किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था का समय उसके जीवन का सबसे अहम और महत्वपूर्ण दौर होता है। एक होने वाली मां के लिए बहुत जरूरी है कि वह अपने खाने के साथ ही व्यायाम पर भी पूरा ध्यान दे। योग के साथ ही इस दौरान ‘डक वॉक’ करना बहुत ही फायदेमंद होता है। ‘डक वॉक’ एक ऐसी एक्सरसाइज है, जो गर्भावस्था की कई समस्याओं को हल कर देती है। यह गर्भवती माताओं के साथ ही गर्भस्थ शिशु के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए कैसे फायदेमंद है यह एक्सरसाइज
गर्भवतियों के लिए है संपूर्ण व्यायाम
डॉ. कविता वेंकटेशन बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान शरीर को लचीला और गतिशील बनाने में ‘डक वॉक’ बहुत ही अच्छा व्यायाम है। यदि गर्भस्थ शिशु का सिर नीचे की स्थिति में हो तो गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे 30वें सप्ताह में डक वॉक शुरू करें। गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओं का संतुलन बिगड़ जाता है पर ऐसे में डक वॉक से गर्भवतियों के संतुलन में सुधार होता है।
इस दौरान पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को भी यह एक्सरसाइज कम करती है। यह जांघों की मांसपेशियों को भी मजबूत करती है। यह हिप्स के मूवमेंट को गति देने में भी मदद करती है। डॉ. वेंकटेशन के अनुसार यह एक्सरसाइज एक संपूर्ण व्यायाम है, इससे महिलाओं को प्रसव के समय होने वाले दर्द को कम करने में भी मदद मिलती है।
गर्भवती महिलाओं को ताकत देती है यह एक्सरसाइज
डक वॉक न सिर्फ गर्भवती माताओं के प्रसव को आसान बनाती है, बल्कि यह उन्हें ताकत भी देती है। डक वॉक से आपके पैरों की मांसपेशियां बेहद शक्तिशाली होती हैं, जिससे प्रसव आसान होता है। यह टखनों को भी मजबूती देती है। गर्भावस्था में अक्सर महिलाएं एनर्जी की कमी महसूस करती हैं। इस परेशानी से भी यह एक्सरसाइज राहत देती है। इसकी मदद से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है, जिससे शरीर में एनर्जी बनी रहती है। प्रेगनेंसी के दौरान जिन महिलाओं को पीठ दर्द की शिकायत रहती है, उन्हें यह एक्सरसाइज करने से राहत मिल सकती है। यह पेट के दबाव को भी कम करती है।
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प्रसव को बनाती है आसान
डक वॉक काफी हद तक आपकी डिलीवरी नॉर्मल करने में मददगार हो सकती है। डॉ. वेंकटेशन के अनुसार जो गर्भवती महिलाएं लगातार डक वॉक का अभ्यास करती हैं, उनके बच्चे का सिर नीचे आ जाता है, इससे प्रसव आसान और सहज हो जाता है। इस व्यायाम से शरीर के निचले हिस्से में रक्त परिसंचरण सुधरता है। जिससे एडिमा और वैरिकाज वेन्स जैसे खतरे कम होते हैं। इससे कब्ज जैसी परेशानियां भी दूर होती हैं, जो गर्भावस्था में बहुत ही आम होती हैं।
ये गंभीर खतरा होता है कम
गर्भावस्था के महीने जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं, वैसे ही गुरुत्वाकर्षण का केंद्र बदल जाता है। ऐसे में गर्भवतियों का संतुलन बिगड़ने लगता है। कई बार यह स्थिति गिरने या चोट लगने का कारण तक बन जाती है। लेकिन जब गर्भवती महिला लगातार डक वॉक का अभ्यास करती है तो उसके पैरों और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। जिससे संतुलन सुधरता है और दुर्घटनावश गिरने की आशंका कम होती है। ऐसे में मां और शिशु दोनों को सुरक्षा मिलती है। हालांकि डक वॉक जैसे व्यायाम को करने से पहले एक बार आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।