सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है, जिसमें रोगी अक्सर भ्रम की स्थिति में रहता है। इस बीमारी में व्यक्ति वास्तविकता को स्वीकार नहीं करता है और दूसरों से खुद को अलग कर लेता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को सोच, भावना और व्यवहार में असामान्य बदलाव आ जाते हैं, जिसके कारण उसका दैनिक जीवन प्रभावित होता है। परिवार और समाज के साथ तालमेल ना बैठ पाने के कारण सिजोफ्रेनिया के मरीज अक्सर अपनी जिंदगी से निराश हो जाते हैं। ऐसे में, उन्हें अधिक देखभाल और ध्यान की जरूरत होती है। अगर आपके परिवार या आसपास कोई सिजोफ्रेनिया का रोगी है, तो आपका सहयोग उनकी जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है।
हर साल दुनियाभर में 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है। इस बार विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर हम जानेंगे कि सिजोफ्रेनिया के मरीजों की देखभाल कैसे करें? इस विषय पर मणिपाल हॉस्पिटल, पटियाला के मनोचिकित्सक डॉ योसेफ काले ने खास जानकारी दी है।
सिजोफ्रेनिया के लक्षण
- पीड़ित व्यक्ति को किसी से बातचीत करना पसंद नहीं होता
- सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति हर समय उदास रहता है
- व्यक्ति अक्सर भ्रम की स्थिति में रहता है
- सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति का व्यवहार असामान्य होता है
- व्यक्ति आम लोगों की तरह सुख दुख महसूस नहीं कर पाता
- सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति भूख-प्यास का ख्याल नहीं रख पाता
कैसे करें सिजोफ्रेनिया मरीज की देखभाल
सिजोफ्रेनिया के बारे में जितना हो सके, उतना जानें। इससे आपको इस विकार को समझने और इसके लक्षणों को पहचानने में मदद मिलेगी।
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सिजोफ्रेनिया के मरीज की देखभाल करने के लिए सबसे पहले आपको इस रोग के बारे में जानना जरूरी है। इससे आपको इस बीमारी को समझने और इसके लक्षणों को पहचानने में मदद मिलेगी।
सिजोफ्रेनिया के मरीज का व्यवहार असामान्य होता है। वह अक्सर किसी से बातचीत करना पसंद नहीं करता है और अपनी ही दुनिया में मग्न रहता है। ऐसा हो सकता है कि वे आपकी बातों या भावनाओं को न समझ पाए। ऐसे में, मरीज के साथ धैर्य और सहानुभूति से पेश आएं। उनके अनुभवों और भावनाओं को समझने की कोशिश करें। उनकी बातों को ध्यान से सुनें और उन्हें यह महसूस कराएं कि आप उनके साथ हैं।
सिजोफ्रेनिया के मरीज को डॉक्टर से नियमित परामर्श लेना जरूरी है। ऐसे में, सुनिश्चित करें कि मरीज नियमित रूप से दवा का सेवन करे और डॉक्टर की सलाह का पालन करे। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं को बंद करना या बदलना नहीं चाहिए।
सिजोफ्रेनिया के मरीजों में जीवन के प्रति बहुत कम प्रेरणा होती है। ऐसे व्यक्ति हर समय उदास रहते हैं और अवसाद का शिकार हो सकते हैं। इसलिए आप उनकी बातों को ध्यान से सुनें और उनके जीवन में पॉजिटिविटी लाने का प्रयास करें।
सिजोफ्रेनिया के मरीजों के लिए एक शांत और स्थिर वातावरण बनाएं। उन्हें तनावपूर्ण और उथल-पुथल भरे माहौल से बचाएं।सिजोफ्रेनिया के रोगी के लिए पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियां जरूरी हैं। यह उनके लिए काफी मददगार हो सकता है।
आप मरीज को सपोर्ट ग्रुप्स में शामिल करवा सकते हैं। अन्य लोगों से मिलने और उनके अनुभव जानने से मरीज को थोड़ा सकारात्मक सोच में मदद मिलेगी। इसके लिए आप मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों या सामुदायिक संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं।
अगर मरीज के लक्षण गंभीर हो जाएं या वह अपने जीवन को समाप्त करने की बात कर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।