जलाशय, नदी-नाले और तालाब के किनारे पाया जाने वाला एक ऐसा जंगली पौधा है जो औषधि की खान है. इस पौधे का नाम बेशर्म है और ये हर जगह आसानी से उग आता है. आयुर्वेद में इस पौधे के फूल, पत्तों और दूध को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. यह पौधा नाम से जितना लोकप्रिय है, उतना ही काम का भी है. फोड़े-फुंसी या अन्य त्वचा रोगों के लिए इस पौधे की पत्तियां रामबाण दवा है.
सूजन दूर करने में उपयोगी
इस औषधीय पौधे के फूल का रंग गुलाबी होता है, जिसके कारण इसे गुलाबबसी भी कहा जाता है. पौधे के जहरीले होने के कारण पशु इसे नहीं खाते. वहीं, आयुर्वेद चिकित्सा डॉ. अनुराग अहिरवार ने Local 18 को बताया कि बेशर्म का पौधा आयुर्वेद में बड़ा महत्व रखता है. इसके पत्तों को पीसकर सूजन वाली जगह पर लगाने से महज 3 से 4 दिन में सूजन कम हो जाती है. यह यूं कहें कि गायब हो जाती है. कई वैद्य बिच्छू के काटने पर इसके दूध को लगाते हैं, जिससे बिच्छू का जहर शरीर में फैल नहीं पाता.
घाव भरने में मददगार
डॉ. अनुराग अहिरवार ने बताया कि बेशर्म के पौधे में एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, इसलिए इस पौधे का इस्तेमाल घाव भरने में अधिक किया जाता है. इसकी हरी पत्तियों पर गरम तेल के साथ चोट या घाव पर लगाने से घाव कुछ ही दिनों में भर जाता है. पुराने घाव को भरने में यह काफी कारगर दवा है.