आज के समय में शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण मोटापे की समस्या होने लगी है। वहीं, जंक फूड आपको मोटापे के साथ ही, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट रोग जैसे समस्याओं का मुख्य कारण बन रहा है।
यह आदते कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करते हैं, जिससे हार्ट को ब्लड पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर इस समस्या का इलाज न किया जाए तो ऐसे में व्यक्ति को हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसमे डॉक्टर एंजियोप्लास्टी की सलाह दे सकते हैं।
यह इलाज का एक तरीका है जिसमें बंद व अवरुद्ध हुई नसों को चौड़ा करने किया जाता है। डॉक्टर के अनुसार समय के साथ नसों में फैट, कोलेस्ट्रॉल, सेल्स और अन्य पदार्थों से प्लाक जमा हो सकता है।
इस स्थिति को एथेरोक्लेरोसिस कहते हैं। इससे हार्ट रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। एंजियोप्लास्टी हृदय रोगियों के लिए एक आशा की किरण के रूप में काम करता है। इसने नसों को खोलने का काम किया जाता है।
एंजियोप्लास्टी क्या है
एंजियोप्लास्टी, जिसे परक्यूटेनियस ट्रांसल्यूमिनल एंजियोप्लास्टी (पीटीए) या परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (पीसीआई) के रूप में भी जाना जाता है। यह इलाज का एक तरीका है। जिसमें नसों की सिकुड़न और रुकावट हुई धमनियों को खोला जाता है।
- हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनियों में रुकावटों को दूर करने के लिए इस तकनीक का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। आगे जानते हैं इसकी प्रक्रिया –
- प्रभावित रक्त वाहिका तक पहुंचना: प्रभावित रक्त वाहिका तक पहुंचने के लिए, आमतौर पर कमर या कलाई क्षेत्र में एक छोटा चीरा लगाया जाता है।
कैथेटर का मार्गदर्शन करना: कैथेटर नामक एक पतली, लचीली ट्यूब को चीरे के माध्यम से नसे के अंदर डाला जाता है और इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रुकावट वाली जगह पर ले जाया जाता है।
गुब्बारा फुलाना: एक बार जब कैथेटर अपनी स्थिति में आ जाता है, तो उसकी नोक पर एक छोटा गुब्बारा रुकावट वाली जगह पर फुलाया जाता है। यह तकनीक धमनी (नस) की दीवारों पर जमा प्लाक या फैट को कम कर देती है, जिससे धमनी (नसें) चौड़ी हो जाती है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो जाता है।
स्टेंट लगाना : कई मामलों में, एक स्टेंट, जो एक छोटी जालीदार ट्यूब होती है, रुकावट वाली जगह पर लगाई जाती है। स्टेंट धमनी को खुला रखने का कार्य करता है।
रिकवरी : रिकवरी के बाद, कैथेटर हटा दिया जाता है, और चीरा बंद कर दिया जाता है। मरीजों को आमतौर पर अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही रिकवरी महसूस होने लगती है।
हार्ट अटैक के बाद एंजियोप्लास्टी के फायदे
- लक्षणों से तुरंत राहत मिलना
- बड़ी सर्जरी नहीं होती है
- लाइफ की क्वालिटी इम्प्रूव होना
- दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होना, आदि।