हमारे देश में हर साल हजारों महिलाएं स्तन कैंसर से प्रभावित होती हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में समय पर कैंसर का पता नहीं लग पाता है और कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज तक पहुंच जाता है। कैंसर के अंतिम चरणों में इसका इलाज कर पाना लगभग असंभव सा हो जाता है तो घर पर सेल्फ एग्जामिनेशन से भी पता सकती हैं इस कैंसर का पता।
ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को होने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। बीते कुछ सालों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। भारतीय महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर की प्रॉब्लम बहुत आम होती जा रही है। हर साल सैंकड़ों महिलाएं समय पर इस कैंसर की पहचान ना हो पाने के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के सफल उपचार के लिए यह बेहद जरूरी है कि समय रहते इसकी पहचान की जा सके और उचित इलाज कराया जा सके। स्वयं स्तन परीक्षण यानी सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन के जरिए महिलाएं खुद से ही घर पर स्तन कैंसर की जांच कर सकती है।
जैसा कि हमने आपको बताया, भारत में प्रत्येक वर्ष हजारों महिलाएं स्तन कैंसर से प्रभावित होती हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में समय पर कैंसर का पता नहीं लग पाता है और कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज तक पहुंच जाता है।
कैंसर के अंतिम चरणों में इसका इलाज कर पाना लगभग असंभव सा हो जाता है। आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राफी की जाती है, जो थोड़ी महंगी होती है। सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन की मदद से महिलाएं बिना पैसे खर्च किए, अपने घर पर ही ब्रेस्ट कैंसर की प्रारंभिक जांच कर सकती हैं।
स्वयं स्तन परीक्षण कब करें?
बीस साल से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को हर महीने खुद ही स्तन परीक्षण करते रहना चाहिए। महिलाओं को उनके पीरियड्स के 2 से 5 दिन बाद सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पीरियड्स के दौरान स्तन संवेदनशील रहते हैं और इस समय इनमें दर्द या सूजन होना सामान्य बात होती है। जिन महिलाओं को पीरियड्स नहीं आते, वे महीने का एक दिन चुनकर हर महीने उसी दिन अपना स्तन परीक्षण कर सकती हैं।
स्वयं स्तन परीक्षण कैसे करते हैं?
स्वयं स्तन परीक्षण करना बहुत ही आसान है और इसे बिना किसी व्यक्ति की सहायता लिए किया जा सकता है। स्वयं स्तन परीक्षण करने के लिए सबसे पहले आप किसी शीशे के सामने, शरीर के ऊपरी भाग के वस्त्र उतारकर खड़े हो जाइए और अपने दोनों हाथों को कमर पर रख लीजिए। ऐसी स्थिति में आपको शीशे में देखते हुए अपने स्तनों का निरीक्षण करना है।
आप स्तनों के रंग, आकर या स्थिति में हुए बदलावों की अच्छे से जांच करें और यह भी सुनिश्चित करें कि आपके स्तनों पर कोई गांठ, पपड़ी या गड्ढा ना हो। यही काम फिर आपने दोनों हाथों को सिर के पीछे रखने के बाद करना है। इसके साथ-साथ आप यह भी जांच लें कि कहीं आपके निप्पलों से किसी भी प्रकार का कोई डिस्चार्ज तो नहीं हो रहा है।
आप पीठ के सहारे लेटकर भी अपने स्तनों का परीक्षण कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आप पीठ के सहारे लेट जाइए और आपने दाएं हाथ को सिर के पीछे रखकर दाएं कंधे के नीचे एक तकिया रख लीजिए। इसके बाद अपने बाएं हाथ की उंगलियों के ऊपरी हिस्से से अपने दाएं स्तन के ऊपर से लेकर दाईं बगल तक के हिस्से में गोल-गोल घुमाइए। फिर इस प्रक्रिया को अपने बाएं स्तन के लिए भी दोहराएं। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य स्तन में हो रही गांठ या गड्ढे का पता लगाना होता है।
अगर स्वयं स्तन परीक्षण के दौरान आपको अपने स्तनों के रंग, आकर या स्थिति में परिवर्तन, गांठ, पपड़ी या गड्ढों की उपस्थिति, निप्पलों से डिस्चार्ज या अन्य तरह की कोई भी अनियमितता देखने को मिलती है तो बिना समय गंवाए अपने चिकित्सक से परामर्श लें।