केंद्र सरकार ने एक अच्छी और शानदार पहल की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने देश के अस्पतालों (Hospitals) के लिए गाइडलाइन जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि मरीजों के स्वास्थ्य के बारे में पूरा डिजिटल रिकॉर्ड (Digital Record) रखा जाए। उन्होंने इस दिशा में काम करते हुए कुछ दिन पहले एक पॉर्टल भी लॉन्च किया था, जिसमें देश के मशहूर डॉक्टर्स को शामिल किया गया है। अब मरीजों के साथ डॉक्टरों का भी रिकॉर्ड डिजिटली रखा जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) इस पोर्टल में प्रत्येक एलोपैथी डॉक्टर को अपने आधार कार्ड से लिंक करते हुए एक अकाउंट खोलना है। इसमें मोबाइल नंबर और डिग्री भी शामिल होगी। नड्डा ने कहा कि हम पैरामेडिक्स और दूसरे हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिए भी इसी तरह का रजिस्टर लॉन्च करने जा रहे हैं। इस खास मौके पर अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हम एक बड़े डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम (Digital Health Ecosystem) बनाने की योजना बना रहे हैं। डॉक्टर्स की डिजिटल रजिस्ट्री बनाना इस इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर उठा रही महत्वपूर्ण कदम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर इस दिशा में एक बहुप्रतीक्षित कदम है, जो डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा और लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार पैरामेडिक्स और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए भी इसी तरह का रजिस्टर शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का विजन भारत को डिजिटल रूप से मजबूत बनाना है, जो तभी संभव हो सकता है, जब स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र भी डिजिटल रूप से मजबूत हो।
जेपी नड्डा ने उल्लेख किया कि राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर इस दिशा में एक बहुप्रतीक्षित कदम है, जो डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा और लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार पैरामेडिक्स और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए भी इसी तरह का रजिस्टर लॉन्च करेगी।
NMR पर रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस
पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए डॉक्टरों को अपनी आधार आईडी, MBBS डिग्री सर्टिफिकेट की एक डिजिटल कॉपी और स्टेट मेडिकल काउंसिल/मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मिले सर्टिफिकेट की कॉपी सबमिट करनी होगी। बाकी जानकारी खुद से दर्ज करनी होगी।
एक बार फॉर्म भरने के बाद यह वैरिफिकेशन के लिए संबंधित स्टेट मेडिकल काउंसिल को भेजा जाएगा। स्टेट काउंसिल फिर इस आवेदन को आगे रिव्यू के लिए संबंधित कॉलेज या संस्थान को भेज देगा। वैरिफिकेशन के बाद एप्लीकेशन नेशनल मेडिकल कमीशन को भेज दी जाएगी। NMC इसे वैरिफाई करके पोर्टल पर लाइव कर देगा।
नेशनल मेडिकल रजिस्टर की जरूरत क्यों?
नेशनल मेडिकल कमीशन के एक अधिकारी के मुताबिक, आज तक हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं था, जो यह बता सके कि देश में कुल कितने डॉक्टर हैं। हालांकि, एक अनुमानित संख्या है, लेकिन सही आंकड़े अब पता चलेंगे। इसके अलावा कितने डॉक्टरों ने देश छोड़ दिया। कितने डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द हुआ। कितने डॉक्टरों की जान गई। ये सारी जानकारी अब एक पोर्टल पर दिखेगी। अधिकारी के मुताबिक, करीब 13 लाख से ज्यादा डॉक्टर इससे जुड़ सकते हैं।
NMR पर रजिस्ट्रेशन शुरू, आम लोग भी देख सकेंगे
डेटा नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने कहा, पोर्टल पर तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन शुरु हो गया है। इसमें कुछ डेटा आम लोगों को दिखाई देंगा। बाकी जानकारी नेशनल मेडिकल कमीशन, स्टेट मेडिकल काउंसिल, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जॉमिनेशन, एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड और मेडिकल इंस्टीट्यूट को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार दिखाई देंगे।