मस्तिष्क के किसी हिस्से में जब असाधारण रूप से कोशिकाएं विकसित होती हैं तो उसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। मस्तिष्क में विकसित होने वाला ट्यूमर कैंसर से संबंधित (मैलिग्नैंट ट्यूमर) और बिना कैंसर (बिनाइन ट्यूमर) हो सकता है। मस्तिष्क में ट्यूमर बनने के कारण खोपड़ी के अंदर दबाव बढ़ जाता है, जिससे मस्तिष्क की संरचना होने लगती हैं। ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी है।
मस्तिष्क में ट्यूमर के कितने प्रकार हैं
मस्तिष्क में होने वाले ट्यूमर आमतौर पर दो प्रकार के हो सकते हैं, जिन्हें प्राइमरी और सेकेंडरी के रूप में जाना जाता है। हालांकि, ट्यूमर किस कारण से और किस जगह पर विकसित हुआ है। उसके अनुसार कुछ अन्य प्रकार भी हो सकते हैं जिनके बारे में नीचे समझाया गया है।
प्राइमरी ट्यूमर
वयस्कों में होने वाले प्राइमरी ट्यूमर में ग्लियोम और मेनिनजियोमा शामिल हैं। ग्लियोमा वे ट्यूमर हैं, जो ग्लियाल कोशिकाओं में विकसित होते हैं। ये कोशिकाएं केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) में मौजूद होती हैं। ये कोशिकाएं विद्युत आवेग (इलेक्ट्रिकल इम्पल्स) उत्पन्न नहीं करती हैं। वहीं मेनिनजियोमा आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद ही प्रभावित करता है और यह मेनिन्जेस (Meninges) में विकसित होता है। ये वे खास प्रकार की झिल्लियां हैं, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने का काम करती हैं। इसके अलावा प्राइमरी ट्यूमर में कुछ अन्य प्रकार के ट्यूमर भी हो सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं –
- पिट्यूटरी ट्यूमर (पीयूष ग्रंथि में होने वाला ट्यूमर, जो आमतौर पर कैंसर रहित होता है)
- पीनियल ग्लैंड ट्यूमर (कैंसरयुक्त या कैंसर रहित ट्यूमर)
- एपेंडिमोमस (अधिकतर मामलों में कैंसर रहित)
- क्रैनियोफेरिंजियोमा (आमतौर पर कैंसर रहित)
- प्राइमरी सेंट्रल नर्वस सिस्टम लिम्फोमा (कैंसर युक्त)
- मस्तिष्क की प्राइमरी जर्म सेल में ट्यूमर (कैंसर युक्त व कैंसर रहित)
सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर
ये कैंसरयुक्त ट्यूमर होते हैं, जो शरीर के किसी अन्य हिस्से से मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। फेफड़ों, स्तनों, गुर्दे और त्वचा में होने वाले कैंसर मस्तिष्क के हिस्सों तक पहुंच सकता है।
मस्तिष्क में ट्यूमर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर से होने वाले लक्षण प्रमुख रूप कुछ विशेष स्थितियों पर निर्भर करते हैं जैसे ट्यूमर मस्तिष्क के किस हिस्से में विकसित हुआ है, उसका आकार कितना है और वह कितनी तीव्रता से बढ़ रहा है। हालांकि, सिर में दर्द होना ट्यूमर का सबसे प्रमुख लक्षण है और सुबह उठने, खांसते, छींकते और व्यायाम आदि करते समय यह बढ़ जाता है। इसके साथ-साथ मस्तिष्क में ट्यूमर होने पर कुछ अन्य समस्याएं भी होने लगती हैं, जिन्हें ब्रेन ट्यूमर का लक्षण समझा जा सकता है –
- मिर्गी के दौरे आना
- धुंधला दिखना या दो चीजें दिखाई देना
- लकवा (पैरालिसिस)
- सुनने संबंधी समस्याएं होना
- निगलने में कठिनाई
- ठीक से बोल न पाना
- याददाश्त भूल जाना
- पेशाब को रोक न पाना
- बेहोश होना
- चलने में दिक्कत आना
मस्तिष्क में ट्यूमर की जांच
ब्रेन ट्यूमर का निदान आमतौर पर न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है। इसका निदान करने के लिए डॉक्टर मस्तिष्क की जांच करते हैं और अन्य न्यूरोलॉजिकल परीक्षण भी करते हैं। इसके साथ-साथ मरीज से उसके स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां (मेडिकल हिस्ट्री) भी ली जाती हैं। ब्रेन ट्यूमर के निदान के दौरान डॉक्टर मांसपेशियों की मजबूती, ऑप्टिक नर्व की स्थिति, याददाश्त और अन्य संज्ञानात्मक गतिविधियों की जांच करते हैं। ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि करने के लिए अन्य इमेजिंग स्कैन भी किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं –
सीटी स्कैन – इसकी मदद से कई अलग-अलग कोणों से मस्तिष्क की अंदरूनी संरचना की तस्वीरें ली जाती हैं।
एमआरआई स्कैन – ब्रेन ट्यूमर का निदान करने के लिए इस इमेजिंग टेस्ट को सबसे ज्यादा किया जाता है। इसमें इसमें रेडियो सिग्नल की मदद से मस्तिष्क की संरचना संबंधी वे जानकारी ली जाती हैं, जो सीटी स्कैन में नहीं मिल पाती हैं।
