संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के जेनेटिक्स विभाग में थैलेसीमिया दिवस मनाया गया। जेनेटिक्स विभाग, स्वर्गीय प्रोफेसर एसएस अग्रवाल द्वारा 1988 में स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना के बाद से मेडिकल जेनेटिक्स में 43 डीएम ने प्रशिक्षण पाया है, जिनमें से अब कई देश भर में विभिन्न मेडिकल जेनेटिक्स विभागों का नेतृत्व कर रहे हैं।
क्या है थैलेसीमिया की बीमारी ?
हीमोग्लोबीन का निर्माण 2 तरह के प्रोटीन से होता है पहला अल्फा ग्लोबिन और दूसरा बीटा ग्लोबिन। थैलीसीमिया में मरीज के शरीर में इन प्रोटीन की मदद से हीमोग्लोबिन निर्माण की प्रक्रिया में गड़बड़ी होने लगती है। जिससे रेड ब्लड सेल्स तेजी से नष्ट होने लगती हैं। इससे मरीज के शरीर में खून की बहुत अधिक कमी होने लगती है। ऐसे में मरीज के शरीर में जल्दी-जल्दी खून चढ़ाना पड़ सकता है। उम्र बढ़ने के साथ ही रक्त की जरूरत भी अधिक होने लगती है और तब कुछ दिनों के बाद ही खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है।

थैलेसीमिया दिवस प्रतिवर्ष 8 मई को मनाया जाता है। यह दिवस थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक प्रयास करता है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाला एक आनुवंशिक रक्त विकार है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल 330,000 से अधिक बच्चे गंभीर थैलेसीमिया के साथ पैदा होते हैं, मुख्य रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में। शैक्षिक अभियानों और वकालत पहलों के माध्यम से, समुदाय स्थिति के प्रबंधन में रक्त आधान, आयरन केलेशन थेरेपी और सहायक देखभाल के महत्व पर जोर देते हुए शीघ्र निदान, आनुवंशिक परामर्श और उपचार तक पहुंच को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।

थैलेसीमिया के कारण
यह एक अनुवांशिक बीमारी है जो माता-पिता से बच्चों को मिलती है। अगर थैलेसीमिया के मरीजों की आपस में शादी होती है तो उनके बच्चे में इस बीमारी का रिस्क होता है। थैलेसीमिया की बीमारी मुख्यतः दो तरह की होती है जिसे थैलेसीमिया मेजर और थैलेसीमिया माइनर कहा जाता है।
थैलेसीमिया के साथ भी बच्चों का उत्कृष्ट प्रदर्शन

एसजीपीजीआईएमएस में चिकित्सा आनुवंशिकी विभाग ने विश्व थैलेसीमिया दिवस को बड़े उत्साह और सकारात्मकता के साथ मनाया। थैलेसीमिया से पीड़ित वयस्क उद्यमी होते हैं। कुछ चिकित्सा, अर्थशास्त्र आदि में करियर बनाते हैं जबकि छोटे बच्चे पुलिस और आईएएस बनना चाहते हैं।
जेनेटिक्स विभाग में भी मनाया गया थैलेसीमिया दिवस
बता दें कि लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में मेडिकल जेनेटिक्स विभाग ने विश्व थैलेसीमिया दिवस बड़े उत्साह और सकारात्मकता के साथ मनाया। डिपार्टमेंट हेड डॉ शुभा फडके ने बताया कि थैलेसीमिया की समस्या के साथ भी बच्चे और वयस्क अपनी शिक्षा और करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया, एसजीपीजीआई में मुफ्त इलाज मिलने से मरीज की समस्याओं का निवारण हो रहा है और वे एक खुशहाल नागरिक बनने की ओर अग्रसर हैं।