Risk of Autism in Children: शरीर को स्वस्थ और फिट रखना चाहते हैं तो लाइफस्टाइल और आहार दोनों को ठीक रखना बहुत जरूरी हो जाता है। अच्छी नींद प्राप्त करना इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है, सभी उम्र के लोगों के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। कई अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है उनमें कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। बढ़ते जोखिमों को देखते हुए विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि सभी माता-पिता सुनिश्चित करें कि आपके बच्चों को रोजाना पर्याप्त नींद मिले।
जिन बच्चों की नींद पूरी नहीं होती है उनमें कई ऐसी बीमारियों का खतरा देखा गया है जो उनके पूरे जीवन को प्रभावित करने वाली हो सकती है। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि जिन शिशुओं को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है उनमें ऑटिज्म विकार होने का जोखिम कई गुना अधिक हो सकता है। मेडिकल रिपोर्ट्स पर गौर करें तो पता चलता है कि नवजात शिशु से लेकर वृद्ध जनों तक सभी लोगों के लिए रोजाना पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।
कितने घंटे की नींद जरूरी? | Risk of Autism in Children
नवजात शिशु (0-3 महीने) को 14-17 घंटे, शिशु (4-11 महीने) को 12-15 घंटे, एक-दो साल तक के बच्चों के लिए 11-14 घंटे, प्रीस्कूलर (3-5 साल) के बच्चों के लिए 10-13 घंटे, स्कूली बच्चों (6-13 साल) के लिए 9-11 घंटे और किशोरों (14-18 साल) की आयु वालों को रोजाना 8-10 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। ऑस्ट्रेलिया में 1000 से अधिक मां और शिशुओं पर किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो बच्चे कम सोते हैं या जिनकी नींद की गुणवत्ता खराब होती है, उनमें ऑटिज्म विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है।
वहीं छह महीने तक के बच्चों को अगर पर्याप्त या रात में एक घंटे की अधिक नींद मिलती है तो आगे चलकर ऑटिज्म के जोखिमों को कम करने में ये सहायक हो सकता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) मस्तिष्क के विकास से संबंधित समस्या है जो इस बात को प्रभावित करती है कि एक व्यक्ति दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है। इसके शिकार लोगों में सामाजिक संपर्क और बातचीत के कौशल में समस्याएं होने लगती हैं। इस विकार के कारण व्यवहार और दैनिक जीवन के सामान्य कार्यों को करने तक में कठिनाई होने लगती है।

अध्ययन में क्या पता चला? | Risk of Autism in Children
एक अनुमान के अनुसार हर 100 में से एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार होता है, जिसके लिए दैनिक जीवन के काम करना, जैसे अपना नाम सुनते ही उसका जवाब देने में विफलता या लोगों से अलग-थलग रहने की समस्या हो सकती है। जर्नल आर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहुड में प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि शिशुओं में नींद की समस्या न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों का कारण बन सकती है जिसके कारण उनके सामाजिक कौशल में कमी आ सकती है।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ? | Risk of Autism in Children
इस अध्ययन के लिए ऑस्ट्रेलिया स्थित फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने माता-पिता से उनके छह और 12 महीने की बच्चों में नींद के पैटर्न के बारे में पूछा। फिर माता-पिता ने बताया कि क्या उन्होंने बच्चे के दो और चार साल के होने तक ऑटिज्म जैसी स्थिति देखी? इस आधार पर विशेषज्ञों ने पाया कि जिन बच्चों की नींद पूरी नहीं हो रही थी उनमें आगे चलकर मस्तिष्क से संबंधित कई प्रकार की दिक्कतें होने लगीं।

लेखकों ने निष्कर्ष में बताया कि ऑस्ट्रेलियाई बच्चों के इस सैंपल से दुनियाभर को सीख लेने की आवश्यकता है। माता-पिता सुनिश्चित करें कि बच्चों को पर्याप्त नींद मिलती रहे और नींद के दौरान कोई विघ्न न हो। ये उन्हें भविष्य में कई गंभीर समस्याओं से बचाए रखने में सहायक है। नींद की कमी सिर्फ ऑटिज्म जैसी समस्या तक ही सीमित नहीं है, इसका शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य पर कई तरह से असर हो सकता है।