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आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर काम करते हैं फिजियोथेरेपिस्ट्स, मरीजों के लिए हैं ‘सिम्बल ऑफ होप’

  • पीएम मोदी ने कहा था- आशा के प्रतीक हैं फिजियोथेरेपिस्ट्स, सिर्फ इलाज ही नहीं, बल्कि मरीज को देते हैं हौसला
  • लगातार बढ़ रहा फिजियोथेरेपी का दायरा, फिजियोथेरेपिस्ट चुनने के लिए भी लीजिए ये सलाह

अभिषेक पाण्डेय

लखनऊ: विश्व फिजियोथेरेपी डे यानी विश्व भौतिक चिकित्सा दिवस…8 सितंबर को हर वर्ष इसे धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य ये है कि फिजियोथेरेपिस्ट की ओर से किए जा रहे कार्यों के बारे में ज्यादा ज्यादा लोगों तक जानकारी पहुंचाई जा सके. साथ ही फिजियोथेरेपी क्या है और किस तरह से काम करता है, इसकी जानकारी भी दी जा सके. प्राचीन काल और वर्तमान फिजियोथैरेपी की विधाओं में बहुत बदलाव आया है.

पहले फिजियोथेरेपी की सलाह हड्डी से संबंधित मामलों में दी जाती थी. हालांकि, वर्तमान में न्यूरो सम्बंधित मामलों भी विशेषज्ञों द्वारा फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाने लगी है. विश्व फिजियोथेरेपी डे के उपलक्ष्य में माई नेशन के ब्यूरो चीफ अभिषेक पांडये ने लखनऊ में स्पेक्ट्रम फिजियोथेरेपी सेंटर का संचालन कर रहे न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. देश दीपक सिंह से बातचीत की. पढ़िए इस बातचीत के कुछ अंश…

सवाल: न्यूरो सम्बंधित मामलों में फिजियोथेरेपी का क्या रोल है? कुछ विशेष मामलों का भी जिक्र कीजिए

जवाब: युवाओं का बिना हेलमेट के बाइक चलाना और एक्सीडेंट का शिकार होना. ऐसे में सबसे ज्यादा मामले हेड इंजरी से जुड़े अ रहे हैं. सिर में चोट लगने के दौरान शरीर का एक तरफ का हिस्सा काम करना बंद कर देता है, कभी कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया. चेहरे का लकवा. ब्रेन स्ट्रोक के मामले. ऐसे कई मामले हैं जिनमें मरीज़ को रिकवर कराने का कार्य न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट के द्वारा किया जाता है.

सवाल: वर्तमान फिजियोथैरेपी की विधाओं में कितना बदलाव हुआ है?

जवाब: आज के दौर में इतनी एडवांस मशीने आ चुकी हैं कि अगर हम फुल सेटअप लगाने का मन बना लें तो काफी बड़े एरिया की जरूरत पड़ेगी. फिजियोथैरेपी में इलेक्ट्रो थेरेपी और एक्सरसाइज थेरेपी, ये दो पार्ट है. केस के स्टेज के आधार पर थेरेपिस्ट तय करता है कि मरीज़ कौनसा ट्रीटमेंट देना है. उदाहरण के तौर पर चेहरे का लकवा जिसे मेडिकल टर्म में बेल्स पाल्सी कहते हैं, इसमें इलेक्ट्रो थेरेपी को अपनाना ही पड़ता है. इसके साथ ही एक्सरसाइज थेरेपी को भी इस केस में इस्तेमाल करना पड़ता है.

सवाल: पीएम मोदी ने फिजियोथैरेपी और फिजियोथेरेपिस्ट्स की तारीफ की, उसके बाद क्या कुछ बदलाव आया?

जवाब: इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट्स यानी IAP के 60वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी ने सभी फिजियोथेरेपिस्ट्स को बधाई दी थी. उन्होंने कहा था कि अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट वही है जिसकी ज़रूरत बार-बार मरीज को न हो. पीएम मोदी ने कहा था कि मरीजों को सेल्फ रेजिलियन बनाना यही फिजियोथेरेपिस्ट का गोल है.

दरअसल, जब मरीज हमारे पास आता है तो हम उसे मानसिक तौर पर भी फिट रखने के तमाम प्रयास करते हैं. उनका मनोबल बढाते हैं. उन्हें यह भी बताते हैं कि बीमारी से उभरने में उन्हें कितना समय लगेगा. फिजियोथेरेपिस्ट हर परिस्थिति में हर उम्र के लोगों के सहयोगी बनकर उनकी तकलीफ दूर करते हैं. शायद यही देखकर पीएम मोदी ने कहा था कि ‘आप मुश्किम समय में सिम्बल ऑफ होप बनते हैं’.

सवाल: न्यूरो सम्बंधित समस्या से जूझ रहे मरीज़ को कितने दिनों के लिए दी जाती है फिजियोथैरेपी?

जवाब: देखिए, सब्र का फल मीठा होता है. ये कोई कोर्स नहीं है. ये इलाज है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका होती है समस्या के ग्रेड की. यानी की बीमारी या रोग कौनसे स्टेज पर है. उदाहरण के तौर पर सर्विकल, अगर कोई इस समस्या से जूझ रहा है और वो समय रहते थेरेपी कराने आ गया तो जल्दी ही उसे आराम मिल जाएगा. लेकिन, अगर ये रेडियेट कर गया तो ट्रीटमेंट का ड्यूरेशन बढ़ जाएगा. यानि कुल मिलाकर अगर आप समय रहते आ गये तो रिकवरी जल्दी होती है. वहीं, अगर केस बिगड़ गया है तो समय तो लगना तय है.

सवाल: सही फिजियोथेरेपिस्ट की कैसे तलाश करें? जिन्हें इसमें कैरियर बनाना है उन्हें क्या सलाह देंगे?

जवाब: फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक के कोर्स हैं. पहले दो साल का डिप्लोमा होता था, आज भी जारी है. साढ़े चार साल की स्नातक डिग्री कोर्स, परास्नातक में स्पेशलाइजेशन है. देखिए, मरीज़ या तीमारदार को अनुभव देखना जरूरी है. इसके साथ ही जानकारी लेना भी जरूरी है. लर्निंग फिजियोथेरेपिस्ट की बजाय सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट को तवज्जों देना ही मरीज के लिए सही निर्णय है, ऐसा मेरा मानना है.

जो इस क्षेत्र में कैरियर बनाने की सोच रहे हैं उन्हें मैं यही सलाह दूंगा कि इस विधा में सब कुछ है. नाम, रुतबा, शोहरत तक ही आप सीमित नहीं रहेंगे, आपको दुआएं भी मिलेंगी. असमर्थ व्यक्ति जब आपकी मेहनत से समर्थ बनता है तो ये ख़ुशी का अनुभव सबसे अलग होता है. आज स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट की भी बड़ी डिमांड है. इस क्षेत्र में पाने के लिए बहुत कुछ है बस आपके अन्दर जूनून होना चाहिए.

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