आज के दौर में कम उम्र में ही लोगों को हार्ट अटैक आने लगे हैं. बीते तीन सालों में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहां 20 से 30 साल की उम्र में ही हार्ट अटैक आ रहे हैं. कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें मौके पर ही मौत हो रही हैं. जिम करते हुए या डांस करते हुए ही दिल का दौरा पड़ जाता है. युवाओं में ऐसे केस ज्यादा देखे जा रहे हैं.
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, बीते 10 सालों में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले पहले की तुलना में करीब 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं. यह बढ़ोतरी एक चेतावनी देने वाला संकेत है, जिस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि हार्ट की बीमारी भी अब किसी महामारी की तरह बनती जा रही है. ऐसे में इसको नजरअंदाज करना बड़ी मुसीबत हो सकती है.
युवाओं में हार्ट अटैक का कारण
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में कार्डियक साइंसेज विभाग में प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. विवेक कुमार ने बताया कि युवाओं में हार्ट अटैक के केस बीते कुछ सालों से लगातार बढ़ रहे हैं. कोविड महामारी के बाद दिल की बीमारियों का ग्राफ अचानक से बढ़ गया है. युवाओं में हार्ट अटैक के केस बढ़ने का एक बड़ा कारण एओर्टिक स्टेनोसिस बीमारी है. इसके केस युवाओं में ज्यादा देखे जा रहे हैं. यह एक ऐसी कार्डियोवैस्कुलर समस्या है, जिसे साइलेंट बीमारी कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लक्षणों का सालों तक पता नहीं चलता है. ये बीमारी पहले बुजुर्गों को होती थी, लेकिन हाल ही के कुछ सालों में यह युवाओं को भी हो रही है.
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क्या होती है एओर्टिक स्टेनोसिस
डॉ कुमार बताते हैं कि एओर्टिक स्टेनोसिस तब होता है, जब हार्ट का एओर्टिक वॉल्व सिकुड़ने लग जाता है. इससे हार्ट से शरीर को पहुंचने वाली ब्लड सप्लाई में बाधा आने लगती है. इस वजह से हार्ट को काफी नुकसान हो सकता है. ये बीमारी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का कारण बनती है.
क्या होते हैं लक्षण
- छाती में दर्द
- थकान
- सांस छोटी होना
- सांस फूलना
- जी घबराना
कैसे करें बीमारी से बचाव
दिल की किसी भी बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि आप हर तीन महीने में अपना लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराएं और महीने या 15 दिन में अपना बीपी भी चेक कराते रहें. जिन लोगों के परिवार में पहले से ही किसी को हार्ट की बीमारी है या जो लोग सिगरेट और शराब का ज्यादा सेवन करते हैं उनको विशेष ध्यान देने की जरूरत है. अगर हार्ट की बीमारी का कोई लक्षण नजर आ रहा है तो डॉक्टर से सलाह लें.
आसान है इलाज
डॉक्टर बताते हैं कि एओर्टिक स्टेनोसिस का अगर समय पर पता चल जाता है तो इसका आसानी से इलाज हो सकता है. ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेशन से ट्रीटमेंट हो जाता है. एंजियोप्लास्टी और स्टेंट लगाकर भी इसे ठीक किया जा सकता है. अगर किसी को खून में क्लॉट्स भी बन गए हैं तो क्लॉट-बस्टर दवाओं से इसको ठीक किया जा सकता है.