स्वास्थ्य और बीमारियां

मेनोपॉज़ में बढ़ सकती है ये समस्या, तो कुछ इस तरह करें डील

आमतौर पर 40 से 50 वर्ष की आयु के दौरान महिलाओं को मनोपॉज की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। महावारी के इस अतिंम चरण पर पहुंचकर उन्हें कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हीं में से एक है मेनोपॉज ब्रेन फॉग। इस समस्या से ग्रस्त महिलाएं अक्सर मूड सि्ंवग का सामना करती है और किसी भी चीज़ पर फोक्स करने की उनकी क्षमता कम होने लगती है। हांलाकि महिलाओं में इसके लक्षण अलग अलग पाए जाते हैं। जानते हैं मेनापॉजल ब्रेन फॉग किसे कहते हैं और किन टिप्स की मदद से इस समस्या को सुलझाया जा सकता है।

क्या होता है मेनोपॉजल ब्रेन फॉग

इस बारे में बातचीत करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रितु सेठी का कहना है कि किसी भी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में आने वाली कमी को ब्रेन फॉग कहा जाता है। मेनोपॉज के दौरान ये समस्या महिलाओं में खासतौर से देखने को मिलती है। दरअसल, 40 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव देखने को मिलते है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रान जैसे हार्मोन के स्तर में कमी आने से महिलाओं की याददाश्त कम होने लगती है और उन्हें मूड स्विंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी इस समस्या को बढ़ा देती है। रिप्रोडक्टिव लाइफ के आखिरी वर्षों में महिलाओं के शरीर में इस प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं।

मेनोपॉजल ब्रेन फॉग से बचने के टिप्स

इस बारे में स्त्री रोग विषेशज्ञ डॉ पूजा संतोडे बताती हैं कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को कॉगनिशन इशूज़ का सामना करना पड़ता है। इससे राहत पाने के लिए नींद पूरी लेना और आराम करना आवश्यक है। इसके लिए आहार में एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा को भी शामिल करें, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा अल्कोहल और स्मोकिंग से भी दूरी बनाकर रखें अन्यथा तनाव की समस्या बढ़ने का खतरा बना रहता है।

अन्य उपाय

हेल्दी डाइट लें
ऐसी मील्स जिन्हें लेने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल और फैट्स की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, जो हार्ट हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचाती है। मानसिक तनाव को कम करने के लिए आहार में ओमेगा 3 फैटी एसिड और अनसेचुरेटिड फैट्स से भरपूर डाइट को शामिल करे। साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। इससे शरीर में एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा बढ़ने लगती है।

क्वालिटी स्लीप
एनआईएच की रिसर्च के अनुसार क्वालिटी स्लीप न मिल पाने से ब्रेन फॉग की समस्या का सामना करना पड़ता है। रिसर्च के अनुसार 61 फीसदी पोस्टमेनोपॉजल महिलाएं इनसोमनिया का शिकार होती हैं। इससे बचने के लिए सोने से पहले हैवी मील्स अवॉइड करें। अच्छी नींद के लिए कैफीन और स्पाइसी फूड के सेवन को कम करें।

ब्रेन एक्टीविटीज़
सोचने की क्षमता को बढ़ाने के लिए दिनभर में कुछ वक्त ब्रेन एक्टीविटीज़ में बिताएं। इसके लिए ब्रेन गेम्स के अलावा माइंडफूलनेस भी ज़रूरी है। दिनभर में कुछ वक्त मेडिटेशन के लिए भी निकालें। साथ अपनी पंसदीदा गतिविधि को भी रूटीन का हिस्सा बनाएं। इससे माइंड एक्टिव और हेल्दी रहता है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगती हैं।

रेगुलर एक्सरसाइज़ है ज़रूरी
नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करने से शरीर की मांसपेशियों में बढ़ने वाली ऐंठन को दूर करने के साथ मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मदद मिलती है। व्यायाम करने से शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगते है, जिससे शरीर एक्टिव बना रहता है। रोज़ाना कुछ देर जॉगिंग, वॉटर एरोबिक्स, रनिंग और साइकलिंग के लिए निकालें।

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