एंजियोग्राफी – इस इमेजिंग टेस्ट में धमनियों में डाई डालकर ब्रेन ट्यूमर में ब्लड सप्लाई की जांच की जाती है।
स्कल एक्स रे – खोपड़ी का एक्स रे करके यह पता लगाया जाता है कि कहीं ट्यूमर के कारण खोपड़ी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है।
यदि मस्तिष्क में ट्यूमर की पुष्टि हो गई है, तो मैलिग्नैंट या बिनाइन का पता लगाने के लिए बायोप्सी की जा सकती है। इसमें ट्यूमर से ऊतक का एक छोटा सा टुकड़ा सैंपल के रूप में निकाल लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है, की कहीं या कैंसर से संबंधित तो नहीं है।
मस्तिष्क में ट्यूमर के जोखिम कारक
उम्र
वैसे तो ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है लेकिन, बुजुर्ग व्यक्तियों को मस्तिष्क में ट्यूमर होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। बुजुर्ग व्यक्तियों को अक्सर मैलिग्नैंट ट्यूमर होने का खतरा अधिक रहता है।
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लिंग
वॉशिंग्टन यूनिवर्सिटी स्कूल और मेडिसिन में कई गई एक रिसर्च के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों में रेटिनोब्लास्टोमा प्रोटीन की मात्रा कम होती है, जो कैंसर के खतरे को करने में मदद करता है।
रेडिएशन के संपर्क में आना
आयोनाइजिंग रेडिएशन के संपर्क में आना किसी व्यक्ति के लिए ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा बढ़ा देती है। कैंसर थेरेपी के दौरान भी आप इस जोखिम कारक के संपर्क में आ सकते हैं।
पारिवारिक बीमारी
परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को पहले से ही ब्रेन ट्यूमर होने से दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या होने का खतरा बढ़ सकता है। उदाहरण के तौर पर माता-पिता या सगे भाई-बहन के मस्तिष्क में ट्यूमर होना आपको ब्रेन ट्यूर होने के खतरे को भी बढ़ा सकता है।
मस्तिष्क में ट्यूमर से बचाव
ब्रेन ट्यूमर के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है और इसलिए अभी इसकी रोकथाम या बचाव करना भी संभव नहीं है। हालांकि, सर गंगाराम अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सतनाम सिंह छाबड़ा के अनुसार अच्छी जीवनशैली आदतें अपनाना, 50 की उम्र के बाद हर साल चेकअप कराना और ब्रेन ट्यूमर से जुड़ा कोई भी लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करवाना ही मस्तिष्क के ट्यूमर से बचाव करने में मदद कर सकता है।
मस्तिष्क में ट्यूमर का क्या इलाज है
डॉक्टर ब्रेन ट्यूमर का इलाज आमतौर पर उसके प्रकार, आकार और वह किस जगह पर विकसित हुआ है आदि के आधार पर करते हैं। मस्तिष्क में विकसित हुए ट्यूमर का इलाज आमतौर पर निम्न के आधार पर किया जाता है –
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सर्जरी
यदि ब्रेन ट्यूमर कैंसर से संबंधित है, तो इसका प्रमुख इलाज सर्जरी ही होता है। सर्जरी के दौरान इलाज का प्रमुख लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को निकालना और कम से कम स्वस्थ कोशिकाओं को बचाना होता है। मस्तिष्क के लिए आमतौर पर माइक्रोस्कोपिक ब्रेन सर्जरी और एंडोस्कोपिक सर्जरी आदि की जाती हैं। इन सर्जरी प्रक्रियाओं को ट्यूमर के प्रकार, साइज और प्रभावित जगह के अनुसार चुना जाता है।
कीमोथेरेपी
यदि सर्जरी की मदद से ट्यूमर को निकालना मुश्किल है, विशेष रूप से बुजुर्ग व्यक्तियों में। ऐसी स्थितियों में ट्यूमर का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी का विकल्प लिया जा सकता है। हालांकि, कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले कई स्थितियों पर विचार करना पड़ता है, जिनमें प्रमुख रूप से कैंसर का प्रकार (कैंसरयुक्त या कैंसर रहित) और ट्यूमर कितनी तीव्रता से बढ़ रहा है आदि शामिल हैं।
रेडिएशन थेरेपी
इस ट्रीटमेंट प्रोसीजर से ब्रेन ट्यूमर का इलाज करने के लिए मस्तिष्क के अंदर से आयोनाइज की गई गामा किरणों को गुजारा जाता है, जिससे ट्यूमर को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है। कुछ गंभीर मामलों में ट्यूमर की ग्रोथ को रोकने के लिए पल्वेराइज्ड गामा किरणों को इस्तेमाल में लाया जाता है।