गर्मी के मौसम में खानपान में की गई छोटी सी भी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है। इस मौसम में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम एक सामान्य डाइजेस्टिव डिसऑर्डर है जो पेट में दर्द, सूजन, गैस, कब्ज और दस्त जैसी समस्याओं का कारण बनता है।
आईबीएस होने का कोई खास कारण पता नहीं चल पाया है, लेकिन बैलेंस और हेल्दी डाइट से आप इससे खुद का बचाव जरूर कर सकते हैं। हाई फाइबर डाइट और पर्याप्त साफ पानी पीने से भी आपको राहत मिल सकती है। हालांकि कुछ फूड्स ऐसे हैं जो आईबीएस को ट्रिगर करते हैं। ऐसे में हेल्दी रहने के लिए इनसे दूरी बनाना जरूरी है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का खतरा बढ़ाते हैं ये फूड्स –
हेल्दी और ताजा खाना आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। इसी के साथ रसीले फलों और सब्जियों का नियमित सेवन भी जरूरी है। लेकिन कुछ फूड्स ऐसे हैं जो हेल्दी होते हुए भी आईबीएस की परेशानी को बढ़ाते हैं।
कच्चा प्याज
वैसे तो कच्चा प्याज सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन अगर आप आईबीएस से पीड़ित हैं तो इसका सेवन न करें। दरअसल, कच्चे प्याज में फ्रुक्टेन नामक एक कार्बोहाइड्रेट होता है। यह पेट में जाकर फर्मेंट होता है, जिसके कारण गैस, बॉटलिंग, सूजन की समस्या हो सकती है। जब आप प्याज को पका लेते हैं तो इसके केमिकल टूट जाते हैं और ये आसानी से पच पाता है।
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स्पाइसी ऑयली फूड
स्पाइसी ऑयली फूड आईबीएस की परेशानी को ट्रिगर करता है। इस हैवी फैट फूड को पचाने में आंतों को काफी मेहनत करनी पड़ती है और उसमें ऐंठन होने लगती है। वहीं मसाले भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम में जलन पैदा करते हैं। इससे पेट दर्द, सूजन जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए हमेशा कम स्पाइसी और ऑयली फूड का सेवन करें।
कच्चे टमाटर
आमतौर पर लोग सलाद में कच्चे टमाटर खाना पसंद करते हैं। ये काफी हेल्दी भी होते हैं। लेकिन अगर आप पहले से ही आईबीएस से पीड़ित हैं तो फिर कच्चे टमाटर आपके लिए राइट च्वाइस नहीं है। टमाटर एसिडिक होते हैं, जिसके कारण ये डाइजेशन सिस्टम को प्रभावित करते हैं। हाई कार्बोहाइड्रेट और फाइबर के कारण यह गैस और सूजन का कारण बन सकते हैं।
साबुत अनाज
हाई फाइबर से भरपूर साबुत अनाज बहुत ही हेल्दी माना जाता है। लेकिन इसमें हाई ग्लूटेन होता है, जो आईबीएस के लक्षणों को बढ़ा सकता है। ऐसे में इसका सीमित सेवन ही सही है। वहीं ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों को साबुत अनाज से दूरी रखनी चाहिए। साथ ही ग्लूटेन फ्री अनाज के विकल्पों को ही चुनना चाहिए।