सूर्य देव अपने प्रचंड रूप में हैं और अब सभी की निगाहें मानसून यानी बारिश पर टिकी हैं। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक़, जल्द ही मानसून की बारिश देश के अलग-अलग राज्यों में दस्तक देगी. बारिश के मौसम में बीमारियां फैलने लगती हैं, जिससे नवजात से लेकर बुजुर्ग तक हर उम्र के लोगों के बीमार होने का डर बढ़ जाता है। बरसात के मौसम में जरा सी लापरवाही बच्चों पर भारी पड़ जाती है।
बड़ों की अपेक्षा बच्चों की इम्यूनिटी कम होती है, ऐसे में बीमारियों का खतरा उन पर ज्यादा रहता है। माता-पिता को मानसून के मौसम में बच्चों का खास ख्याल रखना होता है, ताकि वह बीमारियों से बच सकें। यहां हम आपको कुछ टिप्स देने वाले हैं, जिन्हें फॉलो करके आप बच्चों को सर्दी-खांसी, फ्लू, डायरिया और पेट से जुड़ी समस्याओं से दूर रख सकते हैं। यह टिप्स कोई और नहीं बल्कि लखनऊ के प्रसिद्ध बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ तरुण आनंद दे रहे हैं।
डॉ तरुण आनंद बताते हैं कि जब मानसून सीजन आता है तब एक साइट ऑफ रिलीफ भी होता है कि गर्मी कम हो जाती है। लेकिन इसमें हमने देखा है कि जब भी हॉट एंड ह्यूमिक क्लाइमेट रेनी सीजन आता है तो बच्चों की कई प्रकार की बीमारियां बढ़ जाती हैं। खासकर जो वॉटर बॉन डिजीज हैं जैसे- टॉयफाइड, डायरिया, कॉलरा या मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां जैसे- डेंगू और मलेरिया।हमें ध्यान रखना है कि जब भी ऐसा कोई मौसम आये तो हमें पहले से ही प्रिवेंटिव मेजर्स लेने शुरू कर देने हैं। पहली बात तो अपने घर की वाटर स्टोरेज वाली चीजें हैं उनको खाली करके रखें, कूलर और इन सबमें लगातार एक स्टैंगेट वाटर भरा न रहे। घर में जहां पर भी वाटर लॉक्ड एरिया हैं उनको साफ रखें। बच्चे का हाइड्रेशन, बच्चे का खानपान, बच्चे का हैंड हाइजीन खासकर बारिश के मौसम में ध्यान रखें। पानी से ज्यादा इंफेक्शन फैलता है तो पानी एकदम प्यूरीफाइड वाटर रखें। जहां प्यूरीफाई की सुविधा नहीं है वहां ब्वायल करके रखें। ये सब प्रिवेंटिव मेजर्स लेने से हम काफी हद तक बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचा सकते हैं।
बारिश में बीमार न पड़े, इसके लिए अभिभावकों के साथ बच्चों को स्वयं सूझबूझ अपनानी होगी. अभिभावकों को बच्चों के कुछ हेल्थ हैबिट्स या उन्हें हाइजीन से रूबरू कराना होगा। इसके बार में तरुण आनंद बताते हैं कि बच्चों को हमेशा घर से ही जागरूक करना है। घर से ही बच्चे को एडवाइस देना है कि आप फुल बाजुओं के कपड़े पहनें ताकि कोई मच्छर काटे तो उससे बचाव किया जा सके। साथ ही हैंड हाइजीन मतलब सैनिटाइजर का प्रयोग करें। बारिश के बाद बच्चा अगर खेलकर वापस आ रहा है तो हाथ-पैर अच्छे से धोना है। बाहर का कोई भी खुला खाना, खुला पानी और खुले कटे हुए फल कभी भी खरीद कर नहीं खाना-पीना है।
बारिश में भीगने के बाद बच्चों को कैसे सुरक्षित रखा जाये?
डॉ कहते हैं कि सिर्फ बारिश से बच्चे बीमार पड़ें, ये थोड़ा सही नहीं होता है। लेकिन बारिश की वजह से जो हमारे पॉल्यूटेंट्स वातावरण में हैं वे पॉल्यूटेंट्स के जरिये सीप करके ड्रॉपडाउन करते हैं जिसकी वजह से इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रिकॉशनरी के तौर पर आप हमेशा एक मानसून सीजन को एंज्वाय टाइम बनाने के लिए लिमिटेड समय के लिए अगर बच्चा बारिश में खेलना भी चाह रहा है। तो आप अपने साथ लेकर अपने सामने बच्चे को कुछ मिनट्स के लिए बारिश में खेलने दे सकते हैं।