World TB Day 2025: टीबी से सिर्फ फेफड़े ही नहीं, हार्ट-किडनी और हड्डियां भी होती हैं प्रभावित, जानिए सबकुछ

World TB Day 2025: क्षय रोग यानी (TB) वैश्विक स्तर पर ही नहीं, भारत में भी स्वास्थ्य क्षेत्र पर दबाव बढ़ाता जा रहा है। टीबी (Tuberculosis) एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। मेडिकल क्षेत्र में नवाचार और प्रभावी उपचार के माध्यम से अब टीबी का इलाज संभव है और आप इससे आसानी से ठीक भी हो सकते हैं। हालांकि, अगर लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए और टीबी का संक्रमण बढ़ जाए तो इससे जान जाने का भी खतरा हो सकता है।
साल 2025 तक भारत सरकार ने देश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य निर्धारित किया था, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से इस रोग के मामले बढ़ते हुए देखे गए हैं, उसने न सिर्फ इस लक्ष्य को बाधित किया है, बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चुनौतियों को भी बढ़ा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, टीबी वैश्विक स्तर पर मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं। टीबी रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे बचाव को लेकर लोगों को अलर्ट करने के उद्देश्य से हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस (World TB Day) मनाया जाता है। यह दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी तारीख को सन् 1882 में डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया की खोज की जानकारी दी थी।

ऐसे फैलता है टीबी रोग
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, टीबी मुख्य रूप से वायुजनित संक्रमण के माध्यम से फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता-छींकता है तो इससे बैक्टीरिया युक्त ड्रॉपलेट्स हवा में फैल जाते हैं, जो अन्य लोगों के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ये बैक्टीरिया फेफड़ों को अटैक करते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह खून या लिंफोटिक सिस्टम के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, इसे एक्सट्रा-पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि फेफड़ों के अलावा टीबी मस्तिष्क, हड्डियों और जोड़ों, किडनी और आंतों के साथ हृदय को भी प्रभावित कर सकता है।
मस्तिष्क (मेनिंजियल टीबी) में होने वाली समस्या
जब टीबी मस्तिष्क की झिल्लियों (मेनिंजेस) को प्रभावित करता है तो इसे ट्यूबरकुलस मैनिंजाइटिस कहा जाता है। ये एक्स्ट्रा-पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस का सबसे गंभीर रूप है।इसमें फेफड़ों (जहां आमतौर पर टीबी शुरू होती है) से होते हुए बैक्टीरिया रक्तप्रवाह के माध्यम से मेनिंजेस में पहुंच जाता है।इसके कारण बुखार, सिरदर्द और गर्दन में अकड़न होने के साथ भ्रम की स्थिति हो सकती है।रोगी को मतली-उल्टी और कुछ मामलों में दौरे पड़ने या कोमा की दिक्कत भी हो सकती है।समय पर अगर इसका इलाज न किया जाए तो इसके कारण जान जाने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

हड्डियों में होने वाला टीबी
मस्तिष्क के साथ-साथ कुछ लोगों को हड्डियों और जोड़ों में भी टीबी का संक्रमण हो सकता है। इसे ट्यूबरकुलस ऑस्टियोमाइलाइटिस के नाम से भी जाना जाता है।कुछ लोगों में फेफड़ों से होते हुए बैक्टीरिया हड्डियों और जोड़ों में पहुंच जाते हैं।यह किसी भी हड्डी या जोड़ को प्रभावित कर सकती है।कुछ लोगों में इसके मामले स्पाइन या रीढ़ की हड्डी में भी देखे जाते हैं।इस टीबी के कारण प्रभावित हड्डी या जोड़ों में दर्द के साथ सूजन और हड्डियों में विकृति होने का खतरा हो सकता है।
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किडनी में होने वाली टीबी (रिनल टीबी)
आपकी किडनी में भी टीबी का संक्रमण हो सकता है। फेफड़ों से होते हुए संक्रमण आपकी किडनी में भी पहुंच जाता है। किडनी में टीबी के मामले बहुत कम देखे जाते रहे हैं। हालांकि, अगर इसका समय पर पहचान और इलाज न किया जाए तो यह गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों जैसे एचआईवी/एड्स, डायबिटीज के शिकार या लोगों में किडनी की टीबी विकसित होने का खतरा अधिक होता है।इस तरह की टीबी में पेशाब में खून आने, बार-बार या दर्द के साथ पेशाब होने की समस्या अधिक देखी जाती है।कुछ मामलों में इस तरह की टीबी के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते, जिससे इसका शुरुआती निदान मुश्किल हो जाता है।

हृदय में टीबी का खतरा
टीबी अन्य अंगों की तरह हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। इस तरह के मामले काफी दुर्लभ मामलों में मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। इस तरह की टीबी के कारण सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और थकान जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि मायोकार्डिटिस की स्थिति हृदय की मांसपेशियों में सूजन के साथ इसके डैमेज होने का भी कारण बन सकती है। इसके कारण हृदय गति प्रभावित होने, हार्ट फेलियर और मृत्यु भी हो सकती है।टीबी केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है। यह शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसका समय पर निदान और सही उपचार आवश्यक है। टीबी का उपचार न हो पाना गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।