गर्भावस्था

गर्भावस्था में बच्चे को हो सकती है किडनी की बीमारी, जानें इसका कारण

हेल्दी इंसान की सबसे बड़ी पहचान होती है कि उसके शरीर का ऑर्गन एकदम सही तरीके से काम करे. अगर आपका शरीर ठीक से काम नहीं करता तो इसका खामियाजा पेट में पल रहे बच्चे को भुगतना पड़ सकता है. पेट के अंदर भी बच्चा किडनी की बीमारी से पीड़ित हो सकता है. इसीलिए कम उम्र में ही लोग किडनी की बीमारी का शिकार हो रहे हैं.

हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्टेलिया के क्रिकेटर कैमरून ग्रीन ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उनको मां के गर्भ में ही किडनी की बीमारी थी. जब उनकी मां 19 सप्ताह पर चेक करवाने गई थी उन्हें पता चला कि पेट में पल रहे बच्चे को किडनी की बीमारी है.

ज्यादातर बच्चों में जन्म से पहले ही कॉग्निटल मेटाबोलिक और बचपन में होने वाले इंफेक्शन बढ़ जाते हैं. जिसके कारण बच्चे का जन्म से ही क्रोनिक किडनी की बीमारी पैदा हो जाती है. इसके जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं.

ये कारण भी हो सकते हैं?

  • कुछ बच्चों में जेनेटिक की गड़बड़ी होती है यह भी किडनी की बीमारी का कारण हो सकता है.
  • कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान मां की खराब सेहत भी बच्चे में किडनी की बीमारी को पैदा कर सकती है.
  • जन्मजात क्रोनिक किडनी की बीमारी पैदा हो सकती है. इससे पेट में पल रहे बच्चे भी पीड़ित हो सकते हैं.
  • कई बार मां का कम पानी पीना या लंबे समय तक बैठे रहने के कारण भी बच्चे में किडनी की बीमारी हो सकती है.

क्या है इलाज ?

किडनी की बीमारियों का उपचार व्यक्तिगत रोग पर निर्भर करता है. यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक्स 10-14 दिनों के लिए दिए जाते हैं. प्रेडनिसोलोन (स्टेरॉयड) का इस्तेमाल नेफ्रोटिक सिंड्रोम में किया जाता है. कुछ विकृतियों में सर्जिकल करेक्शन की जरूरत हो सकती है. वयस्कों में जब किडनी फेल हो जाती है, तो डायलिसिस किया जाता है और कभी-कभी किडनी ट्रांसप्लांटेशन ही एकमात्र इलाज होता है. बच्चों के लिए भी इसी तरह के उपचार उपलब्ध हैं. डायलिसिस दो तरह का होता है. पहला पेरिटोनियल डायलिसिस जो कि बच्चों के लिए सुविधाजनक माना जाता है और दूसरा हेमोडायलिसिस.

किडनी फेल होने के कारण शरीर में यूरिया, क्रिएटिनिन, पोटैशियम, फॉस्फोरस और अतिरिक्त पानी जैसे हानिकारक तत्व जमा हो जाते हैं. इन्हें डायलिसिस द्वारा हटा दिया जाता है. डायलिसिस किडनी की बीमारी का इलाज नहीं करता है.

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