दिल का दौरा पड़ने के कारण अचानक लोगों की मृत्यु हो जाती है। हार्ट अटैक से होने वाली आधे से अधिक मौतें इसलिए होती हैं, क्योंकि लोगों को उन संकेतों और लक्षणों के बारे में पता नहीं होता है। जिन पर गोल्डेन आवर के दौरान ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
एम्स दिल्ली के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि कार्डियक और स्ट्रोक आपात स्थिति वाले रोगियों का एक छोटा हिस्सा ही स्वास्थ्य सुविधाओं तक जल्दी पहुंचता है। एआइ की मदद से अब हार्ट अटैक की भविष्यवाणी करना संभव होगा। एआइ की मदद से ऐसे लोगों की पहचान हो सकेगी, जिनके हार्ट अटैक से मरने की आशंका 90 फीसदी से अधिक होगी।
क्या एआइ रोक पायेगा हार्ट अटैक से होने वाली मौतें
पेरिस कार्डियोवास्कुलर रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर और शोध के प्रमुख लेखक जेवियर जैवेन ने बताया कि शोध के दौरान पेरिस और सिएटल में एआइ की मदद से 25,000 लोगों के डेटाबेस का विश्लेषण किया गया। इन लोगों की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण हुई थी। डेटाबेस का 70,000 सामान्य लोगों के डेटाबेस से मिलान किया गया। विश्लेषण के बाद 25,000 ऐसे समीकरण बनाए गए, जिनका उपयोग कर ऐसे लोगों की पहचान की जा सकती है, जिनकी हार्ट अटैक से मृत्यु की आशंका आधिक है। हार्ट अटैक की अधिक आशंका वाले लोगों को सचेत किया जा सकता है।
हार्ट अटैक से होती हैं 20 फीसदी मौतें
दुनिया में होने वाली कुल मौतों में 20 प्रतिशत हार्ट अटैक से होती हैं। ऐसे मामलों में हार्ट अटैक की भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है। हार्ट अटैक के जोखिम को शोध के विश्लेषण की मदद से कम किया जा सकता है।
इनसे बढ़ता है जोखिम का कारण
प्रोफेसर जौवेन ने विश्लेषण के दौरान लोगों के चिकित्सा विवरण के साथ शराब के प्रयोग, मानसिक और व्यवहारिक विकारों को भी शामिल किया। इनका इलेक्ट्रॉनिक रेकॉर्ड होगा और लोग हार्ट अटैक के जोखिम बढ़ाने वाले कारणों को समझ सकेंगे। वे चिकित्सकों से बात कर ऐसे जोखिमों को कम कर सकेंगे।