स्वास्थ्य और बीमारियां

सावधान! दुनिया में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी, जानें भारत में है कितनी जरूरत?

हम सभी के लिए मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) बेहद जरूरी है। कोरोना महामारी (Covid-19) के दौरान इसकी जरूरत का अहसास सबसे ज्यादा हुआ। दुनियाभर में इसकी डिमांड काफी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इतनी मात्रा में यह उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि हर साल करीब 5 अरब लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। सिर्फ भारत में ही 9 करोड़ मरीजों के लिए 5.68 लाख मीट्रिक टन की जरूरत है। यह खुलासा ‘द लैंसेट मेडिकल कमीशन’ की रिपोर्ट में हुआ है, जिसके बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर इसकी कमी को कैसे पूरा किया जा सकता है?

मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत (Importance of Medical Emergency)

कोई ऑपरेशन हो या इमरजेंसी सिचुएशन, अस्थमा,गंभीर चोट और प्रेगनेंसी और डिलीवरी के समय मां-बच्चे की देखभार जैसी कंजीशन में मेडिकल ऑक्सीजन जरूरत पड़ती है, लेकिन इसकी कमी चिंता बढ़ा रही है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब देश हैं। एक अनुमान है कि दुनिया की दो-तिहासी आबादी को पर्याप्त मेडिकल ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। आयोग के मुताबिक, कोरोना में मौत का सबसे बड़ा कारण भी यही बना था। भविष्य में भी महामारी में इसकी अहम भूमिका होगी।

हर तीन में से सिर्फ एक को मिल पाता है ऑक्सीजन

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत वाले 82% मरीज लोअर और मिडिल इनकम वाले देशों में रहते हैं। इनमें से सर्जरी के दौरान या किसी गंभीर मेडिकल इमरजेंसी में जरूरत पड़ने पर तीन में से किसी एक को ही ऑक्सीजन मिल पाती है, 70% मरीज इससे वंचित रह जाते हैं।

मेडिकल ऑक्सीजन की कमी क्यों है?

साल 20-2021 के दौरान जब कोरोना की दूसरी लहर के चलते काफी लोगों की मौत हो गई थी। आयोग के एक्सपर्ट्स  की चिंता है कि अगर भविष्य में इस तरह के हालात फिर से बने तो इसे रोकने के लिए पहले से ही तैयारी करनी होगी। मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई पर लैंसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन की रिपोर्ट दुनिया का पहला अनुमान है, जिसमें बताया गया है कि मेडिकल ऑक्सीजन का वितरण काफी असमान तरीके से होता है। ऐसे में हर देश को अलर्ट रहने की जरूरत है और पहले से ही इंतजाम करना चाहिए।

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