New Blood Group MAL: हम सभी के शरीर में अलग-अलग ब्लड ग्रुप वाला खून होता है। इतना ही नहीं सगे भाई-बहनों का ब्लड ग्रुप भी अलग हो सकता है। आपका ब्लड ग्रुप कौन सा होगा ये आपके माता-पिता से विरासत में मिले जीन पर निर्भर करता है। रक्तदान या किसी बीमारी में खून की आवश्यकता होने पर आपने ब्लड ग्रुप मैच कराने को लेकर चर्चा जरूर सुनी होगी। ये मुख्यरूप से चार प्रकार (ब्लड ग्रुप ए, बी, एबी और ओ) के होते हैं। हालांकि, अब इसमें एक और ब्लड ग्रुप बढ़ने जा रहा है। वैज्ञानिकों की टीम ने एक और प्रकार के ब्लड ग्रुप की खोज की है, जिसे नाम दिया गया है एमएएल (MAL)। इंग्लैंड की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और एनएचएस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट (NHSBT) के शोधकर्ताओं ने ये खोज की है। इस खोज ने ब्लड ग्रुप्स को लेकर करीब 50 साल से बने एक रहस्य से पर्दा उठा दिया है। आइए इसे जानते हैं।
खून दिखने में एक जैसा होता है पर इनमें बहुत अंतर है | New Blood Group MAL
साल था 1901 जब पहली बार कार्ल लैंडस्टीनर नामक ऑस्ट्रियाई वैज्ञानिक ने ब्लड ग्रुप्स की खोज की थी। इससे पहले, डॉक्टर्स को भी लगता था कि सभी रक्त एक समान होते हैं। हालांकि, इस दौरान अगर किसी की ब्लड डोनेट किया जाता था तो ज्यादातर रिसीवर्स की मौत हो जाती। कार्ल लैंडस्टीनर ने फिर पता लगाया कि खून भले ही दिखने में एक जैसे होते हैं पर इनमें बहुत अंतर है। ये मामला साल 1972 का है, जब एक गर्भवती के रक्त का सैंपल लिया गया तो डॉक्टरों ने पाया कि उसमें रहस्यमय तरीके से एक सतही अणु (सरफेस मॉलीक्यूल) AnWj एंटीजन गायब था। ये उस समय सभी ज्ञात लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता था। वैज्ञानिकों को लगा कि इस सैंपल में कुछ तो अलग है, शायद एक नए ब्लड जैसा।
नए ब्लड ग्रुप की खोज का काम कठिन | New Blood Group MAL
यूके नेशनल हेल्थ सर्विस में हेप्टोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक लुईस टिली के निर्देशन में टीम ने एक आनुवंशिक परीक्षण विकसित किया गया है, जिससे उन रोगियों की पहचान की जा सकती है जिनमें AnWj एंटीजन नहीं था। एंटीजन और एंटीबॉडी का संयोजन ही आपके रक्त को किसी और के रक्त से अलग बनाती है। शोधकर्ता कहते हैं, हम सभी ABO रक्त समूह प्रणाली से परिचित हैं, हालांकि मनुष्यों में वास्तव में कई अलग-अलग रक्त समूह प्रणालियां हो सकती हैं जो सेल सरफेस प्रोटीन और रक्त कोशिकाओं को कोट करने वाली शुगर पर निर्भर करती हैं। डॉ. टिली बताते हैं, इस नए ब्लड ग्रुप की खोज का काम कठिन था क्योंकि इस प्रकार के आनुवंशिक मामले बहुत दुर्लभ हैं। शोध में पाया गया कि करीब 99.9 प्रतिशत से अधिक लोगों में AnWj एंटीजन मौजूद होते हैं जो 1972 के मरीज के रक्त में नहीं था।
यह एंटीजन रक्त कोशिकाओं पर मौजूद माइलिन और लिम्फोसाइट प्रोटीन पर रहता है, जिसके कारण शोधकर्ताओं ने इस नए ब्लड ग्रुप को एमएएल नाम दिया है। कुछ प्रकार के म्यूटेशन के कारण ब्लड ग्रुप में AnWj नकारात्मक हो जाता है, जैसे कि गर्भवती मरीज का था। अध्ययन में इसी तरह के तीन और लोगों की पहचान की गई है।
छोटा प्रोटीन है MAL | New Blood Group MAL
यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट ऑफ इंग्लैंड में सेल बायोलॉजिस्ट टिम सैचवेल बताते हैं, MAL एक बहुत छोटा प्रोटीन है जिसमें कुछ दिलचस्प गुण हैं, जिसकी वजह से इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। MAL प्रोटीन कोशिका झिल्ली को स्थिर रखने जैसे कार्यों में बहुत महत्वपूर्ण होता है। ये खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया के कई हिस्सों में संभवत: ऐसे लोग हो सकते हैं जिनके रक्त में AnWj एंटीजन न हो। ऐसे रोगियों को जरूरत पड़ने पर इससे मैच करते ब्लड ग्रुप वाला खून ही दिया जाना चाहिए, वरना इसके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। MAL को लेकर अभी भी अध्ययन जारी है, इसे और विस्तार से समझा जा रहा है। फिलहाल ये बड़ी कामयाबी है, जिसने 50 साल के राज से पर्दा उठाया है।