जबलपुर में फर्जी डॉक्टर के गलत इलाज से शिशु की मौत हो गई। इस मामले को जिला अदालत के विशेष न्यायाधीश अभिषेक सक्सेना की अदालत ने गंभीरता से लिया है। अदालत ने प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट की ओर से पूर्व में दायर परिवाद निरस्त करने के आदेश को अनुचित बताया। साथ ही नए सिरे से परिवाद पर सुनवाई कर आदेश पारित करने के निर्देश दे दिए।
ऐसे में अदालत का कहना है कि शिशु की मौत एक गंभीर मामला है, परिवाद पर नए सिरे से सुनवाई की जाए। तल्ख टिप्पणी में अदालत ने कहा कि जेएमएफसी कोर्ट का आदेश न्यायिक विवेक व विधि के सही उपयोग के अभाव को दर्शित करता है। क्रिमनल रिवीजनकर्ता आलोक नगर, अधारताल निवासी रेखा कनौजिया की ओर से पक्ष रखा गया। दलील दी कि गई कि रेखा कनौजिया 2017 में गर्भवती हुई थीं। शारीरिक परेशानी सामने आने पर इलाज के लिए परफेक्ट हास्पिटल, अधारताल में भर्ती हुईं।
अदालत में बताया गया कि इस दौरान फिरदौस खान ने स्वयं को डॉक्टर बताते हुए चेकअप किया और दवाएं लिखीं। जबकि, फिरदौस खान के पास चिकित्सक होने का कोई पंजीयन नहीं है। वह फर्जी डॉक्टर के रूप में सेवाएं दे रही थी। यही वजह है कि रेखा की गर्भावस्था के नौ माह पूरे होने पर गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।
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इसके बाद रेखा ने अधारताल थाने से लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की हालांकि, ठोस कार्रवाई नहीं हुई। परिवाद के जरिए अदालत की शरण ली गई। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी उत्कर्ष सोनकर की अदालत ने परिवाद निरस्त कर दिया। इसके विरुद्ध क्रिमनल रिवीजन दायर की गई है।