स्पीच फास्टिंग, बेशक यह शब्द आपको नया लगे लेकिन यह नया नहीं है. इसे आप मौन व्रत के रूप में आसानी से समझ सकते हैं. गांधी जी अपने जीवन में अक्सर मौन व्रत का पालन किया करते थे और वे इसे अपने अनुयायियों को भी करने के लिए प्रेरित करते थे. गांधी जी का मानना था कि मौन व्रत आपकी वाणी को संयमित और आत्मा को शुद्ध करता है. गांधीजी के अलावा विनोवा भावे भी मौन व्रत कबी-कभी करते रहते थे.
वर्तमान में अन्ना हजारे भी कई राजनीतिक मसलों को लेकर स्पीच फास्टिंग करते रहे हैं. वहीं उमा भारती अपने जीवन में अक्सर स्पीच फास्टिंग करती रहती हैं. हालांकि विज्ञान आज गांधी जी की बातों को आगे बढ़ाते हुए कहता है कि मौन व्रत यानी स्पीच फास्टिंग से सिर्फ वाणी ही नहीं, बल्कि शरीर पर भी कमाल का असर होता है. स्पीच फास्टिंग आपके वोकल कॉर्ड को आराम पहुंचाता है. इससे मन में चिंता के साथ स्ट्रेस और एंग्जाइटी भी दूर होती है.
यहां जानें क्या है स्पीच फास्टिंग
दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अरुणा ब्रूटा कहती हैं कि स्पीच फास्टिंग का मतलब है अपने मन को शून्यता में ले जाना. उन्होंने कहा कि लोग इसका सीधा मतलब मौन व्रत समझ लेते हैं. लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है. आजकल लोग कम बोलते हैं लेकिन हमेशा लोग किसी न किसी गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं. मोबाइल पर वीडियो देखते हैं या मैसेजिंग करते रहते हैं. हमेशा कुछ न कुछ काम चलता रहता है. यह मौन व्रत नहीं है.
मौन व्रत में आपको बाहरी दुनियावी चीजों को मन से निकालना होता है और तब मौन व्रत करना होता है. यह अपने मन को अंदर झांकने की चीज है. यह अपने विचारों को ऑडिट करने का साधन है. यानी आज हमें यह नहीं बोलना चाहिए था. आज हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था. यह विचार बनाना कि क्रोध नहीं करना, किसी को गाली नहीं देना. मौन व्रत एक तरह से अपने विचारों का बैलेंस शीट है. इस तरह से यदि आप मौन व्रत करते हैं तो आपके विचारों में अजीब सी ताकत आती है. आपका मन डिटॉक्स होता है. इसमें क्रोध और लोभ नहीं होता.
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स्पीच फास्टिंग के फायदे
डॉ. अरुणा ब्रूटा ने बताया कि स्पीच फास्टिंग करने से हमारे मन के अंदर के प्रदूषण निकल जाते हैं, अशुद्ध विचार निकल जाते हैं, क्रोध और वासनाएं बहुत कम रह जाती हैं. हर रोज कुछ देर के लिए मौन व्रत करें तो इसका फायदा बहुत ज्यादा होता है. इससे अंतर्मन स्वस्थ रहता है. जब आप मौन व्रत करेंगे तो आप शून्यता की ओर जाते हैं तो आपका मन डिटॉक्स होता है. इससे आपके शरीर में जितनी भी नसें हैं, वे सब रिलैक्स होती हैं.
जाहिर है यदि आपका शरीर रिलेक्स होगा तो कॉर्टिसोल लेवल बहुत कम हो जाएगा. कॉर्टिसोल हार्मोन तनाव और क्रोध का सबसे बड़ा कारण है. कॉर्टिसोल हार्मोन कई तरह की क्रोनिक बीमारियों के लिए जिम्मेदार है. इतना ही नहीं, मौन व्रत इम्यून शक्ति को भी बढ़ाता है. इससे कई तरह की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. इससे इमोशनल इंटेलीजेंस पर बहुत फर्क पड़ता है. यानी किसी चीज को लेकर उत्तेजना नहीं होती. कुछ लोगों की बुद्धि बहुत तीक्ष्ण होती है लेकिन उनमें इमोशनल इंटेलीजेंस नहीं होता. यानी वे बहुत जल्दी गुस्सा, भावावेश, व्यग्रता से काम करते हैं. ऐसे लोगों के लिए मौन व्रत बहुत फायदेमंद है.
मौन व्रत हर किसी को करना चाहिए
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अरुणा ब्रूटा बताती हैं कि स्पीच फास्टिंग आपके मन की गंदगी को दूर कर पूरे शरीर को डिटॉक्स करने का तरीका है. इससे आपका मन साफ होता है जिससे शरीर पर कई प्रकार के सकारात्मक बदलाव होते हैं. आज समाज में जिस तरह से विचारों से, वाणी से, व्यक्तित्व से गंदगी फैल रही हैं, उस स्थिति में मुझे लगता है कि सभी दफ्तरों, संस्थानों में कुछ देर के लिए स्पीच फास्टिंग को अनिवार्य कर देना चाहिए. डॉ. अरुणा ब्रूटा ने बताया कि स्पीच फास्टिंग दूषित मन, अशुद्ध विचार, क्रोध और वासनाओं समेत कई तरह की गंदगियों को दूर करता है. इसलिए हर व्यक्ति को इसकी जरूरत है.