्यों के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित | Heart Problem
रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में बच्चों में हाई ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या सबसे अधिक देखी गई है। पश्चिम बंगाल में 67 प्रतिशत से ज्यादा, सिक्किम में 64 प्रतिशत, नागालैंड में 55 प्रतिशत, असम में 57 प्रतिशत और जम्मू-कश्मीर में 50 प्रतिशत बच्चों में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर उच्च होने का अनुमान है। केरल और महाराष्ट्र क्रमशः 16.6 प्रतिशत और 19.1 प्रतिशत के साथ सबसे कम स्तर वाले राज्यों में शामिल हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि ये स्थिति इन बच्चों को वयस्कावस्था की उम्र में हृदय रोगों का शिकार बना सकती है।
पहले जान लीजिए कि ट्राइग्लिसराइड्स क्या है? | Heart Problem
ट्राइग्लिसराइड्स हमारे रक्त में मौजूद एक प्रकार का फैट है जो आगे चलकर हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है। ये भोजन और संचित ऊर्जा से निर्मित होती है। ट्राइग्लिसराइड्स वैसे तो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इनका उच्च स्तर हृदय रोग, स्ट्रोक और मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिमों को बढ़ाने वाला हो सकता है। जब हम जरूरत से ज्यादा कैलोरी वाली चीजें (खासकर चीनी और अस्वस्थ फैट) का सेवन करते हैं, तो वही अतिरिक्त ऊर्जा ट्राइग्लिसराइड्स के रूप में शरीर में जमा हो जाती है। जब इसकी मात्रा खून में लगातार बढ़ने लगती है, तो यही फैट धीरे-धीरे धमनियों की दीवारों पर जमा होकर प्लाक बना देता है। यह प्लाक ब्लॉकेज पैदा कर हृदय रोग, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ा देता है। 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम के ट्राइग्लिसराइड्स स्तर को सामान्य माना जाता है। 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सामान्य ट्राइग्लिसराइड का स्तर 75 मिलीग्राम से कम होता है।
बच्चों में मृत्यु का खतरा | Heart Problem
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 25 सितंबर को चंडीगढ़ में केंद्रीय एवं राज्य सांख्यिकी संगठनों (CoCSSO) के 29वें सम्मेलन के दौरान ‘भारत में बच्चे 2025’ की रिपोर्ट जारी की गई। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 और व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण 2016-18 जैसे सरकारी मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से एकत्रित आंकड़ों को इसमें संकलित किया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन की स्थिति नवजात शिशुओं में जीवन के पहले 29 दिनों में मृत्यु का सबसे आम कारण है। जन्म के समय श्वासावरोध (पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना), जन्म के दौरान चोट-निमोनिया क्रमशः 16 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की व्यापकता के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा गया है।
ट्राइग्लिसराइड्स कम रखने वाले उपाय जरूरी | Heart Problem
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ब्लड प्रेशर-ट्राइग्लिसराइड्स को बचपन से ही नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। अगर बचपन से हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम और संतुलित जीवनशैली अपनाई जाए तो आगे चलकर दिल की बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए कुछ उपाय जरूरी हैं।
-
बच्चों को जंक फूड और मीठे पेय कम से कम दें।
-
रोजाना फलों, हरी सब्जियों और साबुत अनाज की आदत डालें।
-
टीवी और मोबाइल पर कम समय, बाहर खेलने और शारीरिक गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी है।
-
परिवार में हेल्दी ईटिंग कल्चर को बढ़ावा दें।
-
समय पर सोने-जागने और तनाव को कम करने के उपाय सिखाने जरूरी है।