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चिंताजनक:इस गंभीर बीमारी से जूझ रहा हर तीसरा बच्चा, इस आदत को सुधारना जरूरी

Myopia in hindi: पिछले एक दशक में दुनियाभर में कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के मामले बढ़ते हुए देखे गए हैं, सभी उम्र के लोगों पर इसका असर देखा गया है। बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। हाल के वर्षों में बच्चों में हृदय रोग, सांस की बीमारी सहित टाइप-1 डायबिटीज के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। वहीं एक अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों में बढ़ती आंखों से संबंधित बीमारियों को लेकर सवाधान किया है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थाल्मोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है, दुनियाभर में बच्चों की दृष्टि धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। हर तीन में से एक बच्चे में मायोपिया का निदान किया जा रहा है, जिसमें दूर की चीजें स्पष्ट रूप से नजर नहीं आती हैं।

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इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को अलर्ट करते हुए कहा है कि इस समस्या के बढ़ने की दर अगर ऐसे ही जारी रहती है और रोकथाम के उपाय न किए गए तो अगले 25 साल में ये समस्या दुनियाभर में लाखों बच्चों को प्रभावित कर सकता है। साल 2050 तक 40 फीसदी बच्चे आंखों की इस समस्या के शिकार हो सकते हैं। आइए बच्चों में बढ़ती मायोपिया की समस्या के कारण और बचाव के बारे में जानते हैं।

निकट दृष्टिदोष है मायोपिया | Myopia in hindi

मायोपिया को निकट दृष्टिदोष भी कहा जाता है जिसमें आपको पास की चीजें तो साफ दिखाई देती हैं लेकिन दूर की चीजें देखने में कठिनाई होती है। अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 30 वर्षों में बच्चों और किशोरों में मायोपिया के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साल 1990 में इसके कुल मामले 24 फीसदी थे जो 2023 में बढ़कर 36 फीसदी हो गए हैं। चीन के सन यात-सेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सभी छह महाद्वीपों के 50 देशों में 5.4 मिलियन से अधिक बच्चों और किशोरों को शामिल करते हुए 276 अध्ययनों के परिणामों का विश्लेषण करके अपने निष्कर्ष निकाले हैं।

इस वजह से बच्चों की दृष्टि पर पड़ा बुरा असर | Myopia in hindi

अध्ययन में पाया गया है कि बच्चे और किशोरों में पहले भी ये दिक्कत देखी जा रही थी, हालांकि कोविड लॉकडाउन के दौरान चूंकि बच्चों ने घर के अंदर अधिक समय बिताया और उनका मोबाइल-लैपटॉप जैसे स्क्रीन पर अधिक समय बीता, जिसका उनकी दृष्टि पर बुरा असर हुआ है। मायोपिया गंभीर समस्या हो सकती है जिसका अगर समय पर ध्यान न दिया जाए या उपचार न हो पाए तो इसके कारण आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा हो सकता है। बच्चों में आंखों की समस्या के कारण उनके क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी असर हो सकता है, इसलिए सभी माता-पिता को इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।

मायोपिया के कारण होने वाली दिक्कतें | Myopia in hindi

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बचपन में मायोपिया सिर्फ चश्मे पर निर्भरता की समस्या नहीं है बल्कि इसके कारण ग्लूकोमा और रेटिनल डिटेचमेंट जैसी आंखों की अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि बच्चों के अलवाा वर्ष 2050 तक दुनिया की लगभग आधी आबादी मायोपिया से पीड़ित हो सकती है। भारत में भी बच्चों में मायोपिया की घटना लगातार बढ़ रही है। ज्यादातर मामलों में मायोपिया का निदान बचपन में ही किया जाता है। ये समस्या सिर्फ आंखों तक ही सीमित नही हैं, इसके कारण मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर होने का खतरा रहता है।

स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना खतरनाक | Myopia in hindi

नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया के जोखिम को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना मायोपिया के खतरे को 30 फीसदी तक बढ़ा देता है। इसके साथ ही कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग के कारण यह जोखिम बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत हो गया है। स्क्रीन टाइम को कम करना सबसे जरूरी है। इसके अलावा कोरोना महामारी की नकारात्मक स्थितियों जैसे लोगों को ज्यादा से ज्यादा समय घरों में बीतना, बाहर खेलकूद में कमी और ऑनलाइन क्लासेज के कारण आंखों से संबधित इस रोग के मामले और भी बढ़ गए हैं।

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