एग्जीबिशन ग्राउंड, किसी प्लेग्राउंड या फिर स्टेडियम के बाहर जो चीज़ सबसे अधिक बिकती है, वह है कॉटन कैंडी। बुढ़िया के बाल के नाम से मशहूर कॉटन कैंडी अब छोटे शहरों से निकलकर महानगरों में रहने वाले बच्चों और बड़ों के बीच भी खूब लोकप्रिय हो गई है। पर हाल के दिनों में कई शोध में इसके साइड इफेक्ट्स सामने आने के कारण, इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाने लगा है। भारत में तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्रप्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी कॉटन कैंडी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जानते हैं कॉटन कैंडी के स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्परिणामों के बारे में।
कैसे बनाई जाती है कॉटन कैंडी
कॉटन कैंडी बनाने के लिए दानेदार चीनी को पर्याप्त रूप से गर्म किया जाता है। इससे क्रिस्टल को एक साथ रखने वाले केमिकल बॉन्ड टूट जाते हैं। क्रिस्टल फ्रुक्टोज, ग्लूकोज और शुगर में बंट जाते हैं। यदि इसे गर्म करना जारी रखा जाता है, तो ये आगे चलकर कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में टूट जाते हैं।
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर पानी बना सकता है। अगर इसे और गर्म किया जाता है, तो पानी स्टीम बन जाता है और कार्बन जलने लगता है। पानी के स्टीम बनने से पहले एक स्क्रीन में छोटे छेद के माध्यम से बारीक बाल जैसी संरचना बनाई जाती है। इसमें कुछ सिरप और कलर डालकर कॉटन कैंडी बना ली जाती है।
प्रीजर्वेटिव के बिना बनाई जाती है कॉटन कैंडी
कॉटन कैंडी का सर्विंग आकार, जो कोक के 12 औंस कैन से लगभग 9 ग्राम कम हो सकता है। कॉटन कैंडी बनाने में केवल 30 ग्राम चीनी लगती है।
इसके अलावा इसमें कोई फैट नहीं होता है, कोई प्रीजर्वेटिव नहीं होता है। इसमें न ही सोडियम होता है और प्रति सर्विंग लगभग 115 कैलोरी होती है। यह किसी भी तरह से पेट भरने वाला भोजन नहीं है, लेकिन इसमें ऐसी कई चीजें हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत खराब हैं।
ये केमिकल पहुंचाता है नुकसान
फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया (FSSAI) के अनुसार कॉटन कैंडी में ‘रोडामाइन-बी’ नाम का हानिकारक रसायन होता है। रोडामाइन-बी सिंथेटिक डाई है, जिसका उपयोग आमतौर पर विभिन्न इंडस्ट्री में इसके गुलाबी से लेकर लाल रंग और फ्लोरोसेंट गुणों के लिए किया जाता है। इनका उपयोग कपड़ा, कलर और सौंदर्य प्रसाधनों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
भारत में इसे अक्सर खाद्य उत्पादों में सस्ते एडिबल कलरिंग एजेंट के रूप में अवैध रूप से उपयोग किया जाता है। रोडामाइन बी न केवल कॉटन कैंडी में पाया जाता है, बल्कि कई अन्य प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे मिठाई, रंगीन कैंडी, लाल मिर्च पाउडर, करी पाउडर, सॉस और कई अन्य चीजों में भी पाया जाता है। जहां इसके चमकीले लाल रंग का इस्तेमाल उपभोक्ताओं को धोखा देने के लिए किया जा सकता है।
क्या हैं इसके साइड इफेक्ट
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ गैस्ट्रोनॉमी एन्ड फ़ूड साइंस में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता चार्ल्स स्पेंस के अनुसार, यदि लगातार अधिक मात्रा में रोडामाइन बी लिया जाये, तो यह मानव शरीर पर कई बुरे प्रभाव डालता है। इसमें कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं, जो कैंसर के के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, यह लीवर और किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
रोडामाइन-बी टॉक्सिसिटी
रोडामाइन-बी टॉक्सिसिटी त्वचा में जलन, लालिमा, खुजली और चकत्ते का कारण बनती है।
- यदि यह आंखों के सीधे संपर्क में आती है, तो आंखों में जलन, रेडनेस, पानी आना और बेचैनी की समस्या दे सकती है।
- उल्टी और दस्त की समस्या
- असुविधा या सूजन के साथ पेट में तेज या ऐंठन वाला दर्द
- स्किन का पीला पड़ना (पीलिया)
- एलर्जी प्रतिक्रियाओं के लक्षण जैसे पित्ती, चेहरे, होंठ, जीभ या गले की सूजन और सांस लेने में कठिनाई
और भी हैं कॉटन कैंडी के नुकसान
शोधकर्ता चार्ल्स स्पेंस के अनुसार, रोडामाइन-बी केमिकल ब्रेन और रीढ़ की हड्डी से जुड़े ऊतकों को भी प्रभावित करता है। इसके कारण फंक्शनल असामान्यता हो सकती है। यह कार्सिनोजेनिक होने के अलावा लिवर की शिथिलता और ब्रेन संबंधी शिथिलता का कारण भी बन सकता है। यह क्षति मोटर फंक्शन को भी प्रभावित कर सकता है।
नियमित रूप से इसका सेवन करने पर यह आंखों की समस्याएं भी पैदा कर सकती है। जागरूकता की कमी के कारण ज्यादातर बच्चे बहुत सारे आर्टिफीशियल अवयवों वाले प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के संपर्क में आते हैं, जो कैंसरकारी होते हैं।
हाई शुगर सामग्री और पोषण मूल्य की कमी
अपनी हाई शुगर सामग्री और पोषण मूल्य की कमी के कारण कॉटन कैंडी स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
–कॉटन कैंडी का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल में तेजी से वृद्धि हो सकती है, जिससे इंसुलिन का स्तर तेजी से बढ़ सकता है। समय के साथ यह इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप 2 डायबिटीज और वजन बढ़ने में योगदान कर सकता है।
इसमें कोई भी पोषक तत्व नहीं होता और यह खाली कैलोरी प्रदान करती है, जो खराब आहार संबंधी आदतों और संभावित पोषक तत्वों की कमी में योगदान करती है।
दांतों की सड़न का खतरा
कॉटन कैंडी जैसे मीठे पदार्थों के नियमित सेवन से दांतों की समस्याओं जैसे कैविटी और दांतों की सड़न का खतरा भी बढ़ सकता है।
कॉटन कैंडी को रंगने के लिए उपयोग किए जाने वाले कृत्रिम खाद्य रंगों में योजक एडिटिव और रसायन हो सकते हैं जो कुछ व्यक्तियों में एलर्जी प्रतिक्रिया पैदा कर सकते हैं।
समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ताजे फल या घर पर बने नाश्ते जैसे स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों को चुनना चाहिए।