बहरेपन की समस्या पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ी है। बच्चों-युवाओं में इसका जोखिम तेजी से बढ़ा है। आंकड़ों को देखा जाये तो वैश्विक स्तर पर 34 मिलियन (3.4 करोड़) से अधिक बच्चों में बहरेपन या सुनने की क्षमता में कमी देखी गई है, जिनमें से 60% मामले ऐसे हैं जिन्हें रोका जा सकता था। स्वास्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 30% लोगों में सुनने की क्षमता कम होने लगती है, हालांकि जिस प्रकार से कम उम्र के लोगों में इसका बढ़ रहा है वह काफी चिंता करने वाली बात है।
बहरेपन की बढ़ती समस्या के लिए विशेषज्ञों ने जिन कारणों को जिम्मेदार पाया है, उनमें बार-बार तेज आवाज के संपर्क में आने से कानों को होने वाली क्षति प्रमुख है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ईयरफोन-हेडफोन या फिर लाउडस्पीकर-साउंड की तेज आवाज के संपर्क में रहना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। युवा ईयरफोन-हेडफोन का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं जो कानों के लिए गंभीर समस्या हो सकते हैं।
तेज ध्वनि से बढ़ता है जोखिम
अध्ययन की रिपोर्ट कहती है कि ईयरफोन-हेडफोन की आवाज जितनी तेज होगी, सुनने का खतरा उतना अधिक हो सकता है। इन उपकरणों का एक्सपोजर जितना लंबा होगा, बहरेपन का खतरा भी उतना अधिक बढ़ जाता है। इसलिए इन उपकरणों का इस्तेमाल या तो बहुत कम करें या फिर आवाज को बिल्कुल कम रखें।
ध्वनि को डेसीबल (dB) में मापा जाता है, यह जितना अधिक होगा कानों की नाजुक मांसपेशियों को हानि पहुंचने का खतरा उतना बढ़ जाता है। तेज शोर के कारण आंतरिक कान की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है।
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कितनी तेज आवाज है खतरनाक?
अध्ययनकर्ता के मुताबिक, 30-50 डीबी की आवाज में कुछ समय के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि जैसे-जैसे ये बढ़ता जाता है, दुष्प्रभाव भी बढ़ने लगते हैं। लंबे समय तक 70 डीबी से ऊपर की आवाज आपकी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाना शुरू कर सकती है। 120 डीबी से ऊपर का तेज शोर आपके कानों को तुरंत नुकसान पहुंचा सकता है। हाल ही एक शोध में पाया गया है कि कुछ घंटों तक 80 डीबी तीव्रता वाली आवाज आपको बहरा भी बना सकती है।
क्या कहता है अध्ययन?
BMJ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित शोधपत्र में 14 अध्ययनों की समीक्षा की गई, जिसमें कुल मिलाकर 50,000 से अधिक लोग शामिल थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो बच्चे लंबे समय तक हेडफोन्स लगाकर गेम खेलते हैं उनमें बहरेपन का खतरा अधिक देखा गया है।शोधकर्ता कहते हैं, जिन लोगों ने 80-90 डीबी की तीव्रता में सप्ताह में 3 घंटे से अधिक समय तक आवाज वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया, उनमें कम सुनाई देने या बहरेपन का खतरा अधिक था।
बच्चों को हेडफोन्स के अधिक इस्तेमाल से रोकें
WHO के अनुसार सुनने की क्षमता में हानि या टिनिटस जैसी कानों की समस्याओं से बचाव के लिए साउंड या दूसरे उपकरणों से निकलने वाली ध्वनि को कम रखें। वॉल्यूम हमेशा 50% से कम ही रखें। कानों को आराम देने के लिए नियमित ब्रेक जरूर लें। यदि आप शोर-शराबे वाले वातावरण में रहते हैं तो नॉइस कैंसिलेशन वाले उपकरणों का प्रयोग करें।
वहीं अगर कुछ समय से सुनने में दिक्कत या कानों में दर्द-असहजता बनी हुई है तो समय रहते डॉक्टर से मिलकर जांच जरूर कराएं। बच्चों को हेडफोन्स के अधिक इस्तेमाल से रोकना भी आवश्यक है।