जयपुर में तपती, चुभती गर्मी से आमजन परेशान है। इस मौसम में हाल ऐसा है कि हीट स्ट्रोक के साथ ही ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले माह की तुलना में सवाई मानसिंह अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के केस 30 फीसदी तक बढ़े हैं। लगातार भर्ती हो रहे मरीजों के कारण ब्रेन स्ट्रोक आइसीयू के बेड भी फुल हो गए हैं।
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अस्पताल के न्यूरोलॉजी व न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों के अनुसार, एसएमएस अस्पताल में रोजाना ब्रेन स्ट्रोक के 8 से 10 नए मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें बुजुर्ग ही नहीं, युवा भी शामिल हैं। कई मरीजों को गंभीर हालत में आइसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। ब्लड क्लॉट्स की वजह से कई मरीजों की सर्जरी भी हो रही है। इसका बड़ा कारण अचानक बदला तापमान और तेज गर्मी माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, तापमान में यह बदलाव एसी, कार या कमरे से निकल कर तुरंत धूप में जाने से भी होता है। ऐसे में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले ज्यादा आ रहे हैं।
ओवरहीटिंग से इन समस्याओं का जोखिम
ज्यादा गर्मी के कारण शरीर भी ओवरहीटिंग के सिग्नल देने लगता है। यदि उसे नजरंदाज कर इलाज नहीं करवाया जाए तो मरीज में दिमागी स्थिति बिगड़ने, बोलने में दिक्कत होने, चिड़चिड़ापन, उन्माद में बड़बड़ाने, दौरा पड़ने और कोमा में चले जाने का जोखिम बढ़ जाता है। कुछ मामलों में मल्टी-ऑर्गन डिस्फंक्शन जैसे बडे़ जोखिम भी हो सकते हैं। दिल, फेफड़ों और किडनी के पुराने रोग से पीड़ित लोग व 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को इस मौसम में टहलने या व्यायाम करने से बचना चाहिए। – डॉ. प्रवीण कनोजिया, फिजीशियन
दिमाग बदलाव को नहीं कर पाता बर्दाश्त
जब अचानक बीपी हाई होता है और तापमान में अचानक बदलाव होता है, तो इंसान का दिमाग अचानक हुए इस बदलाव को बर्दाश्त नहीं कर पाता, जिससे ब्रेन स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। तापमान में अचानक बदलाव से खून गाढ़ा होने से दिमाग में क्लॉट हो जाता है। ब्रेन स्ट्रोक भी दो प्रकार (सिस्मिक व हेमरेजिक) का होता है। वर्तमान में सिस्मिक के केस आ रहे हैं। इसमें किसी कारणवश दिमाग में रक्त प्रवाह रुक जाता है और खून का थक्का जम जाता है। इसके अलावा माइग्रेन के मरीज भी इस बढ़ते तापमान में परेशान हो जाते हैं। उन्हें भी सावधानी बरतने की जरूरत है। – डॉ. भावना शर्मा, विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी विभाग, एसएमएस अस्पताल