-बाइपोलर डिसऑर्डर: वह बीमारी जिससे हनी सिंह पांच साल तक जूझते रहे
Bipolar Disorder: एक समय पर म्यूजिक इंडस्ट्री में अपने नाम का सिक्का चलाने वाले लोकप्रिय गायक, रैपर और एक्टर यो यो हनी सिंह का एक इंटरव्यू खूब वायरल हो रहा है. इस इंटरव्यू में कैरियर, कंट्रोवर्सी, ड्रग्स, अश्लील गाने जैसे मुद्दों पर हनी सिंह बेबाक जवाब दे रहे. इस साक्षात्कार में हनी सिंह बाइपोलर डिसऑर्डर पर भी बात की है. ये वही डिसऑर्डर है जिससे वे पांच साल तक पीड़ित रहे.
चूंकि ये एक मनोरोग विकार है तो इस डिसऑर्डर के बारे में जानने, समझने और पाठकों को समझाने के लिए माई नेशन के लखनऊ ब्यूरो चीफ अभिषेक पाण्डेय ने मनोचिकित्सक डॉ. पारुल प्रसाद से बातचीत की. इस डिसऑर्डर को आसान भाषा में समझाते हुए उन्होंने बताया, ‘बाइ यानी दो और पोल अटलब ध्रुव. इसमें दो धुर्व होते हैं, एक मेनिया और एक डिप्रेशन का. इसमें इंसान कुछ समय के लिए डिप्रेशन फेज में जा सकता है और कुछ समय के लिए मेनिया के फेज में.’
क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर? मरीज को किन समस्याओं से पड़ता है जूझना
डॉ. पारुल प्रसाद ने इस डिसऑर्डर को समझाते हुए बताया कि डिप्रेशन में मन उदास रहना, किसी काम में मन नहीं लगना, शरीर में थकावट महसूस होना, मन निराशाजनक लग्न, नींद में कमी आदि जैसे लक्षण नज़र आते हैं. ये लक्षण कुछ हफ़्तों से लकर महीनों तक रह सकते हैं. धीरे-धीरे पेशंट रिकवर कर जाता है. मेनिया फेज में शरीर में जरूरत से ज्यादा एनर्जी, बहुत ज्यादा बोलना, बड़ी बाड़ी बातें करना, अनावश्यक खर्चे, नींद पूरी न होने के बावजूद फ्रेश फील करना, अति आशावादी, चिड़चिड़ापन के लक्षण नज़र आते हैं. इसके साथ ही अगर सीवियर कंडीशन है तो मरीज आक्रामक भी हो जाता है. जो भी इस डिसऑर्डर से जूझता है उसके जीवन में इस तरह के एपिसोड्स आते रहते हैं. हां, इस डिसऑर्डर में ‘मूड स्विंग’ बिलकुल भी नहीं होता है. ये सिर्फ और सिर्फ भ्रांति है.
मरीज को इस डिसऑर्डर से उभरने में कितना वक्त लगता है?
मनोचिकित्सक डॉ. पारुल प्रसाद ने बताया कि इसका इलाज एपिसोड्स पर निर्भर करता है. ज्यादातर मामलों में एक से ज्यादा एपिसोड्स आते हैं और फेज में इलाज लंबा चलता है. साथ ही दोबारा एपिसोड आने का खतरा बना रहता है. नशा, स्ट्रेस, नींद पूरी न होना, पारिवारिक परेशानियों के चलते इस डिसऑर्डर के एपिसोड दोबारा आ सकते हैं. निरंतर दवाइयों का सेवन करने से एपिसोड को नियंत्रण में लाया जा सकता है.
अनुवांशिक बीमारी है बाइपोलर डिसऑर्डर: डॉ पारुल प्रसाद
मनोचिकित्सक बताती हैं कि ये एक अनुवांशिक बीमारी है, ज्यादातर मामलों में पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता चला आया होता है. उन्होंने बताया, ‘ हां, एक और बात, अगर किसी कि फैमिली हिस्ट्री इस डिसऑर्डर से जुड़ी है तो कई कारणों के चलते इसके लक्षणों की शुरुआत हो सकती है. उदाहरण के तौर पर अगर कोई बहुत ज्यादा नशा करता है, अलग-अलग किस्म का नशा करता है, और परिवार में कोई इस डिसऑर्डर से जूझ चुका है तो डिसऑर्डर के उभरने के अवसर बढ़ जाते हैं.
ठीक ऐसे ही अगर किसी के जीवन में स्ट्रेस है, मेंटल ट्रामा से जूझा है तो ऐसे मामलों में भी इस डिसऑर्डर के लक्षण उभर सकते हैं. हालांकि, इस डिसऑर्डर का मुख्य कारण अनुवांशिक है. इस डिसऑर्डर में दिमाग में जुड़े कुछ चेमिकल्स होते हैं जिनके इम्बैलेंस होने की वजह से डिप्रेशन और मेनिया होता है.
बाइपोलर डिसऑर्डर के ये हैं लक्षण
इसके तीन प्रमुख लक्षण हैं. जैसे कि नींद की जरूरत कम होना, अचानक से तेज बोलना या फिर ऊंची आवाज में बात करना, मन में विचारों का चलते रहना, शारीरिक गतिविधि का बढ़ना और सबसे आखिरी रिस्की व्यवहार का तेजी से बढ़ना. ये लक्षण जिस व्यक्ति में भी नजर आते हैं, उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति में दिखते हैं कई लक्षण
डिप्रेशन के दौरान एक व्यक्ति तेजी से दुखी महसूस करने लगता है या फिर वो एकाएक मुस्कुराने लगता है, या फिर उस काम में उसको खुशी नहीं मिलती, पहले जिसे करने में उसे आनंद प्राप्त होता था. जो व्यक्ति डिप्रेशन से जूझ रहा होता है, वो अपने आप को वर्थलेस या फिर गिल्टी फील करता है यानी कि उसके मन में अपराधबोध की भावना हमेशा बनी रहती है. इसके अलावा थकान महसूस होता है, नींद में बदलाव, भूख में बदलाव, बेचैन होना या फिर एकाग्रचित होने में कठिनाई महसूस करना. लगातार मौत और खुदकुशी के बारे में सोचते रहना. ये सब आम लक्षण डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों में नजर आने लगता है.