दवाओं की पैकेजिंग हमेशा एल्युमिनियम फॉयल में होती है। आपके दिमाग में यह बात आती होगी कि इसका कारण क्या हो सकता है। दरअसल, एल्युमिनियम फॉयल में कई ऐसे गुण हैं जो कि दवाओं के असर को बचाए रखने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं इस एल्युमिनियम फॉयल के इस्तेमाल के पीछे कई कारण और भी हैं, जिसे हर किसी को जानना चाहिए।
एल्युमिनियम फॉयल में ही क्यों होती दवाओं की पैकेजिंग?
तापमान का असर दवाओं पर नहीं होता
एल्यूमीनियम की खास बात ये है कि इस पर सूरज की गर्मी या भीषण ठंड का भी कोई खास असर नहीं होता है। इस तरह दवाएं हर प्रकार के तापमान और इनके प्रभाव से बचे रहते हैं और इनके कैमिकल कंपोजिशन में टेंपरेचर चेंज की वजह से बदलाव का खतरा कम रहता है।
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दवाओं का असर कम नहीं होता
बता दें कि एल्यूमीनियम में कभी जंग नहीं लग सकता और इसकी ये कवरिंग एक बैरियर के रूप में काम करती है। इसकी वजह से होता ये है कि दवाओं का असर और इसकी प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आता और न ही शरीर में इसकी प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है। तो, बस इन तमाम कारणों से आपको दवाओं की पैकेजिंग एल्युमिनियम फॉयल में ही करनी चाहिए।
बैक्टीरिया और वायरस दवा के संपर्क में नहीं आते
एल्युमिनियम फॉयल की खास बात ये होती है कि पानी और हवा इसके संपर्क में आने पर भी कोई असर नहीं दिखाते। इससे दवाएं बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीवों के संपर्क से बचे रहते हैं जिससे इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है। तो, किसी भी बैक्टीरिया और वायरस के इंफेक्शन से बचाने के लिए एल्युमिनियम फॉयल में दवाओं की पैकेजिंग होती है।