दही में पाया जाने वाला विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और फोलिक एसिड सेहत के लिए लाभदायी होता है। दही में भरपूर मात्रा में प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं, जो आंतों को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही सुबह खाली पेट इसका सेवन वजन कम करने में भी मदद कर सकता है।
एक अध्ययन के अनुसार, दही न केवल आंतों के लिए अच्छा होता है, बल्कि यह आपके मूड को भी सही कर सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कैसे लैक्टोबैसिलस, दही में पाया जाने वाला जीवाणु, शरीर को तनाव का प्रबंधन करने में मदद करता है और अवसाद और चिंता को रोकने में मदद कर सकता है।
ब्रेन, बिहेवियर और इम्यूनिटी जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए नए उपचारों के बार संभावनाएं खोजता है। यह खोज उल्लेखनीय है क्योंकि यह लैक्टोबैसिलस की भूमिका को बताती है, जो इसे अन्य सभी सूक्ष्मजीवों से अलग करती है जो स्वाभाविक रूप से हमारे शरीर में और उसके ऊपर रहते हैं।
क्या कहते हैं रिसर्चर्स
रिसर्चर्स की खोज से पता चलता है कि आंत में रहने वाला लैक्टोबैसिलस प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करके मूड संबंधी विकारों को कैसे प्रभावित करता है। हमारा शोध चिंता और अवसाद के लिए बहुत आवश्यक उपचारों की खोज का मार्ग दिखा सकता है।
चूहों पर किया गया शोध
टीम ने विशेष रूप से लैक्टोबैसिली पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण अपनाया। गॉल्टियर की प्रयोगशाला के पूर्व शोध से पता चला है कि बैक्टीरिया प्रयोगशाला के चूहों में अवसाद को दूर कर सकता है। इस संबंध में पहले भी अध्ययन हो चुके हैं, जिसमें भी लैक्टोबैसिली को फायदों को खोजा गया था।
इस तरह निकला परिणाम
परिणाम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि लैक्टोबैसिली व्यवहार को कैसे प्रभावित करता है, और बैक्टीरिया की कमी कैसे अवसाद और चिंता को बढ़ा सकती है। लैक्टोबैसिलैसिया परिवार में लैक्टोबैसिली इंटरफेरॉन गामा नामक एक प्रतिरक्षा मध्यस्थ के स्तर को बनाए रखता है जो तनाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है और अवसाद को दूर करने में मदद करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब हम यह पता लगा सकते हैं कि चिंता और अवसाद को रोकने और इलाज के लिए लैक्टोबैसिलस के स्वस्थ स्तर को कैसे बनाए रखा जा सकता है।