-यूपी के पहले वैस्कुलर- एंडो वैस्कुलर सर्जन डॉ. यशपाल सिंह से जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
लखनऊ (अभिषेक पाण्डेय): आज के दौर में वैरीकोज वेन्स एक आम समस्या के रूप में उभर रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो इन समस्या से जूझ रहे मरीजों में नसें फूलकर मोटी और उभरी हुई दिखने लगती हैं। हालांकि, सामान्य तौर पर इसे गंभीर समस्या नहीं माना जाता है, लेकिन कभी-कभी इसके गंभीर प्रभाव भी नजर आ सकते हैं। इसलिए, चिकित्सक सलाह देते हैं कि इसे नजरअंदाज करने की बजाय इसका जल्द से जल्द इलाज करवाया जाए। वैरीकोज वेन्स की समस्या को समझने और पाठकों को समझाने के लिए अपोलो अस्पताल में वैस्कुलर- एंडो वैस्कुलर सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे डॉ. यशपाल सिंह से बातचीत की।
डॉ. यशपाल सिंह ने बताया कि खून की नसों का एब्नार्मल ढंग से फूल जाना वैरीकोज वेन्स कहलाता है। दरअसल,नसों में मौजूद वाल्व्स यदि कमजोर हो जाते हैं या सही ढंग से काम नहीं करते तो नसों में रक्त संचारित होने की बजाय जमा होने लगता है। इसके कारण नसें फूलकर मोटी, उभरी हुई और कई बार नीले या बैंगनी रंग की दिखाई देने लगती हैं। यह समस्या अधिकतर पैरों के अलग-अलग हिस्सों में दिखाई देती हैं। वैरीकोज वेन्स की समस्या आत्मविश्वास पर भी प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि उभरी हुई नसें देखने में असामान्य लगती हैं। यह समस्या पुरुषों में भी नजर आ सकती है, लेकिन इसके ज्यादातर मामले महिलाओं में ही देखने को मिलते हैं।
लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन की वजह से बढ़ रहे वैरीकोज वेन्स के मरीज़
डॉ. यशपाल ने बताया, ‘इस तरह की समस्याएं पहले भी समाज में थीं यकीन वर्तमान में इसके मामले काफी बढ़ गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन। घंटों बैठकर काम करना, घंटों खड़े रहना, इससे कहीं न कहीं रक्त संचार में दिक्कतें बढ़ती हैं। इसके कारण पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि उम्र बढ़ने के कारण नसों का कमजोर होना, महिलाओं में पीरियड्स से पहले या प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल परिवर्तन होना, मोटापा, हाई हील्स के कारण और लंबे समय तक खड़े रहना या बैठने की वजह से ये समस्या होती है। वैरिकोज वेन्स में नसों के ऊपर दर्द, सूजन, भारीपन और दर्द महसूस हो सकता है। इसके अलावा जगह-जगह पर नीली नसों का मकड़जाल दिखता है।
रात में मांसपेशियों में होती है ऐंठन
उन्होंने बताया कि नसों का काम रक्त को हृदय में वापस लाना है। जब कोई व्यक्ति खड़ा होता है या बैठता है तो नसों के वाल्व बंद हो जाते हैं, ताकि रक्त हृदय की ओर ऊपर जाए, न कि पैर से नीचे की ओर। हालांकि, वैरिकोज वेंस वाले लोगों में ये वॉल्व लीक हो जाते हैं। इसलिए रक्त पैर से नीचे की ओर बहता है और जमा हो जाता है, जिससे निचले पैरों की नसों में दबाव बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए दबाव के कारण नसें बड़ी हो जाती हैं। इस दबाव के कारण पैर भारी और थके हुए भी लगते हैं और रात में मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है। पैरों की नसों में दबाव बढ़ने से व्यक्ति भारीपन, थकावट और कमजोरी महसूस कर सकता है।
वैरिकोज वेंस के लक्षण
लक्षणों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. यशपाल ने बताया, जब वैरिकोज वेंस के दर्दनाक लक्षण में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं- पैरों में दर्द या भारीपन महसूस होना। निचले पैरों में जलन, धड़कन, मांसपेशियों में ऐंठन और सूजन। लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने पर दर्द बढ़ जाना। एक या अधिक नसों के आसपास खुजली होना। वैरिकोज वेंस के आसपास की त्वचा के रंग में परिवर्तन।
इससे कैसे बचा जाए, ये भी जानना जरूरी
पैर ऊपर उठाकर आराम करें: दिन में कुछ समय के लिए पैरों को ऊपर उठाकर आराम करें। इससे नसों में जमा रक्त नीचे की ओर बहता है और सूजन में कमी आती है।
जीवनशैली में बदलाव: वैरिकोज वेंस को मैनेज करने के लिए सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव करना जरूरी है। लंबे समय तक खड़े या बैठे रहने से बचें। अगर आपका काम ऐसा है जिसमें आपको लंबे समय तक खड़े रहना पड़ता है, तो बीच-बीच में थोड़ी देर बैठ जाएं।इसी तरह, अगर आप लंबे समय तक बैठते हैं, तो बीच-बीच में चलें-फिरें।
वजन नियंत्रित रखें: वजन घटाने से पैरों पर दबाव कम होता है, जिससे वेरिकोज वेन्स की समस्या में राहत मिलती है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
व्यायाम करें: नियमित व्यायाम जैसे पैदल चलना, तैराकी, और साइकिल चलाना नसों में रक्त प्रवाह को सुधारता है। इससे पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और वेरिकोज वेन्स की समस्या में राहत मिलती है।
हाई हील्स से परहेज करें। हाई फाइबर फूड्स का सेवन करें। एक्सरसाइज करें।