कोरोना जैसे इस रोग से अस्पतालों में बढ़ी भीड़, डॉक्टरों से जानें लक्षण

सीकर जिले में इन दिनों बच्चों में एक बीमारी खूब फैल रही है. इस बीमारी ने सबकी नींद उड़ा दी है. बच्चों के माता-पिता और स्वास्थ्य विभाग सब चिंता में हैं. बच्चों को कान और गले में सूजन हो रही है. ये संक्रमक बीमारी है जो एक से दूसरे के संपर्क में आने पर तेजी से फैल रही है. अस्पतालों में रोज कई बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. यह आंकड़ा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है.
जिले में बच्चों में वायरल डिजीज कनफेड़ा (कान और गले के पास सूजन) अधिक फैल रहा है. ये कोरोना की तरह संक्रमक है जो तेजी से एक से दूसरे में फैल रहा है. सीकर के कल्याण हॉस्पिटल में लगातार इसके मरीज बढ़ रहे हैं. इस हॉस्पिटल में ओपीडी में रोजाना पांच -छह नए मरीज इस वायरल डिजीज के आ रहे हैं. इसके अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल्स में रोजाना चार दर्जन से ज्यादा मरीज आ रहे हैं.
बेहद संक्रामक है यह रोग
डॉक्टरों के अनुसार वायरल डिजीज कनफेड़ा (Mumps) बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है. शुरुआत में फ्लू जैसी समस्या लगती है, कुछ ही दिन बाद लार ग्रन्थियों में सूजन के कारण खाना निगलने में परेशानी होने लगती है. यह एक वायरल इन्फेक्शन है. वैसे ये रोग आठ से दस दिन में ठीक हो जाता है लेकिन लापरवाही के कारण सुनने और प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है.
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ये हैं लक्षण
कनफेड़ा एक वायरल रोग है. कान के पास लार ग्रंथियों में सूजन के साथ-साथ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगना आदि इस रोग के लक्षण हैं. ये बीमारी सांस या संक्रमित लार के सीधे संपर्क से फैलता है. डॉक्टरों के अनुसार इस रोग का समय पर इलाज नहीं करवाने पर मरीज में मेनिनजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, ऑर्काइटिस और बहरापन जैसी समस्या हो सकती है.
बच्चों में सबसे ज्यादा खतरा
डॉक्टरों के अनुसार, बड़ों की तुलना में बच्चों को वायरल डिजीज कनफेड़ा का संक्रमण ज्यादा होता है. इसका मुख्य कारण इम्युनिटी कमजोर होना है. इस रोग से संक्रमित मरीज के खांसने या छींकने से वायरस वाली छोटी बूंदें हवा में फैलने से ये रोग सबसे पहले बच्चों को होता है. इनके संपर्क में आने से ये संक्रामक रोग दूसरों में भी फैल सकता है. संक्रमितों के सीधे संपर्क जैसे पानी की बोतल साझा करना या उनके बिस्तर पर सोने से भी ये संक्रमण फैल सकता है.
रोग होने पर क्या करें
ये रोग बच्चों को सबसे पहले अपना शिकार बनाता है. इसे रोकने के लिए 8 महीने से लेकर 4-5 साल की उम्र तक के बच्चों को खसरा, कनफेड़ा और रूबेला की वैक्सीन लगवाना जरूरी है. अगर बड़ों में यह रोग होता है तो एंटीबायोटिक दवाएं लेकर इसका इलाज किया जाता है. सही और समय पर इलाज लेने पर 8 से 10 दिन में यह रोग दूर हो जाता हैं.