भारत को दुनिया की डायबिटीज कैपिटल बनाने के लिए कुछ फूड आइटम्स को जिम्मेदार बताया गया है, जिनमें केक, कुकीज, चिप्स, क्रैकर्स, मेयोनीज और फ्राइड फूड्स जैसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड फू़ड शामिल हैं। अध्ययन में पाया गया है कि वो फूड आइटम्स जो एडवॉन्स्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) से भरपूर होते हैं भारत के दुनिया की मधुमेह राजधानी (World’s Diabetes Capital) बनने के पीछे एक प्रमुख कारण हैं। ये AGE रिएक्टिव और संभावित रूप से हानिकारक कंपाउंड्स होते हैं, जो तब बनते हैं जब ये प्रोटीन या फैट शर्करा के साथ मिलते हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और चेन्नई में मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) जैसे संस्थानों के शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा किए गए इस परीक्षण में इस बात पर रोशनी डाली गई कि एजीई-समृद्ध फूड आइटम्स के सेवन से सूजन पैदा होती है, जो डायबिटीज के विकास में एक प्रमुख कारक है। इसके रिजल्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुए थे।
भारत में डायबिटीज के मामले (Diabetes in India)
जून, 2023 में द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित आईसीएमआर और एमडीआरएफ के पिछले अध्ययन में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। साल 2008 और 2020 के बीच 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर की गई स्टडी में पाया गया कि साल 2021 में 11.4% भारतीय मधुमेह (Diabetes) से पीड़ित थे। इसका मतलब है कि अनुमानित 10.1 करोड़ भारतीय डायबिटीज से पीड़ित हैं। मधुमेह के मामलों में वृद्धि का श्रेय लाइफस्टाइल में बदलाव को दिया जा सकता है, जिसमें प्रोसेस्ड फूड आइटम्स की बढ़ती खपत भी शामिल है।
वेस्टर्न रिसर्च से यह भी पता चला है कि हाइली प्रोसेस्ड फूड, रिच इन फैट, शुगर, नमक और एजीई से भरपूर फूड आइटम्स पुरानी बीमारियों के खतरे को बढ़ाते हैं। भारत में लोगों की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल के साथ-साथ खाने से जुड़ी आदतों में तेजी से बदलाव ने मोटापा, डायबिटीज और दूसरी हेल्थ कंडीशन्स की व्यापकता को बढ़ावा दिया है। हालांकि, अब तक भारतीय आहार पर AGE के प्रभाव और हार्ट और मेटाबॉलिज्म हेल्थ पर उनके प्रभाव पर डेटा की कमी थी।
स्टडी में सामने आई ये बात
इंडियन एडल्ट्स पर एजीई के प्रभाव का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने 38 ज्यादा वजन वाले और मोटे प्रतिभागियों को शामिल करते हुए परीक्षण किया। ये लोग, जिनमें से सभी का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 या उससे अधिक था, लेकिन डायबिटीज नही था, इनको दो समूहों में विभाजित किया गया था। एक ग्रुप को कम आयु वाला आहार दिया गया, जबकि दूसरे को 12 हफ्ते तक उच्च आयु वाला आहार दिया गया।अध्ययन आम तौर पर खाए जाने वाले इंडियन फूड आइटम्स पर केंद्रित है, जिन्हें खाना पकाने के विभिन्न तरीकों का उपयोग करके तैयार किया जाता है। उच्च आयु वाले खाद्य पदार्थ तलकर, भूनकर या ग्रिल करके तैयार किए जाते थे, जबकि कम आयु वाले खाद्य पदार्थ भाप में या उबालकर बनाए जाते थे। दोनों आहारों को कैलोरी और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के लिए मिलान किया गया था।
12 वें हफ्ते के आखिर में शोधकर्ताओं ने पाया कि कम एज ग्रुप के प्रतिभागियों ने मेटाबॉलिज्म स्वास्थ्य के कई प्रमुख मार्करों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया। उदाहरण के लिए, उनकी इंसुलिन संवेदनशीलता यह मापती है कि शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कितनी अच्छी तरह प्रतिक्रिया करती हैं। उच्च-आयु वर्ग की तुलना में काफी सुधार हुआ है। इसके अलावा कम उम्र वाले ग्रुप में 30 मिनट के पोस्ट-लोड प्लाज्मा ग्लूकोज (पीजी) का स्तर कम था, जो भविष्य में मधुमेह के खतरे का एक संकेतक है।
लो-एज डाइट के आहार का महत्व (Importance of Low-AGE Diets)
स्टडी के निष्कर्षों से पता चलता है कि भोजन की पसंद और खाना पकाने के तरीके टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) के विकास के जोखिम को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से युक्त कम लो-एज डाइट का सेवन करके लोग अपने शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते हैं। ऑक्सीडेटिव तनाव तब होता है जब मुक्त कणों और एंटीऑक्सीडेंट के बीच असंतुलन होता है, जिससे सेल डैमेज और सूजन होती है। इस स्ट्रेस को कम करने से मोटापे से संबंधित टाइप 2 मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
डॉ. मोहन ने खाद्य पदार्थों को तलने, भूनने या भूनने के बजाय उबालने और भाप में पकाने के महत्व पर जोर दिय। उन्होंने बताया कि फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों में AGE का स्तर कम होता है। वसा और तेल मिलाने वाली खाना पकाने की विधियों से बचकर, हम आहार में उम्र के स्तर को कम रख सकते हैं।
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कौन से फूड आइटम्स हैं हाई इन एजेस? (High in AGEs Foods)
उच्च आयु वाले खाद्य पदार्थों में वे चीज़ें शामिल होती हैं जो भुनी हुई, ग्रिल की हुई या तली हुई होती हैं, जैसे कि तला हुआ चिकन, बेकन और बीफ। यहां तक कि कुछ मेवे, जैसे भुने हुए अखरोट और सूरजमुखी के बीज में खाना पकाने की प्रक्रिया के कारण AGE स्तर उच्च होता है। इसके अलावा प्रोसेस्ड प्लांट बेस्ड फूड आइटम्स और एनिमल प्रोटीन विशेष रूप से ग्लाइकेशन के लिए प्रोन होते हैं, जिससे उनमें एजीई होने की अधिक संभावना होती है।दूसरी ओर लो-एज वाले फूड आइटम्स में वो फूड आइटम्स शामिल होते हैं, जिन्हें कम से कम प्रोसेस किया जाता है और उबालने और भाप देने जैसी विधियों का उपयोग करके पकाया जाता है। कम उम्र वाले आहार के लिए फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज उत्कृष्ट विकल्प हैं।
डायबिटीज के खिलाफ भारत की लड़ाई
अध्ययन के निष्कर्षों से डायबिटीज से निपटने के लिए भारत की रणनीति के हिस्से के रूप में आहार संबंधी हस्तक्षेप की आवश्यकता का पता चलता है। मधुमेह का प्रसार लगातार बढ़ रहा है, आहार में एजीई की भूमिका को समझने और उनके सेवन को कम करने के लिए बदलाव करने से इस बीमारी के बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है।