चीन में गधों की आबादी में भारी गिरावट देखी गई है। इसका कारण है यहां की एजियाओ इंडस्ट्री। दरअसल, एजियाओ पारंपरिक चीनी चिकित्सा में उपयोग किया जाने वाला एक जिलेटिन है जो गधे की खाल को उबालकर बनाया जाता है। यह वैश्विक गधों की आबादी को खतरे में डाल रहा है और उन पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका के लिए खतरा बन रहा है। हालांकि, अफ्रीका चीन को गधों की खाल के लिए कानूनी और अवैध रूप से प्राप्त होने वाली खाल का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है, लेकिन यह व्यापार दुनिया भर में फैल रहा है।
ब्यूटी प्रोडक्ट्स में होते हैं इस्तेमाल
आपको बता दें, ये सबकुछ गधे की खाल से निकलने वाले कोलेजन के लिए हो रहा है। दरअसल, इस कोलेजन का इस्तेमाल कई प्रकार से सौंदर्य उत्पादों के लिए किया जाता है। जिसमें तरह-तरह की गोलियां और सप्लीमेंट्स बनाए जाते हैं। जैसे कि चेहरे के लिए क्रीम बनाने वाले सौंदर्य उत्पादों में इस्तेमाल खूब किया जा सकता है। माना जाता है कि इससे रक्त संचार में सुधार होता है जिससे स्किन का टैक्सचर बेहतर बनाता है और एजिंग नहीं होती।
इन बीमारियों में होता है इस्तेमाल
चीनी देसी चिकित्सा में ऐसा माना जाता है कि गधे की खाल का जिलेटिन
- क्तस्राव यानी ब्लीडिंग
- चक्कर आना
- अनिद्रा
- सूखी खांसी जैसी विभिन्न स्थितियों का इलाज करता है।
- साथ ही इसमें हेमटोपोइएटिक प्रभाव पाया गया है, जिससे ब्लड सेल्स का उत्पादन बढ़ जाता है और एनीमिया जैसी बीमारी नहीं होती।
- एजियाओ एक कठोर जेल है जिसे गर्म पानी या अल्कोहल में घोलकर खाने के साथ खाया जाता है या फिर पिया जाता है। इस प्रकार से ये फर्टिलिटी बढ़ाने वाले टॉनिक के रूप में इस्तेमाल होता है।
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इन कारणों से गधे गायब होते जा रहे हैं और दुनियाभर में जानवरों के हितों से जुड़ी संस्थाएं इन्हें लेकर सतर्क हैं और दुनिया के सामने ये बातें ला रही हैं। जैसे कि ये रिपोर्ट जिसे हमने thedonkeysanctuary.org.uk से ली है।