एक ताजा शोध में यह बात सामने आई है कि मेल-फीमेल में हार्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग होते हैं. जरूरी नहीं कि जो लक्षण पुरुष में दिखें, वही महिलाओं में भी हों. अध्ययन के अनुसार, पसीना, मतली, चक्कर आना और थकान भले ही हार्ट अटैक के लक्षण जैसे न लगें, लेकिन महिलाओं में ये कॉमन हैं.
मेयो क्लिनिक की एक रिसर्च के मुताबिक पुरुषों के विपरीत, महिलाओं में सीने में दर्द, दबाव या बेचैनी हमेशा गंभीर नहीं होती है या दिल का दौरा पड़ने का सबसे प्रमुख लक्षण भी नहीं होता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि चूंकि हार्ट अटैक के जो सामान्य लक्षण हैं वो महिलाओं में नहीं दिखते हैं, इसलिये महिलाओं में हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए अनूठे लक्षणों को समझने की खास जरूरत है.
पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षण
अगर पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षणों की बात करें तो छाती में दर्द, सीने में बेचैनी या दबाव और शरीर में दर्द सबसे कॉमन लक्षण है. डॉक्टरों के मुताबिक सांस की तकलीफ, जिसे डिस्पेनिया कहा जाता है, सीने में दर्द के साथ या उसके बिना भी हो सकती है. कई बार यह हार्ट अटैक का एकमात्र लक्षण होता है. ऐसा तब भी हो सकता है जब आपके फेफड़ों में इंफेक्शन हो, खांसी या घरघराहट हो. इसी तरह अगर आप बिना किसी कारण के थकान महसूस कर रहे हैं या सुस्ती सी छायी रहती है तो यह भी एक आम संकेत है.
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षणों की बात करें तो सांस की तकलीफ, मतली/उल्टी, और पीठ या जबड़े में दर्द कॉमन लक्षण है. डॉक्टरों के मुताबिक चक्कर आना, निचली छाती या ऊपरी पेट में दर्द और अत्यधिक थकान का अनुभव भी लक्षणों में है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब महिलाएं दिल के दौरे के लक्षणों का अनुभव करती हैं, तो उन संकेतों की अक्सर गलत व्याख्या की जाती है, लेकिन इसे कायदे से समझना बहुत जरूरी है.
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महिलाओं में हार्ट अटैक की वजह
मेयो क्लिनिक हेल्थ सिस्टम से जुड़े विशेषज्ञ एक्सपर्ट चतुरा अलूर कहते हैं, “पहले हृदय रोग के कारण और जोखिम को पहचानना और फिर उन व्यवहारों पर अंकुश लगाने के लिए काम करना महत्वपूर्ण है जो उस जोखिम को बढ़ा सकते हैं…” अलूर कहते हैंस “कुछ कारक महिलाओं में हृदय रोग के विकास में पारंपरिक जोखिमों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और उच्च रक्तचाप…”
कैसे कर
इस तरह करें हृदय रोग को कंट्रोल?
हृदय रोग को रोकने में मदद के लिए महिलाओं को मधुमेह, मानसिक तनाव और अवसाद, धूम्रपान और आरामदेह जीवन शैली जैसे जोखिम कारकों को नियंत्रित करना चाहिए. रजोनिवृत्ति, ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम और गर्भावस्था की जटिलताओं सहित कुछ स्थितियां भी एक महिला में हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकती हैं. डॉ. अलूर ने कहा, “सभी उम्र की महिलाओं को हृदय रोग को गंभीरता से लेना चाहिए…”
गर्भनिरोधक गोलियों से नुकसान
महिलाओं में हृदय रोग या हार्ट अटैक के लिए गर्भ निरोधक गोलियां भी जिम्मेदार हैं. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों और धूम्रपान के संयोजन से युवा महिलाओं में हृदय रोग का खतरा 20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. महिलाओं को बिना किसी पूर्व लक्षण के दिल का दौरा पड़ सकता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक कोरोनरी हृदय रोग से अचानक मरने वाली लगभग 64 प्रतिशत महिलाओं में पहले कोई लक्षण नहीं थे.
खराब जीवनशैली जिम्मेदार
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक खराब जीवनशैली, व्यायाम से दूरी भी हृदय रोग के लिए जिम्मेदार है. अधिक खाना और गतिहीन जीवनशैली जीना भी ऐसे कारक हैं जो समय के साथ धमनियों के अवरुद्ध होने का कारण बनते हैं. एएचए के मुताबिक अगर आपके परिवार में किसी को हृदय रोग रहा है या हार्ट अटैक की हिस्ट्री है तो 20 साल की उम्र या उससे पहले कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर कराएं. अपने ब्लड प्रेशर की भी नियमित जांच कराना महत्वपूर्ण है.