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अस्थमा से पीड़ित बच्चों के लिए तम्बाकू का धुआं है काल- Dr. Sanjay Niranjan

1970 के दशक से ब्रोन्कियल अस्थमा लगातार बढ़ रहा है और अब एक अनुमान के अनुसार 4 से 7% दुनियाभर की आबादी इससे प्रभावित है। पीडियाट्रिक अस्थमा बच्चों की सबसे आम क्रोनिक बीमारियों में से एक है. यह सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें बच्चों के लंग्स में सांस की नलियों में सूजन आ जाती है और संकरी होने की वजह से हवा पास नहीं कर पाती. हमारे देश में ही करीब 7.9 प्रतिशत बच्चे इस बीमारी के शिकार हैं.

अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों को जितना ज्यादा जान पाएंगे, उतना ही बच्चे को बचा सकते हैं. सही समय पर इस बीमारी को पहचानकर इसका इलाज काफी संभव है. कुछ लोग अस्थमा को लेकर कंफ्यूज भी रहते हैं. इसलिए इस बीमारी को ठीक तरह से जानकार बच्चे को इससे बचा सकते हैं क्योंकि अस्थमा पीड़ित करीब 80 प्रतिशत बच्चों में इसके लक्षण 6 साल तक की उम्र में ही नजर आ जाते हैं. आज इसी पर बात करते हैं और विशेषज्ञ से जानते हैं कf आखिर बच्चों को इस बीमारी से कैसे बचाया जा सकता है.

विशेषज्ञ के रूप में आरोग्य इंडिया से जुड़े हैं डॉ संजय निरंजन. जो बतायेंगे कि आखिर बच्चों में ये बीमारी किस तरह से पैर पसारती है, इसका इलाज क्या है, कैसे इससे बचा जा सकता है? अस्थमा से जुड़ीं कौन-कौन सी भ्रान्तियां समाज में फैली हैं, इन सभी की जानकारी लेते हैं.

डॉ संजय निरंजन. के मुताबिक, सांस की बीमारी बड़े और बच्चों दोनों में होती है इसके लक्षणों में खांसी होना, सांस फूलना, ऑक्सीजन की कमी होना शामिल है. इसमें भी एक रेंज होती है किसी को ये ज्यादा होती है तो किसी को कम होती है. अगर बहुत ज्यादा कमी हो जाये तो ये जानलेवा हो सकती है लेकिन इसका इलाज संभव है. आजकल के होने वाले इलाज से करीब से करीब हम नॉर्मल रह सकते हैं. छोटे बच्चों में बार-बार खांसी, सर्दी बनी रहती है, कभी कम होती है कभी ज्यादा होती है. तो ये वायरल अक्सर दो से तीन साल तक बनी रहती है. जिन बच्चों को तीन साल के बाद भी सिम्टम बढ़ने लगते हैं. बिना बुखार के ही सर्दी-बुखार, सांस फूलना और परिवार में एलर्जी होना ये सब अस्थमा के लक्षण हैं.

बच्चा अगर अस्थमा से पीड़ित है तो उसके लिए इनहेलर कितना आवश्यक है?

इन्हेलर एक दवाई लेने का तरीका है। जैसे आपको सांस की दवाई लेनी है तो इन्हेलर है, स्किन की दवाई स्किन में लगा लेते हैं, आंख की दवाई आंख में डाल लेते हैं, नाक की दवा नाक में डाल लेते हैं। इसी तरह पीने की बजाय, इंजेक्शन की बजाय सांस की दवाई सांस में लेते हैं। तो सांसे की दवाई लेने का सबसे अच्छा तरीका इन्हेलर है।

अस्थमा से जूझ रहे मरीजों को अपने खान-पान में क्या कुछ शामिल करना चाहिए?

अस्थमा में डाइट का परहेज करने की कोई जरूरत नहीं है. इसमें डाइट को लेकर ऐसा कुछ नहीं है कि ये आप ये नहीं खा सकते हैं. इसमें आप आईसक्रीम भी खा सकते हैं. अस्थमा में सबसे खतरनाक चीज है तंबाकू की महक, तंबाकू का धंआ और सिगरेट का धुंआ. बड़े लोग स्मोक करते हैं लेकिन ये धुआं वातावरण में रहता है और बच्चों में जाता है जो काफी ज्यादा खतरनाक है.

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