अल्जाइमर्स डिजीज एक मस्तिष्क विकार है, जो उम्र बढ़ने और समय के साथ खराब होता जाता है। इस स्थिति में मस्तिष्क में एक खास प्रकार का प्रोटीन जमा होने लगता है। अल्जाइमर रोग के कारण ब्रेन सिकुड़ जाता है और ब्रेन सेल्स अंदर से कमजोर पड़ने लगते हैं। धीरे-धीरे ये कमजोर होकर मरने लगते हैं। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है। इस स्थिति में मेमोरी, सोच, व्यवहार और सामाजिक कौशल में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है। मस्तिष्क की संरचना में आ रहे ये परिवर्तन व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता को भी प्रभावित करने लगते हैं।
भारत में 8.8 मिलियन लोग इस समस्या से पीड़ित
भारत में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 8.8 मिलियन व्यक्ति डिमेंशिया (अल्जाइमर का एक प्रकार) के शिकार हैं। यह स्थिति ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित करती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 6.5 मिलियन लोग अल्जाइमर रोग से पीड़ित हैं। इनमें से 70% से अधिक व्यक्ति 75 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हैं। दुनिया भर में डिमेंशिया से पीड़ित लगभग 55 मिलियन लोगों में से 60% से 70% लोगों को अल्जाइमर रोग होने का अनुमान है।
अल्जाइमर्स डिजीज के कारण
उम्र
अल्जाइमर का एक सबसे बड़ा कारण उम्र को माना जाता है। बढ़ती उम्र के साथ खासकर 65 वर्ष के बाद धीरे-धीरे अल्जाइमर का खतरा बढ़ने लगता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि कम उम्र में अल्जाइमर रोग नहीं हो सकता। पर ज्यादातर मामले अधिक उम्र के व्यक्तियों में ही देखने को मिलते हैं। उम्र के साथ याद रखने की क्षमता कम होने लगती है और व्यक्ति में अल्जाइमर के लक्षण नजर आना शुरू हो जाते हैं।
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फैमिली हिस्ट्री
अल्जाइमर की स्थिति माता-पिता से जेनेटिकली भी ट्रांसफर हो सकती है। यदि आपके परिवार में खासकर माता-पिता को अल्जाइमर है तो आप में इस स्थिति के उत्पन्न होने का खतरा अधिक होता है। जेनेटिकली ट्रांसफर होने पर यह स्थिति अधिक घातक हो जाती है। कई फैमिली में जेनेटिकली एक उम्र के बाद व्यक्ति डिमेंशिया का शिकार हो जाता है।
हेड इंजरी
यदि किसी व्यक्ति को एक्सीडेंट, गिरने या किसी अन्य कारण से सिर में चोट आई है, तो उनमें अल्जाइमर का खतरा अधिक होता है।
कार्डियोवैस्कुलर डिजीज
लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे कि स्मोकिंग, ओबेसिटी, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल कार्डियोवैस्कुलर डिजीज को बढ़ावा देते हैं। इन फैक्टर्स की वजह से भी अल्जाइमर का खतरा बढ़ सकता है।
अल्जाइमर्स डिजीज के लक्षण कैसे पहचानें
अल्जाइमर में, एक व्यक्ति शारीरिक तौर पर स्वस्थ दिख सकता है, लेकिन उसे अपने आस-पास की दुनिया को समझने में परेशानी महसूस होने लगती है। इस स्थिति में व्यक्ति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं –
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- मेमोरी लॉस जो दैनिक जीवन को बाधित करती है।
- तारीख याद न रहना या वर्तमान स्थान का पता न चलना।
- बुरे निर्णयों की ओर आकर्षित होना।
- सामान्य दैनिक कार्यों को पूरा करने में अधिक समय लगना।
- प्रश्नों को बार-बार दोहराना या हाल ही में सीखी गई जानकारी को भूल जाना।
- पैसे संभालने और बिलों का भुगतान करने में परेशानी आना।
- योजना बनाने या समस्याओं को सुलझाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- रास्ते मे भटकना और पहचानी हुई जगह पर खो जाना।
- चीज़ें खोना या उन्हें विषम स्थानों पर रख कर भूल जाना।
- स्नान जैसे कार्यों को पूरा करने में कठिनाई होना।
- मूड और पर्सनालिटी में बदलाव आना।
- बढ़ी हुई चिंता और/या आक्रामकता।
अल्जाइमर्स डिजीज का पता कैसे चलेगा
मेमोरी से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति को अल्जाइमर रोग है या नहीं इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर कई मेडिकल तरीकों का उपयोग करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई अन्य स्थितियां, विशेष रूप से न्यूरोलॉजिकल स्थितियां हैं जो डिमेंशिया और अल्जाइमर के अन्य लक्षणों का कारण बन सकती हैं।
अल्जाइमर के निदान के शुरुआती चरणों में, एक्सपर्ट आपके स्वास्थ्य और दैनिक जीवन को बेहतर ढंग से समझने के लिए प्रश्न पूछ सकते हैं। डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में जानकारी के लिए आपके किसी करीबी, जैसे परिवार के सदस्य या देखभालकर्ता से भी पूछताछ कर सकते हैं।
- शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल परीक्षण किया जाता है।
- लक्षणों के अन्य संभावित कारणों का पता लगाने के लिए ब्लू और यूरिन जैसे चिकित्सा परीक्षण किए जाते हैं।
- मानसिक स्थिति की परीक्षण होती है जिसमें मेमोरी, प्रोबलम सॉल्विंग, अटेंशन, बेसिक मैथ और भाषा की जांच की जाती है।
- अल्जाइमर के निदान का समर्थन करने या अन्य संभावित स्थितियों का पता लगाने के लिए ब्रेन सिटी, ब्रेन एमआरआई और पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी, जैसे मस्तिष्क परीक्षण किए जाते हैं।
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अल्जाइमर्स डिजीज का उपचार क्या है
अल्जाइमर का कोई स्थाई इलाज नहीं है परन्तु डॉक्टर की सुझाई उचित दवाइयों के सेवन और एक हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ आप अल्जाइमर के बाबजूद जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकती हैं।
मेडिकेशन
डॉक्टर द्वारा सुझाई गई अल्जाइमर्स डिजीज की दवाएं याददाश्त से जुड़े लक्षण पर नियंत्रण पाने में मदद करती हैं। यह दवाइयां ब्रेन सेल्स को बूस्ट करती हैं, और शरीर द्वारा दिए गए मैसेज को रिसीव करने के लिए ब्रेन को पूरी तरह से एक्टिव रखने की कोशिश करती हैं।
थेरेपी और एक्टिविटी
विभिन्न प्रकार की थेरेपी और एक्टिविटी अल्जाइमर की स्थिति में व्यक्ति की मेमोरी और स्किल्स को इंप्रूव करने में मदद करती हैं। इनके लिए कुछ खास ग्रुप एक्टिविटी और एक्सरसाइज डिजाइन किए जाते हैं, जिससे याद्दाश्त को कम होने से रोका जा सकता है। इसके अलावा ट्रेंड प्रोफेशनल जैसे कि ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट नियमित गतिविधियों को करने का तरीका बताते हैं।
लाइफ स्टोरी वर्क जैसे कि पुराने फोटोस और आपके पसंदीदा घटनाओं के बारे में बार-बार बात करके आपको चीजें याद दिलाने की कोशिश की जाती है।
माइंड गेम
मेडिकल ट्रीटमेंट के अलावा आप घर पर अपने परिजनों के साथ माइंड गेम में भाग लेकर उनकी स्थिति में सुधार कर सकती हैं। जैसे को दिमाग का खेल कहा जाता है, ऐसे ही अन्य खेल में भाग लेने से मदद मिलेगी।
लाइफस्टाइल में सुधार
अल्जाइमर की शुरुआती स्टेज में ही यदि अपनी नियमित जीवनशैली की गतिविधियों पर ध्यान दिया जाए तो इसे बढ़ाने से रोका जा सकता है। स्वस्थ व संतुलित आहार, खासकर मस्तिष्क के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य स्रोत का सेवन करें। इसके अलावा शारीरिक रूप से सक्रिय रहना बेहद महत्वपूर्ण होता है। बढ़ती उम्र के साथ लोग स्थायी तौर पर बैठ जाते हैं, जिससे तमाम परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं योग, मेडिटेशन आदि में भाग लेने से भी मदद मिलेगी।